22 March: नादिर शाह का दिल्ली में कत्लेआम, इतिहास का काला दिन

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22 मार्च का दिन भारतीय इतिहास के सबसे भयावह दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन 1739 में फारस (अब ईरान) के बादशाह नादिर शाह ने दिल्ली में कत्लेआम का आदेश दिया था। कहा जाता है कि कुछ ही घंटों में हजारों लोगों की जान ले ली गई थी, और शहर की गलियां लाशों से पट गई थीं।

कैसे हुआ नादिर शाह का दिल्ली पर हमला?

फारसी सम्राट नादिर शाह की निगाहें भारत की संपत्ति और धन-संपदा पर टिकी थीं। 1739 में उसने भारत पर हमला किया और करनाल में मुगल सम्राट मोहम्मद शाह रंगीला की सेना को करारी शिकस्त दी। यह युद्ध 24 फरवरी को हुआ था, और मुगल सेना की हार के बाद नादिर शाह ने दिल्ली की ओर कूच किया।

दिल्ली में प्रवेश करने के बाद नादिर शाह ने मुगल दरबार को अपने अधीन कर लिया और शहर की संपत्ति लूटनी शुरू कर दी। इसी दौरान, दिल्ली के स्थानीय लोगों और नादिर शाह की सेना के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें फारसी सैनिकों की मौत हो गई। इससे गुस्साए नादिर शाह ने 22 मार्च 1739 को कत्लेआम का आदेश जारी कर दिया।

जब दिल्ली की गलियां लाशों से भर गईं

नादिर शाह की फौज ने बेगुनाह लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतारा। कहा जाता है कि महज 6 घंटे में ही 30,000 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी गई थी। पुरानी दिल्ली की गलियां खून से सन गई थीं। चांदनी चौक, दरियागंज, कश्मीरी गेट और लाल किले के आसपास का इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। इस दौरान नादिर शाह ने दिल्ली से कोहिनूर हीरा और तख्त-ए-ताउस (मुगल शाही सिंहासन) भी लूट लिया, जिसे वह अपने साथ ईरान ले गया।

22 मार्च को हुईं अन्य ऐतिहासिक घटनाएं

1890 – रामचंद्र चटर्जी भारत के पहले व्यक्ति बने जिन्होंने पैराशूट से छलांग लगाई।
1893 – चटगांव विद्रोह के महान क्रांतिकारी सूर्य सेन का जन्म हुआ।
1947 – लॉर्ड माउंटबेटन भारत के आखिरी वायसराय के रूप में दिल्ली पहुंचे।
1977 – आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली और इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
2000 – फ्रेंच गुयाना से भारत के संचार उपग्रह इनसैट-3B का सफल प्रक्षेपण किया गया।

नादिर शाह के कत्लेआम का भारत पर प्रभाव

इस कत्लेआम ने मुगल साम्राज्य को पूरी तरह कमजोर कर दिया। नादिर शाह के हमले ने मुगल सत्ता की जड़ों को हिला दिया, जिससे भारत में बाद में मराठों और अंग्रेजों का प्रभाव बढ़ा। 22 मार्च का दिन भारतीय इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक है। नादिर शाह का कत्लेआम एक ऐसी त्रासदी थी, जिसने दिल्ली के लोगों को खून के आंसू रुला दिए। यह घटना न केवल मुगल साम्राज्य के पतन की शुरुआत बनी, बल्कि भारत के भविष्य की राजनीति को भी हमेशा के लिए बदल कर रख दिया।

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