Columbus

बांग्लादेश लौट पाएंगी शेख हसीना? जानें सियासी चुनौतियां और भविष्य की रणनीति

🎧 Listen in Audio
0:00

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना इस समय भारत में निर्वासन की स्थिति में हैं, लेकिन बांग्लादेश में होने वाले आगामी आम चुनावों को लेकर उनके नाम की चर्चा फिर से तेज हो गई है। 

Bangladesh Elections: बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति काफी दिलचस्प और ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ी है। शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद अब देश मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के तहत चल रहा है, और 15 वर्षों में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि बांग्लादेश में शेख हसीना की गैरमौजूदगी में आम चुनाव होगा।

वर्तमान परिदृश्य: अस्थायी सत्ता और अनिश्चित भविष्य

शेख हसीना की सरकार को पिछले साल दिसंबर में अचानक विरोध प्रदर्शनों के बीच सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। इसके बाद अंतरिम सरकार का गठन हुआ, जिसकी अगुवाई कर रहे हैं अर्थशास्त्री से नेता बने मोहम्मद यूनुस। यूनुस ने सत्ता संभालते ही देश में स्थिरता के नाम पर सख्त कदम उठाए और हसीना समर्थकों पर कार्रवाई तेज कर दी गई। फिलहाल अंतरिम सरकार का जोर नए संविधान और व्यवस्था परिवर्तन पर है, न कि चुनाव की जल्दबाज़ी पर।

क्या चुनावी मैदान में उतर सकती हैं शेख हसीना?

बांग्लादेशी चुनाव कानूनों के मुताबिक, यदि किसी पार्टी या नेता पर प्रतिबंध नहीं है और वह कानून के दायरे में है, तो चुनाव में भाग लेने पर कोई रोक नहीं है। तकनीकी रूप से, शेख हसीना या उनकी पार्टी आवामी लीग चुनाव लड़ सकती है, बशर्ते कि पार्टी पर आधिकारिक प्रतिबंध न लगे और उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामलों में दोष सिद्ध न हुआ हो।

लेकिन व्यवहारिक स्थिति अलग है। यूनुस सरकार ने हसीना पर प्रदर्शनकारियों की मौत और मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप लगाया है। अगर वह बांग्लादेश लौटती हैं, तो गिरफ्तारी की संभावना काफी प्रबल है। ऐसे में चुनाव लड़ना कानूनी के बजाय राजनीतिक चुनौती बन जाता है।

भारत में निर्वासन: रणनीति या मजबूरी?

भारत में रह रहीं शेख हसीना को लेकर यह भी चर्चा है कि वह भले ही निर्वासन में हों, लेकिन राजनीतिक रूप से अभी भी सक्रिय हैं। आवामी लीग की वरिष्ठ नेताओं के साथ उनकी वर्चुअल मीटिंग्स चल रही हैं और वह संभावित गठबंधन या रणनीति पर काम कर रही हैं। भारत की ओर से फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन कूटनीतिक स्तर पर दिल्ली की नजरें ढाका की राजनीति पर टिकी हैं।

मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि आम चुनाव 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में कराए जा सकते हैं। यह समयावधि शेख हसीना के लिए उम्मीद की एक खिड़की जरूर खोलती है। अगर तब तक उनके खिलाफ केसों की स्थिति स्पष्ट हो जाती है या अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते किसी तरह की रियायत मिलती है, तो वह राजनीतिक वापसी कर सकती हैं।

Leave a comment