जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स अप्रेल महीने के इस सप्ताह के अंत में चीन की यात्रा करने के लिए जा रहे हैं. पश्चिमी देशों के तीखे स्वरों और व्यवहार को देखते हुए इस दौर में जर्मनी के लिए सबसे बड़े कारोबारी सहयोगी के साथ बातचीत करके संतुलन बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
चीन: विश्व स्तर पर चीन और जर्मनी दोनों ही देशों की अर्थव्यवस्थाएं इस समय डगमगा रही हैं. ऐसे समय में जर्मन के चांसलर शॉल्त्स अपने मंत्रियों और कारोबारियों का एक बड़ा समूह अपने साथ लेकर चीन की यात्रा पर जा रहे हैं. शॉल्त्स चीन साथ अनुचित सब्सिडी और कारोबार को बढ़ने के उद्देश्य के साथ यूरोपीय संघ की तल्खी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने वाले शब्दों के बीच संतुलन बनाना भी चुनौती भरा होगा।
शॉल्त्स के साथ मंत्री और प्रतिनिधिमंडल
जर्मन चांसलर चीन डोरे के दौरान व्यापार के अलावा चीन को रूस के मामले में भी कुछ कठोर शब्द कह सकते हैं. यूक्रेन पर हमला करने के बाद भी चीन ने रूस की तरफ से अपना मुंह नहीं बदला है. इस दौरे का अंत चीन की राजधानी बीजिंग में मंगलवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चांसलर शॉल्त्स की मुलाकात होने के साथ होगा. इससे पहले शॉल्त्स चोंगकिंग और शंघाई में जाकर व्यपारियों से तालमेल बैठाने की कोशिश करेंगे। बतौर चांसलर शॉल्त्स दूसरी बार चीन की यात्रा कर रहे हैं।
चीन का जोखिम कैसे सहेगी जर्मन कंपनियां
Subkuz.com की जानकारी के अनुसार शॉल्त्स साल 2022 में में कोरोना की पाबंदियां के बीच चीन गए थे.18 महीने बीत जाने के बाद भी दोनों देशों अर्थव्यवस्थाएं लगातार मुश्किल में पड़ रही हैं. चीन में शॉल्त्स के विमान में फोक्सवागन, जीमेंस, बायर समेत कई दिग्गज कंपनियों के जनप्रतिनिधि बैठक में शामिल होंगे. इसके अलावा परिवहन मंत्री फोल्कर विसिंग के साथ तीन कैबिनेट मंत्री भी ऊके साथ जा रहे हैं. बर्लिन में मर्केटर इंस्टिट्यूट फॉर चाइना स्टडीज के प्रमुख अर्थशास्त्री माक्स जेंगलाइन ने बताया कि यात्रा के दौरान सबसे ज्यादा प्रमुखता कारोबारी के बीच साझेदारियों को लेकर रहेगी।
पश्चिमी देशों का चीन के प्रति बदला बर्ताव
अदिकारी ने बताया कि पश्चिमी देशों के राजनेताओं का बर्ताव चीन के प्रति बदल गया है. उन्हें इस बात की बी चिंता हो रही है कि कहीं चीनी आयात पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता होने के कारण बोझ क नीचे दबना नहीं पद जाए. अमेरिका ने चीनी कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार को सीमित करना शुरू कर दिया है. यूरोपीय संघ ने ग्रीन टेक्नोलॉजी के मामले को लेकर चीनी कंपनियों को सब्सिडी पर निशाना मारा है. यूरोपीय आयोग ने चीन के पवनचक्की की सप्लाई करने वालों के खिलाफ मंगलवार से तहकीकात शुरू की है. बताया कि इसके पहले सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक कार और ट्रेनों के लिए सरकारी सहायता देने की तहक्कीकात पहले ही शुरू कर दी गई थी।
चीन पर निर्भरता सबसे बड़ा जोखिम
शॉल्त्स खुदके रवैये को "जोखिम हटाना" वाला मानते हैं, इसलिए कंपनियों से कहां जा रहा है कि वह एक ही साझीदार के साथ जुड़ कर काम नहीं करें और दूसरे कारोबारियों के साथ भी अपने रिश्ते अच्छे बनाए साथ ही उन्हें अहमियत भी दें. कोलोन की आईडब्ल्यू रिसर्च इंस्टिट्यूट के मुताबिक Subkuz.com ने बताया कि जर्मन के सभी कारोबार चीनी बाजार पर बहुत ज्यादा निर्भर करते है. आईडब्ल्यू के विश्लेषक युर्गेन माथेस ने जर्मन अखबार हांडेल्सब्लाट से कहां कि रसायन और इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया जिससे ढांचागत जोखिम खत्म होता नहीं दिखा हैं। जर्मनी सहयोगी के रूप में अपने महत्व को दिखा कर चीन पर थोड़ा दबाव बना कर व्यापार को बढ़ावा दे सकता हैं।