प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अप्रैल में श्रीलंका की आधिकारिक यात्रा पर जा सकते हैं। यह दौरा बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन के बाद संभावित है, जब पीएम मोदी बैंकॉक से लौटते समय कोलंबो का दौरा करेंगे।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अप्रैल में श्रीलंका की आधिकारिक यात्रा पर जा सकते हैं। यह दौरा बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन के बाद संभावित है, जब पीएम मोदी बैंकॉक से लौटते समय कोलंबो का दौरा करेंगे। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के निमंत्रण पर यह यात्रा प्रस्तावित है, जिससे दोनों देशों के बीच बहुपक्षीय सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों को नई गति मिलने की उम्मीद हैं।
श्रीलंका के आमंत्रण पर पीएम मोदी की यात्रा
श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके ने पिछले साल दिसंबर में अपनी भारत यात्रा के दौरान पीएम मोदी को औपचारिक रूप से श्रीलंका आने का निमंत्रण दिया था। उन्होंने भारतीय नेतृत्व के साथ व्यापार, निवेश और रणनीतिक सहयोग पर चर्चा की थी। अब पीएम मोदी के इस दौरे से दोनों देशों के बीच साझेदारी को और मजबूती मिलेगी, विशेष रूप से आर्थिक सहयोग, सुरक्षा साझेदारी और बुनियादी ढांचे के विकास पर बातचीत होने की संभावना हैं।
भारत-श्रीलंका संबंधों में नया अध्याय
पीएम मोदी इससे पहले तीन बार श्रीलंका की यात्रा कर चुके हैं। मार्च 2015 में उन्होंने श्रीलंका का दौरा किया था, जो 1987 के बाद किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। इसके बाद 2017 में बुद्ध जयंती समारोह में भाग लेने और 2019 में ईस्टर संडे आतंकी हमलों के बाद श्रीलंका के प्रति समर्थन जताने के लिए उन्होंने कोलंबो का दौरा किया था। इस बार की यात्रा दोनों देशों के लिए रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
कूटनीतिक और आर्थिक सहयोग पर रहेगा फोकस
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों में गंभीर संकटों से गुजरी है, और भारत ने इस मुश्किल समय में पड़ोसी देश की मदद के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारत ने श्रीलंका को वित्तीय सहायता, ईंधन आपूर्ति, दवाएं और खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराए थे। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक सुधारों, व्यापार समझौतों, कनेक्टिविटी परियोजनाओं और ऊर्जा सहयोग पर व्यापक चर्चा होने की संभावना हैं।
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनजर भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी भी चर्चा का अहम मुद्दा होगी। दोनों देश इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए संयुक्त रक्षा अभ्यास और समुद्री गश्त जैसे उपायों पर सहयोग बढ़ा सकते हैं।
क्या होगा इस यात्रा का महत्व?
आर्थिक पुनरुद्धार: श्रीलंका को भारत से और अधिक आर्थिक सहयोग मिलने की संभावना।
बुनियादी ढांचा विकास: कनेक्टिविटी, रेलवे, ऊर्जा और बंदरगाह परियोजनाओं पर नए समझौते हो सकते हैं।
रक्षा सहयोग: समुद्री सुरक्षा और रक्षा समझौतों पर चर्चा होगी।
सांस्कृतिक रिश्ते: बौद्ध तीर्थ स्थलों और पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा सकता हैं।