Independence Day 2024: भारत के अलावा इन देशों के लिए भी रविंद्र नाथ टैगोर ने लिखा था राष्ट्रगान, क्या आप जानते हैं इन देशो के नाम?

Independence Day 2024: भारत के अलावा इन देशों के लिए भी रविंद्र नाथ टैगोर ने लिखा था राष्ट्रगान, क्या आप जानते हैं इन देशो के नाम?
Last Updated: 15 अगस्त 2024

हम सभी ने अपने बचपन में राष्ट्रगान गाया होगा। यह एक भारतीय के लिए गर्व का क्षण होता है जब वह सम्मानपूर्वक खड़ा होकर राष्ट्रगान गाता है। 52 सेकंड में यह अद्भुत गान भारत की सुंदरता, एकता, और अखंडता का परिचय देता है। इन प्रेरणादायक पंक्तियों को रवींद्रनाथ ठाकुर ने लिखा था।

लाइफस्टाइल: आज हमारा देश स्वतंत्रता के जश्न में पूरी तरह डूबा हुआ है। हर साल 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। यह दिन 1947 में अंग्रेजों के साम्राज्य से मिली आज़ादी की याद दिलाता है। इस अवसर पर, हम उन देशभक्तों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें आज़ादी दिलाई। स्वतंत्रता दिवस पर हमारी राष्ट्रीय ध्वज को गर्व से फहराया जाता है और हर भारतीय दिल से राष्ट्रगान गाता हैं

हम सभी ने अपने स्कूल के दिनों में इस अवसर पर राष्ट्रगान गाया होगा। हमारा राष्ट्रगान हमारी पहचान है, जो हमें भारतीय होने का गर्व महसूस कराता है। यह हम सभी के लिए एक विशेष अवसर होता है। हम जानते हैं कि हमारे राष्ट्रगान की रचना विश्वकवि रविंद्रनाथ ठाकुर ने की थी, लेकिन क्या आपको पता है कि उन्होंने भारत के अलावा कुछ अन्य देशों के लिए भी राष्ट्रगान की रचना की थी? आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम आपको उन देशों के बारे में बताएंगे, जिनका राष्ट्रगान भी रविंद्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखा गया हैं।

रवीन्द्रनाथ ने इन देशों के लिए भी लिखा राष्ट्रगान

बता दें हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका और बांग्लादेश का राष्ट्रगान भी महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए हैं। इन गानों को बांग्लादेश और श्रीलंका में इतनी अधिक सराहना मिली कि उन्होंने इन्हें अपने राष्ट्रगान के रूप में अपनाया। भारत का राष्ट्रगानजन-गण-मन और बांग्लादेश का राष्ट्रगानआमार सोनार बांग्ला भी टैगोर की ही रचनाएँ हैं। वहीं श्रीलंका के राष्ट्रगानश्रीलंका मथा का एक हिस्सा रवींद्रनाथ टैगोर की कविता से प्रेरित है। दरअसल श्रीलंका मथा के लेखक आनंद समरकून शांतिनिकेतन में रवींद्रनाथ टैगोर के पास रहते थे।

बहुत खास है भारत का राष्ट्रगान

भारतीय राष्ट्रगान के रचनाकार रविंद्रनाथ टैगोर को संगीत और साहित्य के सम्राट के रूप में जाना जाता है। उनकी रचनाएँ, गीत और विचार आज भी अनेक लोगों द्वारा पसंद किए जाते हैं। हमारा राष्ट्रगान उनकी उत्कृष्ट लेखनी का सजीव उदाहरण है। राष्ट्रगान की पंक्तियों के माध्यम से उन्होंने पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा सहित पूरे देश का बेहद सुंदर चित्रण किया है। इसके अलावा केवल भारत ही नहीं, उनके द्वारा लिखित गीत को अन्य देशों में भी राष्ट्रगान के रूप में गाया जाता हैं।

भारतीय राष्ट्रगान से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें

यदि हम अपने देश के राष्ट्रगान की बात करें, तो इसकी पंक्तियाँ रवींद्रनाथ टैगोर के गीत 'भारतो भाग्यो विधाता' से ली गई हैं। 52 सेकंड का यह राष्ट्रगान गाते समय कई महत्वपूर्ण नियमों का पालन किया जाता है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है श्रोताओं का सावधान की मुद्रा में खड़े होना। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए इस गीत का पहला हिंदी अनुवाद 1911 में आबिद अली ने किया था, जिसे 24 जनवरी 1950 को औपचारिक रूप से भारत के राष्ट्रगान के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। इसी दिन 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने 'जन-मन-गण' को भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया।

 

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