भोपाल: स्वदेशी तकनीक बढ़ाएगी बैटरी की कार्यक्षमता, आइसर भोपाल की खोज
विश्व में स्वच्छ ऊर्जा को लेकर चल रहे शोध के चलते मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइसर) के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की हैं. इस तकनीक के माध्यम से ऊर्जा की बचत के साथ उत्पादन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। वैज्ञानिकों ने बैटरी के फ्यूल सेल में प्रयोग हो सकने वाली झिल्ली तैयार की है. यह बैटरी की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ लागत भी घटाएगी। वैज्ञानिकों का यह शोध "अमेरिकन केमिकल सोसाइटी" के 'एप्लाइड पालीमर मैटेरियल्स जर्नल' में 2023 में प्रकाशित किया जा चुका हैं।
नहीं होगा हानिकारक रसायनों का उपयोग
Subkuz.com की जानकारी के अनुसार बैटरी में लगने वाले फ्यूल सेल में नेफिओन 117 मेंब्रेन का उपयोग किया जाता है, जिसको बनाने में हानिकारक रसायनों का उपयोग किया जाता है. तथा यह मेंब्रेन महंगी भी होती हैं. आइसर के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए गए मेंब्रेन की लागत कम है और फ्यूल सेल की क्षमता को बढ़ाने के साथ ऊर्जा की बचत करने में भी सहायक होगी।
IISER के रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग की सहायक प्राध्यापक डा. परमिता दास ने बताया कि हमारी फंक्शनल नैनोकंपोजिट्स लैबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने यह शोध किया है. प्रयोगशाला स्तर पर इसका परीक्षण सफल रहा है. औद्योगिक स्तर पर मेंब्रेन कम खर्च में तैयार हो सकेगी। यह मेंब्रेन नेफिओन 117 की तुलना में 37 गुना उपयोगी होगी।
उपयोगी शाबित होगी यह तकनीक
जानकारी के अनुसार फ्यूल सेल ऊर्जा का एक ऐसा स्रोत है, जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है. उच्च ऊर्जा वाले उपकरणों के लिए अधिक संख्या में फ्यूल सेल को एकत्रित करके उपयोग में लिया जा सकता है. नई तकनीक वाले मेंब्रेन फ्यूल सेल का उपयोग कई प्रकार के उपकरणों जैसे इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल, कार, रोबोट और मोबाइल फोन को संचालित करने में किया जा सकता हैं।
इस तकनीक में कम आती है लगत
Subkuz.com के पत्रकारों से बातचीत के दौरान डॉ. दास ने बताया की इस मेंब्रेन को बनाने के लिए पोली (विनाइल अल्कोहल) का उपयोग किया गया है. यह साल्यूशन कास्टिंग तरीके से बनाई गई है जिससे लागत भी कम आती हैं. नेफिओन 117 मेंब्रेन व्यावसायिक रूप से फ्यूल सेल में इस्तेमाल की जाती है, लेकिन लंबे समय से इसका विकल्प तलाशा जा रहा था।
जानकारी के अनुसार शोध में शामिल पीएचडी के छात्र पंकज कुमार ने बताया कि नेफिओन 117 मेंब्रेन की औसत कीमत 10 से 11 हजार रुपये होती है, जबकि नई मेंब्रेन प्रयोगशाला स्तर पर 15 से 20 रुपये प्रति वर्ग सेंटीमीटर तक में उत्पादित की जा सकती है. आइसर के निदेशक गोवर्धन दास ने बताया कि यह रिसर्च भविष्य के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा और ऊर्जा उत्पादन के लिए इस मेंब्रेन को कम लागत में तैयार किया जा सकेंगा।
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