अल वलीद बिन तलाल अल सऊद (जन्म: 7 मार्च 1955) सऊदी अरब के एक प्रख्यात व्यवसायी, निवेशक और शाही परिवार के सदस्य हैं। उन्हें दुनियाभर में उनकी अपार संपत्ति, ग्लोबल निवेशों और विवादास्पद राजनीतिक घटनाओं में भागीदारी के लिए जाना जाता है। टाइम मैगज़ीन ने उन्हें 2008 में दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल किया और उन्हें "अरेबियन वॉरेन बफेट" की उपाधि दी।
राजघराने से उद्यमी बनने तक का सफर
अल वलीद का जन्म एक बेहद खास शाही परिवार में हुआ था। उनके पिता सऊदी अरब के पूर्व वित्त मंत्री थे और मां लेबनान के पहले प्रधानमंत्री की बेटी थीं। जन्म से ही उन्हें एक अलग पहचान और विरासत मिली, लेकिन उनके जीवन की राह आसान नहीं रही। बचपन में ही उनके माता-पिता अलग हो गए, जिसके बाद अल वलीद लेबनान चले गए। वहां उन्होंने साधारण हालातों में जीवन बिताया और शिक्षा प्राप्त की। शाही पृष्ठभूमि के बावजूद उन्होंने जीवन में संघर्ष किया और अपने दम पर आगे बढ़ने की ठानी।
शिक्षा और सोच की बुनियाद
अल वलीद ने अमेरिका के मेनलो कॉलेज से बिजनेस की पढ़ाई की और फिर सिरैक्यूज़ यूनिवर्सिटी से सामाजिक विज्ञान में मास्टर डिग्री ली। उनकी पढ़ाई ने उन्हें दुनिया को समझने का नया नजरिया दिया और यही सोच आगे चलकर उनके बिजनेस में काम आई। उनका सोचने का तरीका बाकी लोगों से अलग था। वे मुश्किल समय में भी निवेश करते थे और धीरे-धीरे उस निवेश को बड़ी सफलता में बदल देते थे। उनका नजरिया हमेशा भविष्य की प्लानिंग पर केंद्रित रहता था, जिससे उन्होंने करोड़ों की संपत्ति बनाई।
व्यवसायिक साम्राज्य की नींव: किंगडम होल्डिंग कंपनी
1979 में उन्होंने अपने व्यवसायिक करियर की शुरुआत की और ‘किंगडम एस्टेब्लिशमेंट’ की स्थापना की, जिसे बाद में 'किंगडम होल्डिंग कंपनी' नाम दिया गया। इस कंपनी ने होटल, बैंकिंग, मीडिया, तकनीक, रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में वैश्विक निवेश किए।
मुख्य निवेश:
- सिटीग्रुप
- न्यूज़ कॉर्पोरेशन
- ट्विटर
- फोर सीज़न्स और फेयरमोंट होटल्स
- यूरो डिज़्नी
- ऐप्पल और मोटोरोला
- कोका कोला, फोर्ड, और AOL
मौकों को पहचानने की अद्भुत क्षमता
अल वलीद की सबसे खास बात थी कि वो सही मौके को पहचान लेते थे। जब बाकी लोग डर कर पीछे हट जाते थे, तब वो आगे बढ़कर निवेश करते थे। उन्होंने ऐसे ब्रांड्स को चुना जो उस समय संकट में थे, लेकिन भविष्य में उनके सफल होने की संभावना थी। एक उदाहरण है सिटीग्रुप – जब ये कंपनी मुश्किल में थी, तब अल वलीद ने उसमें निवेश किया। उनका भरोसा और दूर की सोच काम आई और कंपनी फिर से मजबूत हो गई। उनकी इसी सोच ने उन्हें दुनिया के सबसे चतुर और सफल निवेशकों की सूची में लाकर खड़ा कर दिया।
गिरफ्तारी और रिहाई: सऊदी राजनीति का मोड़
साल 2017 में सऊदी अरब में बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिला। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया, जिसमें कई राजकुमारों और अमीर लोगों को हिरासत में लिया गया। इसी अभियान के दौरान अल वलीद को भी गिरफ्तार किया गया और उन्हें रियाद के रिट्ज-कार्लटन होटल में नजरबंद रखा गया। यह गिरफ्तारी पूरी दुनिया के लिए चौंकाने वाली थी, क्योंकि अल वलीद उस समय के सबसे बड़े निवेशकों में से एक थे। बाद में खबरें आईं कि उनकी रिहाई एक समझौते के तहत हुई, जिसमें करीब 6 अरब डॉलर की रकम शामिल थी। इस घटना ने सऊदी राजनीति और बिजनेस जगत में हलचल मचा दी थी।
फोर्ब्स विवाद: धन और प्रतिष्ठा की जंग
फोर्ब्स मैगजीन ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि अल वलीद ने अपनी संपत्ति का आंकलन बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, वह खुद को अमीरों की सूची में ऊपर दिखाने की कोशिश कर रहे थे। इस बात से अल वलीद नाराज़ हो गए और उन्होंने लंदन में फोर्ब्स के खिलाफ मानहानि का केस कर दिया। यह विवाद दुनियाभर की मीडिया में चर्चा का विषय बन गया। दोनों पक्षों के बीच कड़ा कानूनी संघर्ष हुआ। आखिरकार, 2015 में यह मामला आपसी समझौते से सुलझा लिया गया। यह घटना दिखाती है कि कैसे धन और प्रतिष्ठा को लेकर भी बड़े विवाद हो सकते हैं।
धर्मार्थ कार्य और समाजसेवा
प्रिंस अल वलीद एक सफल बिज़नेसमैन होने के साथ-साथ बड़े समाजसेवी भी हैं। उन्होंने अब तक करीब 3.5 बिलियन डॉलर दान किए हैं। 2015 में उन्होंने यह घोषणा की थी कि वे अपनी पूरी संपत्ति दान में देंगे ताकि दुनिया में ज़रूरतमंदों की मदद की जा सके। उन्होंने 'Alwaleed Philanthropies' नाम से एक संस्था बनाई है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण जैसे जरूरी क्षेत्रों में काम करती है। इस संगठन के ज़रिए उन्होंने दुनिया भर में कई लोगों की ज़िंदगियों को बेहतर बनाने में मदद की है।
विवाद, दृष्टिकोण और विरासत
प्रिंस अल वलीद का जीवन जहां एक ओर प्रेरणा देता है, वहीं कुछ विवादों में भी घिरा रहा है। 2017 में उनकी गिरफ्तारी ने दुनियाभर में सुर्खियाँ बटोरीं। इसके अलावा, फोर्ब्स मैगज़ीन से उनकी संपत्ति को लेकर मतभेद भी चर्चा में रहा। उनकी निवेश नीतियाँ भी कई बार सवालों के घेरे में रही हैं। वे सिर्फ कारोबारी ही नहीं, बल्कि एक स्पष्ट विचारों वाले व्यक्ति भी हैं। इज़राइल-फिलिस्तीन विवाद पर उन्होंने खुलकर अपने विचार रखे हैं। उन्होंने कहा था कि जब तक यरुशलम पूरी तरह से फिलिस्तीन के नियंत्रण में नहीं आता, वे कभी इज़राइल नहीं जाएंगे। उनके ऐसे विचारों ने उन्हें एक मजबूत और साहसी नेता के रूप में स्थापित किया है।
प्रिंस अल वलीद बिन तलाल एक ऐसे शख्स हैं जिन्होंने अरब दुनिया में पूंजीवाद और उद्यमिता का नया अध्याय लिखा। उनके निवेशों ने उन्हें ग्लोबल बिजनेस की दुनिया में खास स्थान दिलाया। हालांकि, उनका जीवन विवादों से भी अछूता नहीं रहा। फिर भी, वह मध्य-पूर्व के सबसे प्रभावशाली और चर्चित व्यवसायियों में गिने जाते हैं।