रांची में इलाज के दौरान बिरसा मुंडा के वंशज मंगल मुंडा का निधन, पीएम मोदी और सीएम सोरेन ने जताया शोक

रांची में इलाज के दौरान बिरसा मुंडा के वंशज मंगल मुंडा का निधन, पीएम मोदी और सीएम सोरेन ने जताया शोक
Last Updated: 11 घंटा पहले

झारखंड के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के वंशज मंगल मुंडा का शुक्रवार, 29 नवंबर को रांची के RIMS अस्पताल में निधन हो गया। वह 25 नवंबर को हुए एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। चार दिनों तक इलाज के बाद उनका निधन हुआ। इस दुखद घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शोक जताया है।

PM मोदी और CM सोरेन ने किया शोक व्यक्त

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर अपने शोक संदेश में कहा, "भगवान बिरसा मुंडा के वंशज मंगल मुंडा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना न केवल उनके परिवार बल्कि झारखंड के आदिवासी समाज के लिए भी एक अपूरणीय क्षति है। भगवान उनके परिवार को इस कठिन घड़ी में संबल दें। ओम शांति।"

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी मंगल मुंडा की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, "रिम्स में इलाजरत भगवान बिरसा मुंडा के वंशज श्री मंगल मुंडा जी के निधन की खबर से अत्यंत दुखी हूं। मरांग बुरु दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शोकाकुल परिवारजन को इस विकट समय को सहन करने की शक्ति दें।"

सड़क हादसे के बाद हुआ था इलाज

मंगल मुंडा को 25 नवंबर की रात खूंटी में सड़क दुर्घटना के बाद गंभीर चोटें आई थीं। हादसे के तुरंत बाद उन्हें रांची के RIMS अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस घटना के बाद रिम्स अस्पताल में पहुंचकर मंगल मुंडा की हालत की जानकारी ली थी। उन्होंने चिकित्सकों से उनके उपचार की स्थिति पर चर्चा की थी और उचित इलाज तथा बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे।

झारखंड के आदिवासी समाज के लिए बड़ी क्षति

मंगल मुंडा के निधन से न केवल उनके परिवार, बल्कि झारखंड के आदिवासी समाज के लिए भी एक बड़ा सदमा लगा है। वह बिरसा मुंडा के परिजनों में से एक थे और उनका निधन आदिवासी समुदाय में एक गहरी शोक की लहर लेकर आया है। उनकी जिंदादिली और समाज सेवा के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।

मंगल मुंडा के निधन के बाद उनके परिवार और समर्थकों में शोक की लहर है। उनका योगदान और आदिवासी समाज के प्रति उनका प्रेम हमेशा झारखंड की जनता के दिलों में जीवित रहेगा।

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