देशभर के बैंकों में एक बड़ी रकम ऐसी है, जिस पर किसी ने अब तक दावा नहीं किया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने हाल ही में संसद में जानकारी दी कि 30 जून 2025 तक बैंकों में कुल 67,003 करोड़ रुपये की राशि बिना दावे के पड़ी है। ये वो रकम है जिसे खाताधारकों या उनके परिवारजनों ने लंबे समय से नहीं छुआ और अब वह अनक्लेम्ड डिपॉजिट की श्रेणी में आ चुकी है।
सरकारी बैंकों में सबसे ज्यादा लावारिस जमा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट के अनुसार, इन 67 हजार करोड़ रुपये में से सबसे बड़ा हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास है। सरकारी बैंकों में कुल 58,330.26 करोड़ रुपये की राशि बिना दावे के पड़ी है। जबकि निजी बैंकों में यह राशि 8,673.72 करोड़ रुपये है।
SBI के पास सबसे ज्यादा अनक्लेम पैसे
अगर सरकारी बैंकों की बात करें, तो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के पास सबसे ज्यादा 19,329.92 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं। यह देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक की स्थिति को दर्शाता है, जहां लाखों खाते लंबे समय से निष्क्रिय हैं। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में 6,910.67 करोड़ और केनरा बैंक में 6,278.14 करोड़ रुपये बिना दावे के हैं।
क्यों जमा हो जाती है लावारिस रकम
बैंकों में जमा रकम उस समय लावारिस मानी जाती है जब कोई खाता 10 साल या उससे अधिक समय तक निष्क्रिय रहता है और उस पर किसी प्रकार का लेन-देन नहीं होता। अक्सर ऐसा तब होता है जब खाता धारक की मृत्यु हो जाती है और परिवार को उस खाते की जानकारी नहीं होती या फिर नॉमिनी नहीं होता। कई बार लोग नौकरी बदलने या शहर बदलने के कारण पुराने खातों को भूल जाते हैं।
आप हैं दावेदार तो कैसे करें क्लेम
अगर आपके परिवार में किसी सदस्य का खाता निष्क्रिय है और उसकी मृत्यु हो चुकी है, तो आप उस रकम पर दावा कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप उस बैंक की ब्रांच में जाकर उचित दस्तावेज जमा करें।
अगर खाते में नॉमिनी दर्ज है तो प्रक्रिया और आसान हो जाती है। आपको मृत्यु प्रमाण पत्र, नॉमिनी की पहचान संबंधी दस्तावेज (जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड) और बैंक का आवेदन पत्र भरकर जमा करना होता है। बैंक दस्तावेज जांचने के बाद अनक्लेम्ड राशि आपके खाते में ट्रांसफर कर देता है।
क्या होता है जब कोई दावा नहीं करता
अगर किसी खाते में सालों तक कोई दावा नहीं होता, तो बैंक उस रकम को 'Depositor Education and Awareness Fund' (DEAF) में ट्रांसफर कर देता है। यह फंड आरबीआई के अंतर्गत काम करता है। हालांकि, इसके बाद भी खाताधारक या उसका वारिस इस रकम पर दावा कर सकता है। इसके लिए बैंक उसी प्रक्रिया के तहत आवेदन स्वीकार करता है।
सरकार की क्रिप्टो नीति पर भी आई जानकारी
संसद में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल सरकार का क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) को लेकर कोई सकारात्मक कदम नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार VDA को एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में शामिल करने की योजना नहीं बना रही है।
क्रिप्टो को लेकर RBI की सख्ती
भारतीय रिजर्व बैंक ने पहले ही वर्चुअल करेंसी में लेन-देन करने वाले ग्राहकों को आगाह किया है। आरबीआई का कहना है कि क्रिप्टो एसेट्स से आर्थिक, वित्तीय, कानूनी और सुरक्षा जोखिम जुड़े हुए हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए 31 मई 2021 को जारी एक सर्कुलर में आरबीआई ने सभी रेगुलेटेड संस्थाओं को यह निर्देश दिया कि वे क्रिप्टो से संबंधित सभी लेन-देन में ग्राहक की पूरी KYC जांच करें और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े सभी नियमों का पालन करें।
बैंकिंग सिस्टम में सुधार की दरकार
अनक्लेम राशि की यह बड़ी संख्या यह भी दिखाती है कि देश के बैंकिंग सिस्टम में जानकारी के अभाव और जागरूकता की कमी है। खासतौर पर ग्रामीण और बुजुर्ग ग्राहकों के मामले में ऐसे कई उदाहरण सामने आते हैं, जहां बैंक खाता खुलवा तो दिया गया, लेकिन बाद में उसे संचालित नहीं किया गया।
रिजर्व बैंक की पहल
आरबीआई समय-समय पर अनक्लेम रकम को लेकर जागरूकता अभियान चलाता रहा है। DEAF पोर्टल के जरिए अब उपभोक्ता यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि उनके नाम से कोई निष्क्रिय खाता किसी बैंक में है या नहीं। इसके लिए नाम, पता और कुछ अन्य विवरण दर्ज करने होते हैं, जिसके आधार पर बैंक जानकारी उपलब्ध कराता है।