Justice Yashwant Verma ट्रांसफर विवाद! बेहिसाब कैश मिलने के बाद क्या होगी बड़ी कार्रवाई?

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जस्टिस यशवंत वर्मा का अचानक ट्रांसफर कैश बरामदगी से जुड़ा! आग बुझाने पहुंचे कर्मचारियों को बड़ी मात्रा में नकदी मिली, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने तत्काल इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने का फैसला लिया।

Justice Yashwant Verma: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके मूल कार्यक्षेत्र इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। गुरुवार को अचानक हुए इस ट्रांसफर के पीछे एक चौंकाने वाली वजह सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस वर्मा के आवास पर भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद यह निर्णय लिया गया। इस नकदी को फायर ब्रिगेड और पुलिस के कर्मचारियों ने बरामद किया, जिसके बाद यह मामला उच्च स्तर तक पहुंचा।

कैसे हुआ कैश का खुलासा?

मामले की शुरुआत कुछ दिनों पहले हुई जब जस्टिस वर्मा के घर पर अचानक आग लग गई। घटना के वक्त वे खुद घर पर मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके परिवार के सदस्यों ने तुरंत फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचना दी। आग बुझाने के बाद जब नुकसान का आकलन किया जा रहा था, तो अचानक एक कमरे में भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ।

पुलिस और फायर ब्रिगेड कर्मियों ने इस बात की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी, जिन्होंने बिना देर किए केंद्रीय गृह मंत्रालय तक यह सूचना पहुंचा दी। इसके बाद ही जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर की प्रक्रिया तेज हो गई।

शीर्ष अदालत और सरकार की त्वरित कार्रवाई

कैश बरामदगी की खबर मिलते ही, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। इस पर शीर्ष न्यायालय के पांच वरिष्ठतम जजों की एक आ急 बैठक बुलाई गई।

इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा को तत्काल प्रभाव से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर किया जाए। इसके साथ ही कॉलेजियम में इस पर भी सहमति बनी कि सिर्फ ट्रांसफर करना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि आगे की जांच भी जरूरी होगी।

क्या जस्टिस वर्मा देंगे इस्तीफा या होगी जांच?

इस पूरे घटनाक्रम के बाद, अब सवाल उठ रहा है कि क्या जस्टिस यशवंत वर्मा खुद इस्तीफा देंगे या उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई होगी?

इस्तीफे का दबाव: सूत्रों की मानें तो उनसे इस्तीफा देने की उम्मीद की जा रही है।
आंतरिक जांच: अगर वे खुद इस्तीफा नहीं देते, तो उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा आंतरिक जांच बैठाई जा सकती है।
संवैधानिक प्रक्रिया: ऐसी जांचों के लिए एक विशेष समिति गठित की जाती है, जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट के जज और दो हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं।
महाभियोग की संभावना: अगर जांच में जस्टिस वर्मा दोषी पाए जाते हैं, तो रिपोर्ट संसद को भेजी जाएगी, जहां उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।

कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?

2014: इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज के रूप में नियुक्ति।
2021: दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर।
2024: दिल्ली हाई कोर्ट में वरिष्ठता क्रम में तीसरे स्थान पर थे।
अब: दोबारा इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजे गए।

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