Muslim Woman Can Claim: तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गुजारा भत्ता, सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति से कर सकती हैं मांग

Muslim Woman Can Claim: तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गुजारा भत्ता, सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति से कर सकती हैं मांग
Last Updated: 11 जुलाई 2024

भारत में तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं गुजारा भत्ता दिलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहां कि कोई भी तलाकशुदा मुस्लिम महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता देने की मांग सकती हैं।

देश की खबर: भारत में तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं गुजारा भत्ता दिलाने के मामले पर 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने एक अहम फैसला सुनाया हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहां कि मुस्लिम महिलाएं दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 की धारा 125 के तहत तलाक के बाद अपने पति से भरण-पोषण के लिए भत्ता मांग सकती हैं। जानकारी के मुताबिक जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने एकमत फैसला सुनाते हुए कहां कि सीआरपीसी की धारा 125 शादीशुदा महिलाओं के अलावा सभी पीड़ित महिलाओं पर लागू होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला

Subkuz.com ने जानकारी के आधार पर बताया कि अब्दुल समद नाम के एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने के मामले को लेकर तेलंगाना हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती पेश की थी. बता दें तलाकशुदा महिला ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत फैमिली कोर्ट में एक याचिका पेश की थी, जिसमें कहां गया कि समद ने उसे कुछ कुछ महीने पहले तीन तलाक दिया था। उसके बाद फैमिली कोर्ट ने समद द्वारा अपनी पत्नी को 20 हजार रुपये प्रति महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।

फैमिली कोर्ट के इस फैसले के बाद समद ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिस पर हाईकोर्ट ने 13 दिसंबर, 2023 को फैसला सुनाते हुए कहां कि "याचिकाकर्ता को अंतरिम भरण-पोषण के लिए समद हर महीने दस हजार रुपये का भुगतान करेगा। इस फैसले के बाद समद ने सुप्रीम कोर्ट की ओर अपना रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहां कि सीआरपीसी की धारा 125 सभी महिलाओं पर एक समान लागू होगी।

क्या हैं दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125

जानकारी के मुताबिक तलाकशुदा महिला को भरण-पोषण के लिए भत्ता दिलाने वाला कानून दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के रुप में जाना जाता हैं. दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 में पत्नी, बच्चों और माता-पिता के भरण-पोषण को प्राथमिकता दी गई है. इस कानून के तहत अगर पर्याप्त साधनों से परिपूर्ण कोई व्यक्ति अपनी पत्नी, बच्चे या माता-पिता का भरण-पोषण करने में उपेक्षा या इनकार करता है तो असमर्थ नाजायज नाबालिग बच्चा, तलाकशुदा पत्नी और माता-पिता अपना भरण-पोषण करने के लिए भत्ते की मांग कर सकते हैं।

अधिकारी ने बताया कि याचिकाकर्ता को गुजारा भत्ते का दावा करने से पहले कोर्ट को बताना होगा कि उनके पास आजीविका चलाने का कोई और साधन उपलब्ध नहीं है. उनके पास इस बात का पुख्ता सबूत भी होना चाहिए। उसके बाद ही फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति को अपनी पत्नी या नाजायज बच्चे, माता--पिता को गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी करेगा. गुजारा भत्ता कितना देना होगा यह भी मजिस्ट्रेट ही तय करेगा और कोर्ट के आदेश को व्यक्ति को मानना ही पड़ेगा। बता दें 10 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने तलाकशुदा महिला के गुजारा भत्ता मांगने के आदेश को काफी ज्यादा मजबूत बना दिया है, इसमें धर्म, जात-पात का कोई महत्व नहीं होगा।

 

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