First Person To Reach Antarctica: साउथ पोल पर पहली बार पहुंचकर नॉर्वे के रोआल्‍ड एमंडसन ने रचा था इतिहास, पढ़ें इनके जीवन की कहानी

First Person To Reach Antarctica: साउथ पोल पर पहली बार पहुंचकर नॉर्वे के रोआल्‍ड एमंडसन ने रचा था इतिहास, पढ़ें इनके जीवन की कहानी
Last Updated: 14 दिसंबर 2024

रोआल्‍ड एमंडसन (Roald Amundsen) का नाम इतिहास में साहस, दृढ़ इच्छाशक्ति और अन्वेषण के लिए अमर है। वह 14 दिसंबर 1911 को दक्षिण ध्रुव (साउथ पोल) पर पहुंचने वाले पहले इंसान बने। उनकी इस ऐतिहासिक यात्रा ने मानव इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा था।

लाइफस्टाइल: रोआल्ड एमंडसन (Roald Amundsen) का दक्षिण ध्रुव अभियान मानव इतिहास के सबसे साहसिक और प्रेरणादायक अभियानों में से एक है। 19 अक्टूबर 1911 को एमंडसन अपनी टीम के तीन साथियों और 52 कुत्तों के साथ अंटार्कटिका की ओर रवाना हुए। कठिन परिस्थितियों और बर्फीली हवाओं के बीच, उन्होंने दो महीने की लंबी यात्रा के बाद 14 दिसंबर 1911 को दक्षिण ध्रुव पर कदम रखा और नॉर्वे का झंडा फहराया। 

इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने उन्हें दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला व्यक्ति बना दिया। हालांकि, इस अभियान के दौरान उनकी टीम ने कई कठिनाइयों का सामना किया। बर्फ से ढके अंटार्कटिका में तापमान -60°C तक गिर जाता है और यहां दिन और रात का पता लगाना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि छह महीने तक सूरज नहीं उगता और छह महीने तक अस्त नहीं होता। समुद्र तल से 2,835 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान को पृथ्वी के सबसे ठंडे और दुर्गम स्थानों में से एक माना जाता हैं।

रोआल्ड एमंडसन की कैसी रही यात्रा?

रोआल्ड एमंडसन और उनकी टीम ने अंटार्कटिका तक पहुंचने के लिए पूरी तैयारी की थी। उन्होंने स्लेज खींचने के लिए 52 कुत्तों का इस्तेमाल किया। कठिन और बर्फीली परिस्थितियों का सामना करते हुए, टीम ने 14 दिसंबर 1911 को दक्षिण ध्रुव पर पहुंचकर इतिहास रच दिया। हालांकि, यात्रा के दौरान मुश्किल हालातों में जब खाने की कमी हुई, तो टीम ने अपने कुत्तों का सहारा लिया और कुछ कुत्तों को मारकर उनका मांस खाया। अभियान के अंत तक केवल 16 कुत्ते ही जीवित बचे थे।

एमंडसन की इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद, 1 नवंबर 1911 को नॉर्वे के ही रॉबर्ट स्कॉट ने अपनी टीम के साथ अंटार्कटिका के लिए यात्रा शुरू की। 17 जनवरी 1912 को स्कॉट की टीम दक्षिण ध्रुव पर पहुंची, लेकिन वहां उन्हें यह जानकर निराशा हुई कि एमंडसन ने पहले ही दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने का गौरव हासिल कर लिया है। दुर्भाग्यवश, स्कॉट और उनकी टीम वापसी के दौरान कठिन मौसम और खाद्य सामग्री की कमी के चलते अंटार्कटिका में ही मृत्यु को प्राप्त हो गई। 

रोआल्ड एमंडसन की शानदार उपलब्धि

रोआल्ड एमंडसन की उपलब्धि ने उस समय न केवल अंटार्कटिका के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प और अटूट इच्छाशक्ति से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। उनकी इस सफलता ने उन्हें एक वैश्विक नायक बना दिया। हालांकि, उनकी जीवन यात्रा का अंत भी रहस्यमय परिस्थितियों में हुआ। 18 जून 1928 को, नॉर्थ पोल से लौटते समय उनका विमान लापता हो गया था। इस विमान में रोआल्ड एमंडसन भी सवार थे। इसके बाद कई प्रयास किए गए, लेकिन न तो विमान और न ही उसमें सवार लोगों का कोई सुराग मिल सका। 

रोआल्ड एमंडसन का दुखद अंत 

रोआल्ड एमंडसन के अद्वितीय साहस और उपलब्धियों के बावजूद, उनका अंत दुखद और रहस्यमय रहा। ऐसा माना जाता है कि 1928 में विमान हादसे के दौरान 55 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई थी। इस हादसे के बाद एमंडसन और अन्य सवार लोगों के शवों की तलाश जारी रही, लेकिन 2003 में की गई एक और खोज के बावजूद कोई ठोस परिणाम नहीं मिल सका।

आज, जिस अंटार्कटिका को उन्होंने पहली बार अपने साहस और दृढ़ता से जीता, वह वैज्ञानिक अनुसंधान का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। यहां विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान स्टेशन स्थित हैं, जहां जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियरों की गति और पृथ्वी के पर्यावरण से जुड़े अनेक अध्ययन किए जाते हैं। एमंडसन की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने अंटार्कटिका को न केवल भौगोलिक खोजों का बल्कि वैज्ञानिक संभावनाओं का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बना दिया।

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