सफेद मौसम, भारी वजन और गलत टेकऑफ सेटिंग—जैसे फ्लैप्स, थ्रस्ट और लैंडिंग गियर—की वजह से Ahmedabad AI‑171 Boeing 787‑8 टेकऑफ में फेल रहा। 825 फीट ऊँचाई पर क्रैश हुआ। Human-config error को प्रमुख कारण माना जा रहा है।
Ahmedabad Plane Crash: 12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 (Boeing 787-8 Dreamliner, रजिस्ट्रेशन VT-ANB) टेकऑफ के कुछ मिनटों बाद ही क्रैश हो गई। हादसा मेघानी नगर जैसे घनी आबादी वाले इलाके में हुआ, जिसमें 300 से ज़्यादा लोग मारे गए। यह भारत के विमानन इतिहास का सबसे बड़ा हादसा साबित हुआ।
क्या है कॉन्फिगरेशन एरर?
विमान जब रनवे से उड़ान भरता है, तो उसे कई सेटिंग्स की ज़रूरत होती है - जैसे फ्लैप्स, थ्रस्ट, रोटेशन स्पीड और गियर सेटिंग। इनमे से किसी भी एक सेटिंग की गलती को 'कॉन्फिगरेशन एरर' कहा जाता है।
उदाहरण के लिए:
- फ्लैप्स सही एंगल पर न होना
- थ्रस्ट (इंजन की ताकत) कम होना
- समय से पहले या बाद में रोटेशन
- टेकऑफ के बाद लैंडिंग गियर न उठाना
ये सभी छोटी दिखने वाली गलतियां टेकऑफ को असफल बना सकती हैं, खासकर गर्म मौसम और भारी वजन जैसे हालात में।
अहमदाबाद की गर्मी और हालात ने हादसे को गंभीर बनाया
हादसे के वक्त अहमदाबाद का तापमान 43°C था। इस तापमान पर हवा हल्की होती है, जिससे विमान को पर्याप्त लिफ्ट नहीं मिलती। ऐसे मौसम में टेकऑफ के लिए फ्लैप्स और थ्रस्ट की सेटिंग बिल्कुल सटीक होनी चाहिए। विमान पूरा ईंधन लेकर भरा हुआ था क्योंकि उसे लंदन तक उड़ना था। ऐसे में उसका वजन करीब 227 टन था — यह Boeing 787 की क्षमता के करीब था।
क्या टेकऑफ में गड़बड़ी हुई?
जांच में सामने आया कि विमान सिर्फ 825 फीट की ऊंचाई तक ही पहुंच सका और उसकी गति 174 नॉट्स (करीब 320 किमी/घंटा) थी। जबकि इस वजन पर 787 को कम से कम 200-250 नॉट्स की रफ्तार चाहिए होती है। क्रैश से ठीक पहले का वीडियो यह दिखाता है कि विमान का लैंडिंग गियर नीचे था। इससे साफ होता है कि टेकऑफ के बाद जरूरी क्लाइंब शुरू नहीं हुआ।
फ्लैप्स और थ्रस्ट में गड़बड़ी की आशंका सबसे ज्यादा
अगर फ्लैप्स कम लगाए गए (जैसे Flaps 0), तो लिफ्ट नहीं बनती। और अगर ज्यादा फ्लैप्स (जैसे Flaps 20) लगाए गए, तो ड्रैग बढ़ता है और स्पीड नहीं बनती। अहमदाबाद जैसी गर्म जगह पर फ्लैप्स का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण होता है।
थ्रस्ट में भी कमी की आशंका जताई गई है। शायद पायलट्स ने गलती से Derated Thrust का चयन किया हो या फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम (FMS) में गलत डेटा डाला गया हो। ऐसा होने पर इंजन पूरी ताकत नहीं देता और विमान हवा में उठने से पहले ही थक जाता है।
रोटेशन समय से पहले हुआ?
रोटेशन वह प्रक्रिया है जिसमें विमान के नोज को ऊपर उठाया जाता है ताकि वह हवा में उठ सके। यह प्रक्रिया तय गति (Vr) पर होती है। अगर पायलट्स ने यह काम जल्दी किया, तो विमान पर्याप्त स्पीड नहीं पकड़ सका और हवा में स्थिर नहीं रह पाया। यही वजह हो सकती है कि विमान जल्दी स्टॉल कर गया।
लैंडिंग गियर क्यों नहीं उठाया गया?
जांच में सामने आया कि हादसे के वक्त लैंडिंग गियर नीचे ही था। यह या तो भूलवश हुआ या किसी इमरजेंसी की वजह से पायलट्स ने जानबूझकर गियर नहीं उठाया। इससे विमान पर ड्रैग बढ़ गया और वह ऊंचाई नहीं ले पाया।
क्या CRM (Crew Resource Management) में चूक हुई?
CRM यानी दोनों पायलट्स के बीच तालमेल, संचार और क्रॉसचेक की प्रक्रिया। अगर कैप्टन ने कोई गलती की और को-पायलट ने उसे न टोका हो, तो यह बड़ी चूक मानी जाती है। कभी-कभी अनुभवहीन या जूनियर पायलट सीनियर को कुछ कहने से हिचकते हैं, जो खतरनाक साबित होता है।
क्या ऑटोमेशन पर जरूरत से ज्यादा भरोसा था?
Boeing 787 जैसे आधुनिक विमान में ज्यादातर काम ऑटोमेटेड सिस्टम्स जैसे FMS करते हैं। लेकिन अगर उनमें गलत इनपुट (जैसे वजन या तापमान) डाला जाए, तो पूरा आउटपुट गलत हो जाता है। कई बार जल्दबाजी में पायलट इन डाटा की दोबारा जांच नहीं करते, जिससे गंभीर गड़बड़ी हो सकती है।
43°C की गर्मी में पायलट्स का फिजिकल और मेंटल स्ट्रेस बढ़ सकता है। लंबे समय की ड्यूटी, डिहाइड्रेशन और समय का दबाव फैसले की गुणवत्ता पर असर डालते हैं। हालांकि पायलट्स अनुभवी थे, लेकिन कभी-कभी छोटी गलती भी भारी पड़ सकती है।