बिहार की प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा का 72 वर्ष की आयु में निधन एक बड़ी सांस्कृतिक क्षति है। शारदा सिन्हा, जिन्हें "बिहार की स्वर कोकिला" और छठ गीतों की पहचान के रूप में जाना जाता था, उनका दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज के दौरान 5 नवंबर को रात 9:20 बजे निधन हो गया।
पटना: लोक संगीत की महान गायिका और "बिहार कोकिला" के नाम से विख्यात शारदा सिन्हा का 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया, जिससे संगीत प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्हें छठ गीतों की विशेष पहचान के साथ-साथ पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा गया था। शारदा सिन्हा पिछले छह वर्षों से ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं। उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद 26 अक्टूबर को उन्हें दिल्ली के एम्स के कैंसर सेंटर में भर्ती कराया गया था, जहाँ मंगलवार रात 9:20 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
लोक गायिकी की महान हस्ती शारदा सिन्हा का खास संयोग यह है कि उन्होंने छठ पर्व की शुरुआत के साथ ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया। यह वही पर्व है जिसके गीतों से उन्होंने अपने नाम को लोक संगीत में अमर कर दिया। शारदा सिन्हा का जाना लोक संगीत जगत में एक अपूरणीय क्षति है। उनकी आवाज ने छठ पर्व के गीतों को न केवल बिहार और उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश में एक विशेष पहचान दिलाई। उनके गीतों में इतनी सजीवता और भक्ति थी कि वे हर साल छठ पर्व पर सुनने वालों के दिलों को छू जाते थे। उनके निधन से लोक संगीत की यह धरोहर खो गई है, जिसने अपनी सांस्कृतिक गहराई से इस पर्व को और भी खास बना दिया था।
कब और कहां होगा शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार?
लोक गायिका शारदा सिन्हा के अंतिम संस्कार की तैयारियां पूरी हो गई हैं। उनका पार्थिव शरीर आज सुबह 9:40 बजे की इंडिगो फ्लाइट से दिल्ली से पटना ले जाया जाएगा। बीती रात 3:30 बजे शारदा सिन्हा के शव को एम्स से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचाया गया था। बिहार में उनकी लोकप्रियता और उनके योगदान को देखते हुए, पटना में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा, जैसा कि अभिनेता और राजनेता मनोज तिवारी ने जानकारी दी।
शारदा सिन्हा के पार्थिव शरीर को पटना में कल दोपहर 12 बजे के बाद अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा, ताकि उनके प्रशंसक और चाहने वाले उन्हें अंतिम विदाई दे सकें। ठीक एक दिन बाद, 7 नवंबर को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं शारदा
लोक गायिका शारदा सिन्हा का जीवन हाल के वर्षों में कई कठिनाइयों से भरा रहा। वे 2017 से मल्टिपल मायलोमा (ब्लड कैंसर) से जूझ रही थीं, और इसी बीमारी के कारण उन्हें 25 अक्टूबर को एम्स में भर्ती कराया गया था। उनके बेटे अंशुमन ने बताया था कि उनकी सेहत में लगातार गिरावट आ रही थी। इस दुखद समय में, शारदा सिन्हा को अपने पति बृजकिशोर सिन्हा की मृत्यु का भी सामना करना पड़ा, जिनका 22 सितंबर को ब्रेन हेमरेज के कारण निधन हो गया। पति के जाने का गहरा प्रभाव उनकी सेहत पर पड़ा और वे भावनात्मक और शारीरिक दोनों रूप से कमजोर हो गईं।
शारदा को मिल चूका था पद्मभूषण
शारदा सिन्हा का इस दुनिया से जाना लोक संगीत प्रेमियों के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपनी मधुर आवाज से भोजपुरी के सौ से अधिक गानों को जीवन दिया और छठ पर्व के गीतों में उनकी आवाज हर साल एक नई ऊर्जा का संचार करती थी। शारदा सिन्हा का योगदान इतना महत्वपूर्ण रहा कि उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। उनके गीत न केवल बिहार और उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश में छठ पूजा के समय श्रद्धा और प्रेम के साथ सुने जाते हैं और उनकी विरासत आने वाले समय में भी इसी तरह जीवित रहेगी।