दिल्ली एलजी वीके सक्सेना ने पुराने वाहनों पर प्रतिबंध का विरोध किया है। उन्होंने सीएम रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर कहा कि यह फैसला व्यवहारिक नहीं है और इससे मध्यम वर्ग को आर्थिक नुकसान होगा।
Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने राजधानी में पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर गंभीर आपत्ति जताई है। उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखते हुए कहा कि यह फैसला सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से व्यवहारिक नहीं है।
पुरानी डीजल गाड़ियों पर रोक का विरोध
दिल्ली सरकार की योजना है कि 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल वाहनों को सड़कों से हटाया जाए। इस प्रस्ताव का मकसद वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करना बताया जा रहा है। लेकिन उपराज्यपाल का मानना है कि यह फैसला जनता के हितों के विरुद्ध है और इससे लाखों मध्यम वर्गीय परिवारों को नुकसान होगा।
मध्यम वर्ग के हितों की अनदेखी
उपराज्यपाल ने लिखा कि मध्यम वर्ग जीवनभर की कमाई से वाहन खरीदता है। ऐसे में अचानक उनकी गाड़ियों को अमान्य कर देना न तो व्यवहारिक है और न ही न्यायसंगत। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस निर्णय से लाखों लोग जिनकी भावनाएं अपने वाहन से जुड़ी होती हैं, प्रभावित होंगे।
CAQM की दिशा-निर्देशों पर सवाल
एलजी ने केंद्र सरकार की Commission for Air Quality Management (CAQM) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की व्यवहारिकता पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यह निर्देश केवल दिल्ली जैसे शहरों पर लागू किए जा रहे हैं, जबकि वही वाहन मुंबई, चेन्नई या अहमदाबाद में पूरी तरह वैध माने जाते हैं। यह संविधान में दिए गए समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पुनः समीक्षा की मांग
उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से आग्रह किया है कि वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए उस आदेश की पुनः समीक्षा के लिए याचिका दायर की जाए, जिसमें इन वाहनों को डी-रजिस्टर करने की बात कही गई थी। उन्होंने सुझाव दिया है कि CAQM के अध्यक्ष से भी इस दिशा-निर्देश को लागू करने की प्रक्रिया को स्थगित करने का अनुरोध किया जाए।
नीति की जमीन पर व्यवहारिकता पर सवाल
एलजी ने कहा कि उन्हें इस नीति के विरोध में हजारों नागरिकों, विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रियाएं मिली हैं। इन सभी का मानना है कि यह नीति जमीन पर लागू नहीं हो सकती और इससे वायु प्रदूषण को कम करने में भी कोई विशेष योगदान नहीं मिलेगा।
पुरानी गाड़ियों को बंद करना केवल एक पर्यावरणीय फैसला नहीं है, इसका सीधा असर जनता की जेब और भावनाओं पर पड़ता है। उपराज्यपाल का यह कदम उन लोगों के लिए एक राहत की उम्मीद बन सकता है जो इस फैसले से परेशान हैं।
क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में यह आदेश दिया था कि दिल्ली में 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को डी-रजिस्टर किया जाए। यह आदेश राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की सिफारिशों के आधार पर दिया गया था।