भारत में धार्मिक स्थलों को लेकर कई विवाद सामने आते रहे हैं, जिनमें काशी-मथुरा और अजमेर शरीफ जैसे प्रमुख स्थल शामिल हैं। इन विवादों को समझने के लिए कानूनी पहलुओं का विश्लेषण करना आवश्यक है। विशेष रूप से, पूजा स्थल अधिनियम 1991 और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मद्देनजर इन विवादों का समाधान खोजने की कोशिश की जा रही है।
Masjid Row: भारत में मंदिरों और मस्जिदों से जुड़े विवादों को लेकर कानूनी दृष्टिकोण को समझना बेहद जरूरी हो गया है, खासकर काशी, मथुरा और अजमेर शरीफ जैसे विवादित धार्मिक स्थलों से संबंधित मुद्दों को लेकर। इन विवादों को सुलझाने के लिए पूजा स्थल अधिनियम, 1991 और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का गहराई से अध्ययन किया जा रहा है। इसके अलावा, क्या संसद इस मामले में कानून बनाकर भारत की सांस्कृतिक धरोहरों पर आक्रांताओं के प्रभुत्व को वैधता दे सकती है, यह एक महत्वपूर्ण सवाल बन गया है।
पूजा स्थल अधिनियम, 1991
पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत यह तय किया गया कि देश में 15 अगस्त 1947 तक जो धार्मिक स्थल मौजूद थे, उनका स्वरूप अब वैसा का वैसा बना रहेगा। इस कानून का मुख्य उद्देश्य यह था कि किसी भी धार्मिक स्थल के स्वरूप को बदलने की इजाजत नहीं दी जाएगी, ताकि सांप्रदायिक विवादों से बचा जा सके और भारत की धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखा जा सके।
सुप्रीम कोर्ट का 2023 का निर्णय
2023 में सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में वैज्ञानिक सर्वे की अनुमति दी। इस फैसले से मंदिर-मस्जिद विवादों में नई उम्मीद जगी है और यह सवाल उठा है कि क्या आक्रांताओं द्वारा नष्ट किए गए धार्मिक स्थलों के स्वरूप को बहाल किया जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि पूजा स्थल अधिनियम किसी धार्मिक स्थल के धार्मिक स्वरूप का पता लगाने से नहीं रोकता, जो कि एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
क्या है मंदिर-मस्जिद विवाद?
भारत के विभिन्न हिस्सों में मंदिर-मस्जिद विवादों पर कानूनी कार्यवाही चल रही है। संभल शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के मामले में भी उच्चतम न्यायालय ने मस्जिद प्रबंधन से ट्रायल कोर्ट के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देने के लिए कहा। वहीं, भोजशाला-कमाल-मौला मस्जिद के विवाद में मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित एक धार्मिक स्थल पर विवाद जारी है, और सुप्रीम कोर्ट ने इस ढांचे के वैज्ञानिक सर्वे पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है।
काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद भी वर्षों से अदालत में है। हिंदू पक्ष का दावा है कि जहां आज ज्ञानवापी मस्जिद है, वहां पहले एक भव्य मंदिर था, जिसे मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने ध्वस्त कर दिया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष इस दावे से इनकार करता है।
मथुरा और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद
मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद के विवाद को लेकर 14 दिसंबर 2023 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अदालत की निगरानी में सर्वे करने की अनुमति दी। हालांकि, 16 जनवरी 2024 को इस सर्वे पर रोक लगा दी गई। इस मामले में भी कई धार्मिक समूहों के बीच दावे और विवाद जारी हैं।
संसद क्या बनाएगी नया कानून?
भारत में मंदिर-मस्जिद विवादों के समाधान के लिए संसद द्वारा नए कानून बनाने की संभावना पर चर्चा हो रही है। क्या यह नया कानून भारत की सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने में मदद करेगा या फिर यह धार्मिक विवादों को और बढ़ावा देगा, यह सवाल भविष्य में सामने आएगा।