बिहार में SIR के खिलाफ और भाजपा शासित राज्यों में मजदूरों की गिरफ्तारी को लेकर संसद के बाहर INDIA ब्लॉक ने जोरदार प्रदर्शन किया। सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और टीएमसी सांसदों ने भी इसमें भाग लिया।
Bihar SIR Protest: भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (इंडिया ब्लॉक) ने बुधवार को संसद भवन के बाहर बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और भाजपा शासित राज्यों में मज़दूरों की गिरफ़्तारियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, और कई विपक्षी दलों के सांसद शामिल हुए।
सोनिया गांधी ने संभाला नेतृत्व
प्रदर्शन में सोनिया गांधी ने सक्रिय भूमिका निभाई। वह संसद भवन के मकर द्वार पर 'SIR - लोकतंत्र पर हमला' शीर्षक वाले बड़े बैनर के साथ खड़ी रहीं। उनके साथ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं। इस विरोध के ज़रिए विपक्षी दलों ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया को असंवैधानिक और पक्षपातपूर्ण बताया।
TMC सांसदों की भी भागीदारी
इस प्रदर्शन में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसदों ने भी भाग लिया। TMC पहले से ही भाजपा शासित राज्यों में बंगालियों के साथ कथित दुर्व्यवहार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी। बुधवार को उन्होंने इंडिया ब्लॉक के साथ मिलकर एकजुटता दिखाई और मज़दूरों की गिरफ़्तारी के मुद्दे पर भाजपा सरकार की आलोचना की।
चुनाव आयोग पर विपक्ष का तीखा हमला
विपक्षी सांसदों ने अपने हाथों में पोस्टर और कार्टून लिए हुए थे, जिनमें चुनाव आयोग (ECI) की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। एक चर्चित पोस्टर में 'EC' नाम का एक व्यक्ति पुलिस वर्दी में बेड़ियों में जकड़ा हुआ दिखाया गया, जिसके हाथ में EVM जैसी मशीन थी। उस पोस्टर में एक स्पीच बबल में लिखा था: "YES SIR"। यह सीधा संकेत था कि चुनाव आयोग कथित तौर पर केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहा है।
#SIR हैशटैग के जरिए ऑनलाइन विरोध
सोशल मीडिया पर भी इस प्रदर्शन को समर्थन मिला। #SIR हैशटैग ट्विटर (अब X) पर ट्रेंड कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि बिहार में मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) का उपयोग मतदाताओं को बाहर करने और लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है।
भाजपा पर सीधा आरोप
विपक्ष ने स्पष्ट रूप से भाजपा पर आरोप लगाया कि वह चुनावी लाभ के लिए प्रशासनिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है। इंडिया ब्लॉक के नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ बिहार का मामला नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है।
मानसून सत्र के दौरान जारी रहेगा विरोध
21 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र के बाद से ही विपक्ष ने भाजपा और चुनाव आयोग के खिलाफ अपने तेवर सख्त कर लिए हैं। नेताओं ने कहा है कि जब तक मतदाता सूची संशोधन में पारदर्शिता और निष्पक्षता नहीं लाई जाती, तब तक विरोध जारी रहेगा।
लोकतंत्र की रक्षा का दावा
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने अपने विरोध को लोकतंत्र की रक्षा के लिए ज़रूरी बताया। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, "हम किसी पार्टी के नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र के लिए लड़ रहे हैं। यदि मतदाता सूची से लोगों को बाहर किया जाता है, तो यह सीधा लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है।"