शुक्रवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाकात की। इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें श्रीलंका की आर्थिक पुनर्निर्माण प्रक्रिया में भारत के सहयोग को लेकर बात की गई।
India-Sri Lanka: शुक्रवार, 4 अक्टूबर को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाकात की। इस महत्वपूर्ण बैठक में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने और आपसी संबंधों को मजबूत करने के विभिन्न तरीकों पर चर्चा की गई। जयशंकर ने श्रीलंका की आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया और क्षेत्रीय सहयोग को और गहरा करने पर जोर दिया।
इस अवसर पर, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके को आश्वासन दिया कि भारत आर्थिक पुनर्निर्माण में सहयोग जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति का महत्वपूर्ण बयान
श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने एक बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से स्पष्ट किया कि श्रीलंकाई क्षेत्र से किसी भी प्रकार की भारत विरोधी गतिविधियां नहीं की जाएंगी। गौरतलब है कि एस जयशंकर, अनुरा कुमार दिसानायके के राष्ट्रपति बनने के बाद श्रीलंका का दौरा करने वाले पहले विदेश मंत्री हैं।
अनुरा कुमार दिसानायके ने उठाए सवाल
विपक्ष में रहते हुए, अनुरा कुमार दिसानायके ने कई भारतीय परियोजनाओं, विशेषकर अडाणी समूह द्वारा संचालित सतत ऊर्जा परियोजनाओं पर सवाल उठाए थे। इस दौरान उन्होंने यह वादा किया था कि यदि वे सत्ता में आते हैं, तो इन परियोजनाओं को रद्द कर देंगे। उनका कहना था कि ये परियोजनाएं श्रीलंका के हितों के खिलाफ हैं।
श्रीलंका के विदेश मंत्री से एस जयशंकर की मुलाकात
हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ से कोलंबो में मुलाकात की। जयशंकर ने इस मुलाकात के बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि उनके साथ गहन और विस्तृत चर्चा हुई। उन्होंने विजिता हेराथ को उनकी नई जिम्मेदारी के लिए पुनः शुभकामनाएं दीं।
जयशंकर ने बताया कि इस बातचीत में भारत-श्रीलंका साझेदारी के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की गई और श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के निरंतर समर्थन की प्रतिबद्धता दोहराई गई। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की "पड़ोस पहले" नीति और "सागर दृष्टिकोण" दोनों देशों के बीच संबंधों की दिशा तय करने में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे ।