अफ्रीका में कहर बरपाने वाले एमपॉक्स वायरस ने भारत सरकार की चिंताओं को बढ़ा दिया है। हालांकि, अभी तक देश में इसका कोई पुष्ट मामला सामने नहीं आया है। केंद्र ने सभी राज्यों को एक सलाह जारी की है, जिसमें संदिग्ध मरीजों की जांच, संपर्क ट्रेसिंग और आइसोलेशन पर जोर दिया गया है। हवाई अड्डों पर भी निगरानी को बढ़ाया जाएगा और संदिग्ध मरीजों की तुरंत जांच की जाएगी।
MPOX: दिल्ली में एमपॉक्स का एक संदिग्ध मामला सामने आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। यह एडवाइजरी केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा द्वारा जारी की गई है। हवाई अड्डों पर भी सतर्कता को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। यदि कोई संदिग्ध मरीज सामने आता है, तो उसकी तुंरत जांच की जाएगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि वे संदिग्ध एमपॉक्स मरीजों की जांच करें, यदि संक्रमण की पुष्टि होती है तो उन्हें आइसोलेट करें और संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए संपर्क ट्रेसिंग करें।
क्या थी एडवाइजरी?
एडवाइजरी में यह जानकारी दी गई है कि एनआईवी पुणे की जांच में अभी तक कोई भी पुष्ट मामला सामने नहीं आया है।
1. हवाई अड्डों पर संदिग्ध मरीजों की पहचान होने पर तुरंत स्वास्थ्य जांच कराने का निर्देश जारी किया गया है।
2. राज्य एड्स नियंत्रण समितियों से भी एमपॉक्स के संबंध में जागरूकता बढ़ाने की अपील की गई है। इस एडवाइजरी में संदिग्ध और पुष्ट मामलों के सामने आने पर आइसोलेशन की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।
3. इसके अलावा, संदिग्ध मरीजों की कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग करने की सलाह भी दी गई है।
4. एडवाइजरी में कहा गया है कि अधिकांश मामले 18 से 44 साल के बीच के पुरुषों में पाए गए हैं। यह वायरस मुख्य रूप से यौन संपर्क के जरिए फैलता है और इसके बाद अन्य तरीकों से एक-दूसरे में फैल रहा है।
5. लक्षणों की बात करें तो दाने और बुखार जैसे लक्षण देखे गए हैं। लगभग आधे मामलों में मरीज एचआईवी से भी संक्रमित पाए गए हैं।
अफ्रीका में मचा एमपॉक्स का कहर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली में पाए गए पहले संदिग्ध मरीज को अस्पताल में भर्ती किया गया है। वर्तमान में उसकी स्थिति स्थिर है और उसके नमूनों की जांच चल रही है। एमपॉक्स, जिसे पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था, पिछले कई वर्षों से अफ्रीका के कुछ देशों में कहर बरपा रहा है। हालांकि, 2022 में यह वायरस वैश्विक चिंता के रूप में उभरा। इसके बाद, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एमपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में घोषित किया है।
एमपॉक्स बना लोगों की मौत का कारण
एमपॉक्स (Mpox), जिसे पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था, हाल के वर्षों में लोगों की मौत का कारण बन रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अब तक एमपॉक्स के 102,997 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से 223 लोगों की मौत हो चुकी है।
इन मामलों में से आधे से अधिक अफ्रीकी देशों में रिपोर्ट किए गए हैं, जहां यह वायरस लंबे समय से एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है। अफ्रीका के बाहर भी यह बीमारी कुछ स्थानों पर फैल रही है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सीमित है।
एमपॉक्स एक वायरस से फैलने वाली बीमारी है, जिसके लक्षणों में बुखार, शरीर पर दाने और अन्य फ्लू जैसे लक्षण शामिल हैं। इसका मुख्य प्रसार संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने से होता है। WHO और अन्य स्वास्थ्य संगठनों द्वारा इस बीमारी के खिलाफ जागरूकता फैलाने और रोकथाम के उपायों को लागू करने की लगातार कोशिश की जा रही है।