छत्तीसगढ़: जग्गी हत्याकांड मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ख़ारिज की अपील, 27 आरोपियों की सजा को रखा बरकरार

छत्तीसगढ़: जग्गी हत्याकांड मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ख़ारिज की अपील, 27 आरोपियों की सजा को रखा बरकरार
Last Updated: 04 अप्रैल 2024

छत्तीसगढ़ अदालत ने जग्गी हत्या कांड के दोषियों की सजा बरकरार रखते हुए, कोर्ट की डिवीजन बेंच ने आरोपियों की अपील खारिज कर दी। उनकी उम्र कैद की सजा को भी बेकरार रखा। subkuz.com को लेकर आया है आपके लिए इस पुरे मामले की जानकारी

Chhattisgarh जग्गी हत्याकांड: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर के बहुचर्चित जग्गी हत्या कांड में सभी आरोपियों की सजा बरकरार रखी है। बताया जा रहा है कि कोर्ट ने चर्चित जग्गी हत्याकांड मामले के तमाम आरोपियों की अपील खारिज कर दी है। इस मामले में पूर्व 27 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। सजा के खिलाफ याचिका अपील करने पर चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने याचिका खारिज करते हुए उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है।

जग्गी हत्याकांड मामले में याचिका ख़ारिज

subkuz.com को मिली जानकारी के अनुसरा, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में राकांपा नेता रामावतार जग्गी हत्याकांड के 23 आरोपियों की दायर अपील को खारिज कर दिया है चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा डिवीजन बेंच ने उनकी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। बताया जा रहा है कि उनकी राकांपा नेता रामावतार जग्गी हत्याकांड के दोषियों की अपील पर बीते 29 फरवरी को बहस पूरी हो गई थी। और कोर्ट ने इस फैसले को सुरक्षित रख लिया था। उम्रकैद की सजा पाने वालों में दो तत्कालीन CSP और एक थाना प्रभारी के अलावा याहया ढेबर और शूटर चिमन सिंह भी शामिल हैं।

जाने क्या था जग्गी हत्याकांड मामला

subkuz.com को मिले सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल के समय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता रामावतार जग्गी की 4 जून 2003 में हत्या कर दी गई। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में गोली मारकर इस घटना को अंजाम दिया गया था। इस घटना के बाद पुरे क्षेत्र में हंगामा मच गया था। बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के दौरान हुई इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस की जांच सीबीआई डिपार्टमेंट को सौंपी गई थी। सीबीआई ने इस केस में अमित जोगी सहित 31 लोगों को दोषी बनाया था, जिनमें से दो बल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह के रुप में आये थे। इस केस में विशेष अदालत ने 2007 में पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को रिहा कर दिया था। बाकी 23 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। और अन्य को 5-5 साल की सजा सुनाई गई थी।

सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर अदालत के उम्रकैद के फैसले को चुनौती दी थी। आरोपियों की अपील को खारिज होने पर रामवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने कहा कि मुझे अदालत के फैसले पर पूरा भरोसा था। उन्होंने कहा कि हमारे परिजन शुरू से कहते रहे कि ये एक राजनतिक षड़यंत्र था। जिसमें सभी को सजा भुगतनी होगी। 

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