Columbus

RBI ने बैंकों को ग्राहक फीस में कटौती का दिया सुझाव, डेबिट कार्ड और मिनिमम बैलेंस में राहत संभव

RBI ने बैंकों को ग्राहक फीस में कटौती का दिया सुझाव, डेबिट कार्ड और मिनिमम बैलेंस में राहत संभव

RBI ने बैंकों को ग्राहकों से ली जाने वाली डेबिट कार्ड, मिनिमम बैलेंस और लेट पेमेंट फीस घटाने की सलाह दी है। सुझाव पारदर्शी शुल्क संरचना और समान व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए है, जिससे ग्राहक राहत महसूस करेंगे।

RBI Update: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को ग्राहकों से ली जाने वाली कुछ प्रमुख फीस घटाने की सलाह दी है। इसमें डेबिट कार्ड चार्जेस, लेट पेमेंट फीस और मिनिमम बैलेंस पेनाल्टी जैसी आम फीस शामिल हैं। इस कदम से करोड़ों ग्राहकों को राहत मिल सकती है। हालांकि RBI ने बैंकों को किसी तरह की निश्चित सीमा (fixed cap) तय करने का आदेश नहीं दिया है बल्कि केवल यह सुझाव दिया है कि फीस को कम और पारदर्शी बनाया जाए।

क्यों घटाई जा रही है फीस

RBI का मानना है कि बैंकों द्वारा वसूली जाने वाली कई फीस ग्राहकों के लिए बोझ बनती जा रही हैं। खासकर कम आय वाले और ग्रामीण इलाकों के ग्राहक इन चार्जेस से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। भारत जैसे बड़े देश में यह सीधा असर लाखों परिवारों पर पड़ता है। यही वजह है कि RBI ने बैंकों को customer-friendly banking की दिशा में कदम बढ़ाने का निर्देश दिया है।

फीस घटने से बैंकों पर असर

न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि अगर बैंक फीस घटाते हैं तो उनकी अरबों रुपये की कमाई पर असर पड़ सकता है। जून 2024 तिमाही में बैंकों ने फीस से 510.6 अरब रुपये की कमाई की थी, जो पिछले साल से 12% ज्यादा है। इसका मतलब है कि फीस बैंकों की non-interest income का बड़ा हिस्सा बन चुकी है। लेकिन अब इस पर RBI का दबाव साफ है कि ग्राहकों को राहत मिले।

गरीब और कम आय वाले ग्राहकों पर खास फोकस

RBI को सबसे ज्यादा चिंता उन ग्राहकों की है जिनकी मासिक आमदनी कम है। minimum balance charges और late payment fees अक्सर ऐसे ग्राहकों को प्रभावित करती हैं, जिनके खाते में थोड़े ही पैसे रहते हैं। इन चार्जेस की वजह से उनकी सेविंग्स और घट जाती है। इसी को देखते हुए RBI ने कहा है कि बैंकों को अपनी फीस स्ट्रक्चर पर दोबारा विचार करना होगा।

प्रोसेसिंग फीस का हाल

ऑनलाइन फाइनेंशियल मार्केटप्लेस बैंकबाजार के मुताबिक, अभी retail loans और small business loans की प्रोसेसिंग फीस 0.5% से 2.5% तक है। वहीं, कुछ बैंक होम लोन की फीस को 25,000 रुपये तक सीमित रखते हैं। यह दर्शाता है कि अलग-अलग बैंकों में फीस को लेकर बड़ा अंतर है। यही अंतर RBI की नजर में आया है।

फीस स्ट्रक्चर में पारदर्शिता क्यों जरूरी

RBI ने पाया कि एक ही प्रोडक्ट के लिए अलग-अलग ग्राहकों से अलग-अलग फीस ली जा रही है। यह निष्पक्षता के खिलाफ है। भारतीय बैंक संघ (IBA) इस मुद्दे पर बैंकों से बातचीत कर रहा है और 100 से ज्यादा retail banking products पर RBI की नजर है। RBI का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि हर ग्राहक के साथ एक जैसा व्यवहार हो और hidden charges से बचा जा सके।

ग्राहक शिकायतों में तेजी

RBI के इंटीग्रेटेड ओम्बड्समैन स्कीम के आंकड़े बताते हैं कि ग्राहकों की शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं। 2023-24 में शिकायतों की संख्या 9.34 लाख पहुंच गई, जो दो साल में 50% की वृद्धि है। केवल RBI ओम्बड्समैन को मिली शिकायतें 25% बढ़कर 2.94 लाख हो गईं। गवर्नर ने यह भी बताया कि 95 कमर्शियल बैंकों को अकेले 2023-24 में 1 करोड़ से ज्यादा शिकायतें मिलीं। NBFC की शिकायतें जोड़ दी जाएं तो यह आंकड़ा और बढ़ जाता है।

RBI गवर्नर का संदेश

मार्च 2024 में RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने साफ कहा था कि बैंकों और NBFC को ग्राहकों की शिकायतों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यहां तक सुझाव दिया कि बैंकों के MD और CEO को हफ्ते में कम से कम एक बार खुद ग्राहक शिकायतें सुनने का समय निकालना चाहिए। यह बताता है कि RBI अब ग्राहक सेवा को केवल एक औपचारिकता नहीं मानता बल्कि इसे core responsibility बना रहा है।

बैंकों के लिए चुनौती

बैंकों के सामने अब दोहरी चुनौती है। एक तरफ उन्हें अपने revenue model को संभालना होगा और दूसरी तरफ ग्राहकों के साथ निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवहार करना होगा। अगर बैंक फीस कम करते हैं तो उनकी आमदनी पर असर पड़ेगा लेकिन इससे ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा। RBI का यह कदम लंबे समय में बैंकिंग सिस्टम को मजबूत कर सकता है।

Leave a comment