हिमाचल का समोसा कांड, सीएम सुक्खू की प्लेट पर बीजेपी ने कैसे डाला तड़का

हिमाचल का समोसा कांड, सीएम सुक्खू की प्लेट पर बीजेपी ने कैसे डाला तड़का
Last Updated: 3 घंटा पहले

हिमाचल समोसा विवाद हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के समोसा विवाद को लेकर सीआईडी ने जांच शुरू कर दी है। यह विवाद 21 अक्टूबर को सीआईडी मुख्यालय में उस समय उत्पन्न हुआ जब मुख्यमंत्री के लिए भेजे गए समोसे और केक उनके कर्मचारियों को परोसे गए। इस घटना को लेकर विरोधी पार्टियाँ तंज कस रही हैं।

हिमाचल प्रदेश में टॉयलेट के बाद एक नया मामला चर्चा में आया है, जो थोड़ा अजीब है। यह मामला मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू (HP Samosa Controversy) से जुड़ा हुआ है, और अब सीआईडी ने यह जानने के लिए जांच शुरू कर दी है कि आखिर सीएम सुक्खू के लिए भेजे गए समोसे और केक कर्मचारियों को कैसे परोसे गए। जहां एक ओर विपक्षी पार्टियां इस मामले पर तंज कस रही हैं, वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस कृत्य को सरकार विरोधी बताया और इसे वीवीआईपी (Samosa Scandal Himachal) की उपस्थिति के सम्मान के खिलाफ अपराध करार दिया। रिपोर्ट के अनुसार, इसमें शामिल लोग अपने व्यक्तिगत एजेंडे के अनुसार कार्य कर रहे थे। सीआईडी मुख्यालय में 21 अक्टूबर को एक कार्यक्रम के दौरान हुई इस कथित घटना की पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) द्वारा पूरी जांच की गई। जांच में यह पता लगाने की कोशिश की गई कि इस चूक के लिए कौन से अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार थे।

क्या है आखिर पूरा मामला

21 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (सीएफसीएफआरएमएस) के नए स्टेशन का उद्घाटन करने के लिए सीआईडी मुख्यालय का दौरा किया। इस दौरान, रिफ्रेशमेंट के रूप में समोसे और केक की जगह मुख्यमंत्री के कर्मचारियों को परोसा गया। इसके बाद, सीआईडी के अंदरूनी जांच की प्रक्रिया शुरू हुई। डीजीपी अतुल वर्मा ने स्पष्ट किया कि इस मामले की जांच पुलिस मुख्यालय द्वारा नहीं, बल्कि सीआईडी द्वारा की जा रही है। जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि एक महानिरीक्षक (आईजी) अधिकारी ने एक उपनिरीक्षक को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के लिए शिमला के लक्कड़ बाजार में एक फाइव स्टार होटल से भोजन खरीदने का आदेश दिया था।

इस आदेश के फलस्वरूप, एक सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) और एक हेड कॉन्स्टेबल ड्राइवर ने समोसे और केक के तीन डिब्बे लिए और उन्हें इंस्पेक्टर रैंक की एक महिला अधिकारी को सौंप दिया। इस महिला अधिकारी को यह जानकारी नहीं थी कि समोसे किसके लिए दिए जा रहे हैं, इसलिए उसने डिब्बों को एक वरिष्ठ अधिकारी के कमरे में रखने का निर्देश दिया, जहां से उन्हें अलग-अलग कमरों के बीच ले जाया गया।

बक्सों में रखी चीजें सीएम के मेन्यू में नहीं थीं

पूछताछ के दौरान संबंधित अधिकारियों ने यह दावा किया कि उन्होंने ड्यूटी पर उपस्थित पर्यटन विभाग के कर्मचारियों से पुष्टि की थी, जिन्होंने बताया कि बक्सों में रखी चीजें मुख्यमंत्री के मेन्यू में शामिल नहीं थीं। जांच में यह भी पाया गया कि एक एमटीओ (मोटर परिवहन अधिकारी) और एचएएसआई (मुख्य सहायक उप-निरीक्षक) को मुख्यमंत्री के लिए चाय और जलपान का प्रबंधन करने हेतु नियुक्त किया गया था। उनके बयानों के अनुसार, महिला इंस्पेक्टर को सूचित नहीं किया गया था कि बक्सों में रखी चीजें मुख्यमंत्री के लिए थीं। बिना बक्सों को खोले, उसने उन्हें एमटी सेक्शन में भेज दिया।

बक्सों को एक सब-इंस्पेक्टर और एक हेड कांस्टेबल ने खोला था और ये सामान डीएसपी और आईजी के कार्यालय के कर्मचारियों के लिए था। इन निर्देशों का पालन करते हुए, कमरे में लगभग 10-12 लोगों को चाय के साथ भोजन परोसा गया। दिए गए बयानों के आधार पर सीआईडी रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल एक सब-इंस्पेक्टर को ही पता था कि बक्सों में सीएम के लिए जलपान है। फिर भी, महिला इंस्पेक्टर की देखरेख में रखे गए इन बक्सों को बिना मंजूरी के एमटी अनुभाग में भेज दिया गया, और अनजाने में ये सामान सीएम के कर्मचारियों को परोस दिया गया।

बीजेपी ने की कड़ी निंदा वहीं

दूसरी ओर 'समोसा' विवाद पर हिमाचल प्रदेश के नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा लिए जा रहे निर्णय पूरे देश में चर्चा का विषय बन गए हैं। सरकार के फैसले बिना उचित विचार-विमर्श के लिए जा रहे हैं। अब एक और मुद्दा जो सुर्खियों में है, वह यह है कि समोसे उचित स्थानों तक नहीं पहुंचे, बल्कि बीच में ही खो गए। मुख्यमंत्री और हिमाचल प्रदेश सरकार ने इसे गंभीर मामला मानते हुए इसकी जांच कराए जाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने यह भी कहा कि यह सरकार विरोधी गतिविधि का हिस्सा हो सकता है। उन लोगों ने जो समोसा खाया, वे संभवतः सरकार के समर्थक रहे होंगे। फिर यह सरकार विरोधी गतिविधि कैसे हो सकती है? दुर्भाग्यवश, निर्णय बिना विचार के लिए जा रहे हैं।

बड़े-बड़े घोटालों को छोड़कर समोसे पर जांच

बीजेपी नेता सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि इस मामले से पूरे देश में इस सरकार की बेइज्जती हो रही है। मुख्यमंत्री के एक कार्यक्रम के लिए शिमला के रेडिसन होटल से समोसे और अन्य खाद्य सामग्री मंगाई गई, जिसे स्टाफ के सदस्यों ने खा लिया।हैरानी की बात यह है कि इन समोसों की वजह से सरकार ने जांच का आदेश दे दिया है। सतपाल सत्ती ने कहा कि प्रदेश में बड़े-बड़े घोटाले हो रहे हैं, और मुख्यमंत्री पुलिस विभाग को यह ध्यान में रखना चाहिए कि मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर सचिवालय तक जो विवादित गतिविधियाँ चल रही हैं, उन पर नजर रखनी चाहिए। छोटी-छोटी बातों में समय बर्बाद करने के बजाय उन्हें गंभीर मामलों पर ध्यान देने की जरूरत है।

भाजपा नेता ने यह भी बताया कि इस समोसे प्रकरण की जांच रिपोर्ट एक डिप्टी एसपी स्तर के अधिकारी द्वारा तैयार की गई है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि समोसे किसके लिए आए थे और किसने उन्हें खा लिया। ऐसी मामूली सी बात पर जांच शुरू करना और बड़े अधिकारियों को इसमें शामिल करना, तथा जिनकी गलती सामने रही है, उनके लिए 'एंटी स्टेट' और 'एंटी गवर्नमेंट' जैसे शब्दों का प्रयोग करना, अत्यंत आश्चर्यजनक है। सतपाल सत्ती ने कहा कि मेरा मानना है कि इस सरकार को जनता की कोई परवाह नहीं है, बल्कि उन्हें केवल कार्यक्रम के दौरान मंगाए गए समोसों की जांच की चिंता है। यह सरकार पूरी तरह से असफल हो चुकी है और अब यह पूरे देश में मजाक का विषय बन चुकी है।

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