राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कड़ी सुरक्षा के बीच ओडिशा की 4 दिवसीय यात्रा पर पहुंची। रविवार को जगन्नाथ रथयात्रा के दर्शन करने के बाद सोमवार (8 जुलाई) सुबह पुरी समुद्र तट पर सैर की। वहीं, उन्होंने प्रकृति के प्रति अपने जुड़ाव और अनुभव को साझा किया।
Droupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (Droupadi Murmu) इन दिनों ओडिशा के दौरे पर हैं। वह 6 जुलाई यानि शनिवार को चार दिवसीय दौरे पर ओडिशा पहुंचीं थीं। ओडिशा यात्रा के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू कड़ी सुरक्षा के बीच सोमवार (8 जुलाई) की सुबह-सुबह पुरी के एक बीच पर सैर के लिए निकली। उनकी कुछ तस्वीरें भी सामने आई हैं।
राष्ट्रपति भवन के ऑफिशियल X हैंडल पर की गई पोस्ट में लिखा गया कि 'ये ऐसी जगह हैं जो हमें हमारे जीवन के सार के नजदीक लाते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि हम इसी अद्भुत प्रकृति का एक हिस्सा हैं।
'वातावरण के साथ एक जुड़ाव महसूस हुआ': मुर्मू
एक्स हैंडल पर राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा आगे पोस्ट किया गया कि ये पहाड़, जंगल, नदियां और समुद्र तट हमारे भीतर की किसी गहरी चीज को आकर्षित करते हैं। आज जब मैं समुद्र के किनारे सैर करने निकली थी, तो उस समय मुझे आस-पास के वातावरण के साथ एक खास जुड़ाव महसूस हुआ। हल्की हवा, लहरों की गर्जना और पानी का विशाल फैलाव, यह एक ध्यानपूर्ण अनुभव था, जिसे मैंने महसूस किया है।
'यहां मुझे आंतरिक शांति मिली'
राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू ने सोशल मिडिया पर यह भी कहा कि 'सुबह-सुबह की सैर से यहां मुझे गहन आंतरिक शांति मिली है, इस अद्भुत अहसास अनुभव को करने वाली मैं अकेली नहीं हूं, बल्कि हम सभी इसे गहराई से महसूस कर सकते हैं।' बता दें कि उन्होंने साथ ही लोगों से पर्यावरण को बचाने की अपील भी की।
'वैश्विक समुद्र का स्तर बढ़ रहा है'
उन्होंने लोगों से पर्यावरण सुरक्षा की अपील करते हुए कहा की - रोजमर्रा की भागदौड़ में, इंसान इस प्रकृति से यह संबंध खो देता है। मानव जाति का मानना है कि उसने इस प्रकृति पर पूर्ण रूप से कब्ज़ा कर लिया है और अपने अल्पकालिक लाभों के लिए इसका अति दोहन कर रही है। इसका नतीजा अब सभी के सामने आ रहा है।
इस दौरान गर्मी के मौसम में भारत के कई हिस्सों में भीषण गर्मी की लहरें चलीं। हाल के वर्षों में विश्वभर में अनेकों मौसम की भयानक घटनाएं लगातार घट रही हैं। ऐसा रहा तो आने वाले दशकों में स्थिति और भी दयनीय होने का अनुमान है। इतना ही नहीं, बल्कि पृथ्वी की सतह का 70% से ज्यादा हिस्सा महासागरों से बना है और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से वैश्विक समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय क्षेत्रों के डूबने का खतरा बना हुआ है।