भारत देश में बेरोजगारी बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं. बेरोजगार लाखों युवाओं के लिए श्रम बाजार में प्रवेश करके रोजगार पाने की संभावनाएं बहुत कम नजर आ रही हैं. इस रिपोर्ट में युवाओं में बढ़ रही बेरोजगारी और उसके कारणों के प्रभाव को बताया गया हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था: भारत में बेरोजगारी की दर दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इस स्थिति के कारण कई युवा समझ नहीं पा रहे है की क्या किया जाए. भारतीय अर्थव्यवस्था में साल 2023 की चौथी तिमाही के दौरान 8.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. लेकिन अर्थव्यवस्था में होने वाली यह वृद्धि भी लाखों युवाओं के लिए नौकरियां पैदा नहीं कर पाई हैं, जो हर साल बेरोजगारी में दर प्रवेश करते हैं। इंग्लैंड के बाथ विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के विजिटिंग प्रोफेसर संतोष कुमार मेहरोत्रा ने Subkuz.com को बताया कि "समाज का विकास करने के जरूरी है कि नौकरियां न सिर्फ वेतन और कौशल वितरण के शीर्ष पर रहन वालो को मिले, बल्कि उन्हें भी मिलनई चाहिए जो सबसे निचले स्तर पर हैं।"
स्नातक पास है बड़ी संख्या में बेरोजगार
भारत में कॉलेज ग्रेजुएट्स पास भी बड़ी संख्या में बेरोजगार हैं. लेकिन कृषि और निर्माण क्षेत्र में नौकरियां काफी ज्यादा हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में कुशल श्रमिक नहीं मिल पा रहे हैं . इसी कारण नए शिक्षित युवा वर्ग बिना अनुभव के श्रम के क्षेत्र की मांगों को पूरा नहीं कर पा रहा है. उन क्षेत्रों में नौकरियां काफी ज्यादा है लेकिन काम के हिसाब से योग्य और कौशल कारीगर नहीं मिल पा रहे हैं।
इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट और इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन अधिकारी ने 'इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024' कुछ दिन पहले ही जारी की है. जिसमे बताया कि भारत में रोजगार की स्थिति बहुत नाजुक है. रिपोर्ट में कहां गया है कि भारत में जो बेरोजगार लोगों में 85 प्रतिशत नौजवान है. कुल बेरोजगार भारतीयों में माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं की संख्या साल 2000 में 35.7 प्रतिशत थी, जो बढ़कर साल 2022 में लगभग दोगुनी यानी 66.2 फीसद हो गई हैं।
बेरोजगारी चुनाव का बड़ा मुद्दा
भारत में लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल 2024 से शुरू होकर सात चरणों में चुनाव होंगे. युवाओं में इतनी ज्यादा बेरोजगारी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए चुनाव में सबसे बड़ी परेशानी है. मोदी प्रशासन ने अर्थव्यवस्था पर अधिक ध्यान दिया हैं. सरकार ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और रोजगार सर्जन करने के लिए सड़कों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचे पर खर्च को बढ़ाया है. इन सभी कोशिशों के बाद भी बेरोजगारी की दर को नियंत्रित नहीं रख पा रहे हैं।
Subkuz.com से बातचीत करने पर अर्थशास्त्री अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि "बेरोजगारी एक सबसे बड़ी समस्या है. कई सामाजिक और राजनीतिक आयाम भी इसके लिए जिम्मेदार हैं." पिछले तीन दशक में शिक्षा के साथ-साथ भारतीय कार्यबल को भी बढ़ाया गया हैं, लेकिन उनके लिए नौकरियां पैदा नहीं की गई. यही कारण है कि पढ़ा लिखा युवा आज बेरोजगार घूम रहा हैं।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बताया कि मोदी सरकार की उदासीनता और कमी के कारण उसका खामियाजा हमारे युवाओं को चुकाना पड़ रहा है. विपक्ष बेरोजगारी को एक प्रमुख मुद्दा बना दिया है. भारत में निश्चित तौर पर बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है, जिसको बढ़ने से रोकना बहुत जरुरी हैं।
बेरोजगारी का महिलाओं पर असर
जानकारी के अनुसार नौकरियों का संकट महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. आईएलओ और आईएचडी की रिपोर्ट के अनुसार Subkuz.com ने बताया कि शिक्षित बेरोजगार युवाओं में पुरुष (61.7%) और महिलाओं की हिस्सेदारी (75.2%) है. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी की वरिष्ठ अर्थशास्त्री लेखा कुमार चक्रवर्ती ने बताया कि भारत में शिक्षित लोगों में महिलाओं के बीच बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण परशानी है. उन्होंने बताय कि बेरोजगारी तीन कारणों व्यापक 'केयर इकोनॉमी' वाली बुनियादी ढांचे की कमी, कठोर सामाजिक मानदंड और पर्याप्त कौशलता की कमी से व्याप्त है. महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को दुरुस्त करने के लिए सरकार को ठोस उपायों निकलने की जरूरत हैं।