Sanjauli Masjid Vivad: मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खुद गिराई जेल रोड मस्जिद की सुरक्षा दीवार, PWD की जमीन पर अवैध रूप से किया गया निर्माण, जानिए...

Sanjauli Masjid Vivad: मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खुद गिराई जेल रोड मस्जिद की सुरक्षा दीवार, PWD की जमीन पर अवैध रूप से किया गया निर्माण, जानिए...
Last Updated: 12 सितंबर 2024

संजौली मस्जिद विवाद के बीच मंडी के जेल रोड पर स्थित मस्जिद की सुरक्षा दीवार गिरा दी गई है। मुस्लिम पक्ष ने स्वयं ही अवैध लोक निर्माण विभाग की ज़मीन पर बनी मस्जिद की सुरक्षा दीवार और कमरे को गिरा दिया है। यह कार्रवाई विवाद के समाधान के लिए की गई है। इसके अलावा, मस्जिद की ऊपर की दो मंजिलों को लेकर शुक्रवार को आयुक्त कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। इस फैसले का इंतजार किया जा रहा है, जो विवादित निर्माण के कानूनी पहलुओं पर निर्णय करेगा।

मंडी: शिमला के संजौली मस्जिद विवाद से सबक लेते हुए, मंडी के जेल रोड पर मुस्लिम समुदाय ने लोक निर्माण विभाग की ज़मीन पर अवैध रूप से बनाई गई सुरक्षा दीवार और कमरे को स्वयं गिरा दिया। यह कार्रवाई गुरुवार दोपहर करीब सवा तीन बजे की गई, जब लोक निर्माण विभाग और पुलिस की टीम जेल रोड पर पहुंची और मुस्लिम पक्ष के लोगों से बातचीत की। इसके बाद, मुस्लिम समुदाय ने सुरक्षा दीवार गिराने पर सहमति दे दी।

मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी ने लोक निर्माण विभाग की करीब 33 वर्गमीटर भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा था। अब मस्जिद के ऊपर अवैध रूप से बनाई गई दो मंजिलों को लेकर आयुक्त कोर्ट शुक्रवार को अपना निर्णय सुनाएगा। इसके साथ ही, छह सदस्यीय कमेटी भी आयुक्त को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जो इस विवादित निर्माण की वैधता पर आधारित होगी।

मंगलवार को मामले की सुनवाई के बाद लिया दीवार गिराने का फैसला

जेल रोड पर मस्जिद के अवैध निर्माण मामले की सुनवाई मंगलवार को नगर निगम मंडी के आयुक्त के न्यायालय में हुई थी। इस सुनवाई के दौरान, मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी निर्माण कार्य से संबंधित कोई भी रिकॉर्ड न्यायालय के समक्ष पेश नहीं कर पाई। नगर निगम ने सोसाइटी के प्रधान को नोटिस जारी करते हुए, लोक निर्माण विभाग और नगर निगम से संबंधित एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) और ढांचे का स्वीकृत नक्शा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम विवाद के समाधान और वैधता की पुष्टि के लिए आवश्यक दस्तावेजों की मांग को पूरा करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य विवादित निर्माण के कानूनी और नियमों के अनुसार स्थिति को स्पष्ट करना है। न्यायालय और संबंधित विभागों की कार्रवाई से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्माण कार्य नियमों और कानूनों के अनुसार हो।

सोसाइटी की ओर से पेश चार सदस्यों ने न्यायालय को बताया कि उन्होंने निर्माण कार्य से पहले नक्शे के लिए आवेदन किया था। हालांकि, उस आवेदन पर कुछ आपत्तियां लगाई गई थीं, जिनका समाधान नहीं किया गया, और इसके कारण निगम ने आवेदन को रद्द कर दिया था। सुनवाई करीब 15 मिनट तक चली, जिसमें सोसाइटी के सदस्यों ने इस मामले की जानकारी दी। अब, नगर निगम और लोक निर्माण विभाग द्वारा मांगे गए आवश्यक दस्तावेजों और एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) के बिना, मस्जिद के अवैध निर्माण की वैधता और नियमानुसार स्थिति की समीक्षा की जाएगी।

छह सदस्यीय कमेटी को लगाया मामले की जांच में 

मस्जिद में हुए अवैध निर्माण के विवाद को देखते हुए, उपायुक्त एचएस राणा ने मामले की सुनवाई के बाद एक छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इस कमेटी की अध्यक्षता अतिरिक्त आयुक्त विकास शर्मा कर रहे हैं और इसमें निम्नलिखित सदस्य शामिल हैं:

* अधिशाषी अभियंता: दीपक महाजन

* सहायक अभियंता: एचसी जसवाल

* कनिष्ठ अभियंता: सिद्धार्थ शर्मा

* वर्क सुपरवाइजर: सुरेश कुमार

* वीडियोग्राफर

इसके अलावा, तहसीलदार सदर को राजस्व से संबंधित मामलों की देखरेख करने के लिए और थाना प्रभारी सदर को कमेटी के सदस्यों को निरीक्षण के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिए निर्देशित किया गया है। यह कमेटी मस्जिद के अवैध निर्माण की स्थिति का गहराई से निरीक्षण करेगी और उचित रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिससे विवाद का समाधान सुनिश्चित किया जा सके।

आयुक्त ने 12 सितंबर की शाम तक मांगी फाइनल रिपोर्ट

आयुक्त ने छह सदस्यीय कमेटी को 12 सितंबर तक निर्माण कार्य से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। कमेटी को विशेष रूप से यह जांच करने के निर्देश दिए गए थे कि नोटिस जारी करने के बाद कोई अवैध निर्माण हुआ है या नहीं। इस प्रक्रिया के तहत, नगर निगम ने नोटिस के बाद वीडियोग्राफी करवाई थी, जिसे ताजा वीडियोग्राफी के साथ पुरानी वीडियोग्राफी का मिलान किया गया। यह मिलान यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि क्या नोटिस के बाद कोई नया अवैध निर्माण किया गया है या मौजूदा निर्माण में कोई बदलाव किया गया है। कमेटी की रिपोर्ट और वीडियोग्राफी की समीक्षा के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी, जो अवैध निर्माण के समाधान और विवाद के निष्पादन में सहायक होगी।

 

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