पतंजलि केस: भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव और बालकृष्ण को लगाई फटकार, सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया माफीनामा

पतंजलि केस: भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव और बालकृष्ण को लगाई फटकार, सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया माफीनामा
Last Updated: 11 अप्रैल 2024

सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक (Managing Director) बालकृष्ण द्वारा दायर बिना शर्त माफ़ी का हलफनामे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने इस मुद्दे पर राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के साथ रामदेव को फटकार लगाई।

पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामला: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और बालकृष्ण को कोर्ट में पेश किया गया। इस मामले में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच आज कोर्ट में सुनवाई कर रही है।इससे पहले बाबा रामदेव ने 2 अप्रैल को हुई सुनवाई में ये माफीनामा 'गुमराह करने वाले' विज्ञापनों को जारी करने के मामले में दायर किया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 16 अप्रैल को पेश होने को कहा है।

हलफनामा को स्वीकार करने से किया इनकार

subkuz.com को मिली जानकरी के अनुसार, कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल (एसजी) ने कहा कि हमने इस भ्रामक विज्ञापन मामले में सुझाव दिया था कि बिना शर्त के माफी मांगी जाए। अदालत ने बाबा रामदेव का बिना शर्त की माफी का हलफनामा स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया है। आगे जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि इन लोगों ने 3 बार हमारे आदेशों को नजरअंदाज किया है। इन लोगों ने आदेश मानने की गलती की है तो इनको नतीजा भी भुगतना होगा।

स्वामी रामदेव और MD बालकृष्ण का हलफनामा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के हलफनामों को लेकर अदालत का मानना है कि वे कोर्ट में अपनी पेशी से बचने की साजिश कर रहे थे। बताया कि अदालत से की गई शर्त के बाद भी पतंजलि कंपनी ने अपने भ्रामक विज्ञापन बंद नहीं किए अथवा जारी रखे हुए थे जिसके दौरान दोनों ने बिना शर्त माफी वाला हलफनामा कोर में दायर किया था।

बता दें कि इससे पहले के हलफनामें में दोनों ने अदालत से सुनवाई के दौरान निजी उपस्थिति से छूट की मांग की थी। उनकी रियायती मांग थी कि सुनवाई के दौरान उनकी यात्रा का कार्यक्रम है, जबकि इस हलफ़नामे में शपथ के आधार पर ऐसा कोई टिकट अस्तित्व में नहीं था। उन्होंने बाद में हलफनामे के साथ टिकट को जोड़ा।"

 

अदालत ने माफीनामा ठुकराया

मिली जानकारी के अनुसार, मामले में जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, हलफनामे में धोखाधड़ी की जा रही है, इसे किसने तैयार किया? मुझे आश्चर्य है। वहीं जस्टिस कोहली ने कहा कि आपको ऐसा हलफनामा दायर नहीं करना चाहिए था। इस पर वकील रोहतगी ने कहा कि हमसे भूल हुई है। इस  बहस पर अदलात ने कहा- भूल चूक! बहुत छोटा शब्द। वैसे भी हम इस मामले पर फैसला किया जाएगा। ये एक तरह कोर्ट की अवहेलना है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। जस्टिस कोहली ने कहा -''हम पतंजलि द्वारा दायर हलफनामा को ठुकरा रहे हैं ये केवल एक कागज का टुकड़ा है। लेकिन हम अंधे नहीं हैं! हमें सब दिखता है।''

इस केस में रामदेव और बालकृष्ण के पक्ष में सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि लोगो से गलतियां हो जाती है, उनके मुवक्किल जनता से भी माफी मांगने के लिए पूर्णतः तैयार हैं। इस बयान पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने पतंजलि को बिना किसी शर्त के माफी मांगने की सलाह दी थी। कोर्ट ने कहा, इन्होनें गलती की है तो इसका भुगतान भी करना पड़ेगा। हम इस मामले में उदार नहीं होना चाहते।

लाइसेंसिंग प्राधिकरण को लगाई फटकार: कोर्ट

बताया जा रहा है कि आख़िरी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी से इस मामले पर जवाब देने लिए कहा था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों की जानकारी मिलने पर उसने कंपनी के ख़िलाफ़ कौनसे कदम उठाए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,साल 2018-19 में ही पहली बार उसे इन भ्रामक विज्ञापनों के बारे में जानकारी दी गई थी। इन्होनें फाइल आगे बढ़ाने के अलावा राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी के सक्षम अधिकारीयों ने कुछ नहीं किया।''

अधिकारीयों को फटकार लगते हुए कहा कि, ''इन तीनों ड्रग्स लाईसेंसिंग अधिकारियों को इसी वक्त सस्पेंड किया जाए। ये लोग अपना दबदबा बना रहे हैं, क्या आप इसे स्वीकार करते हैं? आयुर्वेद दवाओं का कारोबार करने वाली उनसे भी अधिक पुरानी कंपनियां अथापित हैं। ऐसे मामलों से अदालत का मजाक बनाया जा रहा है। आगे बताया कि इनका कहना है कि विज्ञापन का उद्देश्य लोगों को आयुर्वेदिक दवाओं से जोड़े रखना है, मानो वे दुनिया में आयुर्वेदिक दवाएं लाने वाले पहले व्यक्ति हों।

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