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बीमा पॉलिसी बीच में छोड़ने पर अब नहीं होगा घाटा, नियमों में बदलाव

नई व्यवस्था के तहत एलआईसी (LIC) और अन्य बीमा कंपनियों की पॉलिसियों की सरेंडर वैल्यू को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है।

भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और अन्य बीमा कंपनियों की पॉलिसी बीच में छोड़ने वाले लाखों ग्राहकों के लिए राहत भरी खबर आई है। बीमा नियामक संस्था IRDAI (भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण) ने सरेंडर वैल्यू से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जिससे पॉलिसीधारकों को पहले की तुलना में कहीं ज्यादा रकम वापस मिलेगी। नए नियम 1 अक्टूबर 2024 से लागू होंगे और यह केवल नई जारी पॉलिसियों पर प्रभावी होंगे।

क्या होती है सरेंडर वैल्यू

जब कोई बीमा धारक अपनी पॉलिसी को मैच्योरिटी से पहले छोड़ देता है, तो बीमा कंपनी उसे जो राशि वापस करती है, उसे ही सरेंडर वैल्यू कहा जाता है। यह राशि कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि कितने वर्षों तक प्रीमियम भरा गया है, किस प्रकार की पॉलिसी है और कुल बीमित राशि कितनी है। पहले के नियमों के अनुसार, अगर ग्राहक पॉलिसी शुरू होने के शुरुआती वर्षों में ही सरेंडर करता था, तो उसे बहुत कम या कभी-कभी कुछ भी नहीं मिलता था।

क्या है नया बदलाव

IRDAI ने अब सभी एंडोमेंट बीमा पॉलिसियों पर स्पेशल सरेंडर वैल्यू (SSV) लागू करने का निर्देश दिया है। इसका सीधा अर्थ है कि अगर कोई ग्राहक अपनी पॉलिसी को बीच में छोड़ता है, तो उसे पहले की तुलना में 20 से 30 प्रतिशत तक ज्यादा रकम मिलेगी। यह निर्णय ग्राहकों की सुरक्षा और बीमा को अधिक पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।

पहले दो वर्षों में पॉलिसी सरेंडर करने पर ग्राहक को कोई भी राशि नहीं मिलती थी। लेकिन नए नियमों के तहत एक साल के बाद ही आंशिक राशि मिलने की सुविधा शुरू हो जाएगी। इससे उन ग्राहकों को विशेष राहत मिलेगी जो किसी कारणवश पॉलिसी को लंबे समय तक जारी नहीं रख पाते।

कितना मिलेगा पैसा

नए नियमों के अनुसार, यदि किसी ने चार साल तक प्रीमियम भरने के बाद पॉलिसी सरेंडर की, तो अब उसे लगभग 3.1 लाख रुपये तक मिल सकते हैं, जबकि पहले यही राशि लगभग 2.4 लाख रुपये होती थी। इसी तरह, अगर ग्राहक ने सिर्फ एक साल तक ही प्रीमियम भरा है, तो अब उसे 62,000 रुपये तक मिल सकते हैं, जबकि पुराने नियमों के अनुसार एक साल में सरेंडर करने पर कुछ भी नहीं मिलता था।

कैसे होगी सरेंडर वैल्यू की गणना

IRDAI ने सरेंडर वैल्यू कैलकुलेशन के लिए एक नया फॉर्मूला निर्धारित किया है। अब यह गणना 10 साल के सरकारी बॉन्ड की ब्याज दर को आधार मानकर की जाएगी, जिसमें बीमा कंपनियां अधिकतम 0.50 प्रतिशत तक अतिरिक्त मार्जिन जोड़ सकती हैं। इस बदलाव से कैलकुलेशन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और बाजार आधारित हो जाएगी।

नया फॉर्मूला न सिर्फ नियमित प्रीमियम पॉलिसियों, बल्कि सिंगल प्रीमियम और पांच साल से कम अवधि की पॉलिसियों पर भी लागू होगा। यह कदम उन ग्राहकों के लिए और भी फायदेमंद होगा जो अल्पकालिक बीमा योजनाओं में निवेश करते हैं।

किसे मिलेगा फायदा

यह बदलाव 1 अक्टूबर 2024 के बाद खरीदी गई सभी नई बीमा पॉलिसियों पर लागू होंगे। इसका अर्थ है कि पुरानी या पहले से जारी पॉलिसियों पर पुराने नियम ही लागू रहेंगे। ऐसे में जो लोग बीमा खरीदने की योजना बना रहे हैं, उन्हें नए नियमों का लाभ उठाने के लिए अक्टूबर 2024 के बाद पॉलिसी लेना फायदेमंद हो सकता है।

सरेंडर प्रक्रिया क्या है

अगर आप अपनी पॉलिसी सरेंडर करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको एलआईसी की वेबसाइट पर जाकर सरेंडर वैल्यू कैलकुलेटर का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे आपको यह पता चले कि सरेंडर करने पर कितनी राशि मिलेगी। इसके बाद नजदीकी एलआईसी ब्रांच में जाकर फॉर्म 5074 भरना होगा। साथ ही सभी आवश्यक दस्तावेज जैसे KYC, पॉलिसी बॉन्ड, और बैंक डिटेल्स साथ ले जाना अनिवार्य है।

विकल्प: पेड-अप पॉलिसी

पॉलिसी को सरेंडर करने से पहले एक और विकल्प होता है  पेड-अप पॉलिसी। अगर आपने पॉलिसी को कुछ वर्षों तक नियमित रूप से चलाया है, लेकिन अब आगे प्रीमियम नहीं भर सकते, तो आप इसे पेड-अप मोड में परिवर्तित कर सकते हैं। इससे आपकी पॉलिसी चालू रहेगी और मैच्योरिटी पर कुछ राशि मिलेगी। हालांकि इसमें बीमित राशि कम हो जाती है, लेकिन यह पूरी तरह सरेंडर करने से बेहतर विकल्प हो सकता है।

बदलाव क्यों जरूरी थे

पिछले कुछ वर्षों में हजारों बीमा धारकों ने समय से पहले अपनी पॉलिसी बंद की है और इसके बदले में उन्हें बहुत कम राशि मिली, जिससे ग्राहक असंतुष्ट रहे। IRDAI का मानना है कि बीमा उत्पादों को ग्राहक हितैषी और पारदर्शी बनाना आवश्यक है। यही कारण है कि सरेंडर वैल्यू को स्पष्ट और लाभदायक बनाने के लिए नए नियमों को लागू किया गया है।

इसके अलावा, नए नियम ग्राहकों को यह जानकारी पहले से ही देंगे कि अगर वे बीच में पॉलिसी छोड़ते हैं, तो उन्हें कितनी राशि मिलेगी। यह पारदर्शिता बीमा उद्योग में ग्राहकों के विश्वास को बढ़ाएगी और दीर्घकालिक संबंधों को मजबूत करेगी।

क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ

बीमा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम ग्राहकों के हित में एक बड़ा सुधार है। पहले सरेंडर करने पर ग्राहक को अपने निवेश का बहुत ही छोटा हिस्सा वापस मिलता था, जिससे बीमा को एक घाटे का सौदा माना जाता था। अब नए नियमों से यह धारणा बदलेगी और अधिक लोग बीमा उत्पादों की ओर आकर्षित होंगे।

वित्तीय सलाहकारों का सुझाव है कि पॉलिसी सरेंडर करने से पहले हमेशा अपने बीमा एजेंट या वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें और सभी विकल्पों को ध्यान से समझें।

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