Delhi BMW Accident Case में अदालत ने कहा कि आरोपी गगनप्रीत कौर को CCTV फुटेज उपलब्ध कराने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। सुनवाई में आरोपी के वकील ने सुरक्षा हेतु फुटेज संरक्षित करने की मांग की।
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की अदालत ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि किसी आपराधिक मामले में आरोपी के पास सीसीटीवी फुटेज की प्रतिलिपि या उसे देखने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। यह आदेश धौला कुआं इलाके में हुई सड़क दुर्घटना से संबंधित मामले में सुनवाई के दौरान आया। 38 वर्षीय गगनप्रीत कौर ने इस फुटेज को सुरक्षित रखने और जांच में शामिल करने के लिए याचिका दायर की थी, जिसमें एक वरिष्ठ अधिकारी की मौत और उनकी पत्नी के गंभीर रूप से घायल होने का मामला शामिल है।
आरोपी ने सीसीटीवी फुटेज की जांच के लिए याचिका दायर की
इस मामले में आरोपी गगनप्रीत कौर ने अदालत से सीसीटीवी फुटेज की सुरक्षा और जांच के लिए उपलब्ध कराने की याचिका दायर की थी। गगनप्रीत पर आरोप है कि वह बीएमडब्ल्यू चला रही थी, जिसने धौला कुआं मेट्रो स्टेशन के पास वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी। दुर्घटना में 52 वर्षीय नवजोत सिंह की मौत हो गई और उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हुईं।
गगनप्रीत के वकील गगन भटनागर ने कहा कि फुटेज मामले की पूरी जांच के लिए महत्वपूर्ण है और इसके आधार पर घटना के क्रम को स्पष्ट किया जा सकता है। भटनागर ने विशेष रूप से धौला कुआं मेट्रो के खंभे 65 और 67 के फुटेज की जांच का अनुरोध किया। हालांकि अदालत ने साफ कहा कि आरोपी के पास फुटेज देखने या उसे रखने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।
अदालत में वकील की दलील
भटनागर ने अदालत को बताया कि वह फुटेज का दुरुपयोग नहीं करना चाहते, बल्कि इसे सुरक्षित रखकर जांच और अदालत में प्रस्तुत करना चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच अधिकारी ने याचिका पर अस्पष्ट जवाब दिया और यह कहा कि फुटेज संबंधित व्यक्ति को दिल्ली पुलिस को उपलब्ध कराने के लिए नोटिस दिया गया था। वकील ने दावा किया कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने पहले ही जांच के लिए फुटेज देखने का बयान दे दिया था, जो जांच अधिकारी के जवाब के विपरीत है।
अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच अधिकारी को 19 सितंबर को पेश होने का निर्देश दिया। इसके अलावा धौला कुआं थाने के प्रभारी को भी नोटिस जारी किया गया है।
आरोपी को फुटेज का अधिकार नहीं दिया
अदालत ने स्पष्ट किया कि भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में आरोपी को सीसीटीवी फुटेज देने या उसे देखने का अधिकार नहीं है। न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकित गर्ग ने कहा कि जांच और अदालत की प्रक्रिया में फुटेज का उपयोग केवल जांच अधिकारियों और न्यायालय के निरीक्षण के लिए किया जाएगा।
गगनप्रीत को पहले ही 27 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उनकी जमानत याचिका पर 20 सितंबर को सुनवाई होने वाली है। इस घटना में नवजोत सिंह पर तेज गति से वाहन चलाने, दूसरों के जीवन को खतरे में डालने और गैर इरादतन हत्या सहित साक्ष्यों के गायब करने जैसी धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।