दादर रेलवे स्टेशन के बाहर हनुमान मंदिर हटाने पर विवाद, श्रद्धालुओं में आक्रोश, उद्धव ठाकरे का बीजेपी पर हमला

दादर रेलवे स्टेशन के बाहर हनुमान मंदिर हटाने पर विवाद, श्रद्धालुओं में आक्रोश, उद्धव ठाकरे का बीजेपी पर हमला
Last Updated: 14 दिसंबर 2024

मुंबई के दादर रेलवे स्टेशन के पास स्थित ऐतिहासिक हनुमान मंदिर को रेलवे प्रशासन ने अवैध निर्माण बताते हुए इसे हटाने का नोटिस जारी किया है। इस घटना ने न केवल धार्मिक आस्था बल्कि राजनीति में भी हलचल मचा दी है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस मामले को लेकर सरकार और बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। आइए इस पूरे मामले पर एक नज़र डालते हैं।

रेलवे का कदम: मंदिर हटाने का नोटिस

रेलवे प्रशासन ने दादर ईस्ट स्टेशन के बाहर स्थित इस मंदिर को अवैध निर्माण घोषित करते हुए ट्रस्ट को 5 दिसंबर को नोटिस जारी किया। नोटिस में यह स्पष्ट किया गया है कि मंदिर रेलवे की जमीन पर बना हुआ है और स्टेशन के विस्तार कार्य में बाधा उत्पन्न कर रहा है। रेलवे ने ट्रस्ट से एक हफ्ते के भीतर इस मंदिर को हटाने का निर्देश दिया है।

मंदिर ट्रस्ट ने इस मुद्दे पर फिलहाल कोई आपत्ति नहीं जताई है, लेकिन उनका कहना है कि यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है। ट्रस्ट ने बताया कि 2018 में भी इसी तरह का नोटिस आया था।

उद्धव ठाकरे का बीजेपी पर हमला

इस मामले ने राजनीतिक रंग तब लिया जब शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रेस कांफ्रेंस कर बीजेपी और महाराष्ट्र सरकार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “बीजेपी हिंदुत्व के नाम पर वोट मांगती है, लेकिन जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार होता है, तो वह चुप रहती है। अब मुंबई में एक मंदिर को हटाने की बात की जा रही है, लेकिन बीजेपी इससे भी मुंह मोड़ रही है।

उद्धव ठाकरे ने मंदिर को हटाने के फैसले पर सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े किए और इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला कदम बताया।

श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों का विरोध

स्थानीय श्रद्धालुओं ने इस नोटिस पर कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह मंदिर करीब 80 साल पुराना है और इसे हटाने का फैसला अनुचित है। मंदिर में आने-जाने वाले यात्री अक्सर यहां मत्था टेककर अपने दिन की शुरुआत करते हैं।

श्रद्धालुओं ने चेतावनी दी है कि अगर इस मंदिर को हटाया गया, तो वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। उनका दावा है कि मंदिर उनकी धार्मिक आस्था और पहचान का प्रतीक है, जिसे हटाना अस्वीकार्य होगा।

मंदिर प्रशासन का संतुलित रुख

मंदिर ट्रस्ट ने विरोध के बजाय संतुलित रुख अपनाया है। उनका कहना है कि वे रेलवे के विकास कार्य में कोई बाधा नहीं डालना चाहते, लेकिन यह मंदिर हमारी आस्था से जुड़ा हुआ है। ट्रस्ट को उम्मीद है कि भगवान हनुमान की कृपा से इस मामले का समाधान निकलेगा।

राजनीति और आस्था के बीच फंसा मुद्दा

यह मामला न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है, बल्कि राजनीति का भी अहम केंद्र बन गया है। शिवसेना और बीजेपी के बीच इस मुद्दे को लेकर तनातनी बढ़ती जा रही है। वहीं, रेलवे का तर्क है कि स्टेशन के विस्तार के लिए यह कदम जरूरी है।

मंदिर को हटाने के फैसले के खिलाफ श्रद्धालु सड़कों पर उतर सकते हैं, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की संभावना है। इस मामले में सरकार और रेलवे प्रशासन को मिलकर ऐसा समाधान निकालना होगा, जिससे विकास कार्य और धार्मिक आस्था दोनों को सम्मान मिल सके।

दादर स्टेशन का हनुमान मंदिर विवाद धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक तीनों पहलुओं को छूता है। श्रद्धालुओं की भावनाओं और विकास की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। आने वाले दिनों में इस मामले पर सरकार और रेलवे प्रशासन का रुख क्या रहता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

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