कुछ साल पहले तक, भारत कई इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर था। चार साल पहले तक, देश में एसी में इस्तेमाल होने वाला कंप्रेशर भी नहीं बनता था, और कई प्रमुख पार्ट्स का आयात किया जाता था। लेकिन अब स्थिति काफी हद तक बदल चुकी है। अब कई पार्ट्स की घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि हुई है, और इसका मुख्य कारण है पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम।
नई दिल्ली: प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत एसी और एलईडी कंपोनेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आई है। चार साल पहले, देश में एसी में इस्तेमाल होने वाला कंप्रेशर नहीं बनाया जाता था, और एसी व एलईडी के अन्य प्रमुख पार्ट्स का पूरी तरह से आयात किया जाता था।
अब इन पार्ट्स में घरेलू स्तर पर 20 प्रतिशत से अधिक का वैल्यू एडिशन हो रहा है, जिसे अगले कुछ वर्षों में 75 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2021 में एसी और एलईडी कंपोनेंट्स के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए PLI स्कीम की शुरुआत की गई थी। इस स्कीम के तहत अब तक तीन चरणों में आवेदन मंगाए गए हैं।
पीएलआई स्कीम से बढ़ी मैन्युफैक्चरिंग रफ्तार
नई दिल्ली। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत एसी और एलईडी कंपोनेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आई है। चार साल पहले तक भारत में एसी के कंप्रेशर का निर्माण नहीं होता था, जबकि अब घरेलू स्तर पर 20% से अधिक वैल्यू एडिशन हो रहा है।
स्कीम के तहत तीन चरणों में कंपनियों का चयन किया गया है—पहले चरण में 15, दूसरे में 40, और तीसरे में 38 कंपनियां शामिल हैं। पहले चरण की 11 कंपनियों ने उत्पादन शुरू कर दिया है, जबकि दूसरे चरण की कई कंपनियां भी उत्पादन के लिए तैयार हैं।
उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग के संयुक्त सचिव संजीव के अनुसार, भारत में अब सालाना लगभग 80 लाख कंप्रेशर का निर्माण किया जाने लगा है, जबकि पहले सभी कंप्रेशर का आयात किया जाता था। वर्तमान में देश में सालाना 1.1 करोड़ एसी का उत्पादन हो रहा है, जिसमें इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंट्स अब घरेलू स्तर पर बनने लगे हैं।
एसी बिक्री में 40% की वृद्धि का अनुमान
एसी की बिक्री में अगले पांच साल में 40 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है, जबकि दो साल पहले यह वृद्धि दर केवल 15 प्रतिशत थी। एसी और एलईडी कंपोनेंट्स के मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर उत्तर प्रदेश के नोएडा, राजस्थान के निमराना, महाराष्ट्र के पुणे और गुजरात के सानद में स्थापित किए जा रहे हैं।
संजीव ने बताया कि तीसरे चरण में चयनित 38 कंपनियों में कई एमएसएमई शामिल हैं, जो पहले डायकिन और वोल्टास जैसी बड़ी कंपनियों के लिए काम कर रही थीं। इन कंपनियों में हिताची, पेनासोनिक, और ब्लू स्टार शामिल हैं, जो पीएलआई स्कीम के तहत एसी के कंपोनेंट्स बनाएंगी। एलईडी लाइट्स के लिए ओरिएंट, सूर्या और डिक्सन जैसी कंपनियां भी शामिल हैं। वित्त वर्ष 2028-29 तक ये कंपनियां 4121 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी।