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धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ बीमारी नहीं, कांग्रेस ने Nadda-Rijiju की भूमिका पर जताया संदेह

धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ बीमारी नहीं, कांग्रेस ने Nadda-Rijiju की भूमिका पर जताया संदेह

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया। कांग्रेस ने इसे लेकर संदेह जताया है और नड्डा व रिजिजू की बैठक से अनुपस्थिति पर सवाल उठाए हैं।

New Delhi: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया। यह इस्तीफा ऐसे समय में सामने आया है जब संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। उनके इस फैसले ने देश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।

कांग्रेस ने जताया संदेह

धनखड़ के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस पार्टी ने संदेह जताया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर एक्स पर कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस्तीफा केवल स्वास्थ्य कारणों से नहीं दिया गया बल्कि इसके पीछे और भी गहरे कारण छिपे हैं।

दो महत्वपूर्ण बैठकों के बीच घटी घटनाएं

जयराम रमेश के अनुसार, उपराष्ट्रपति ने दोपहर 12:30 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (BAC) की बैठक की अध्यक्षता की थी। इस बैठक में राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू भी उपस्थित थे। बैठक के दौरान तय हुआ कि शाम 4:30 बजे पुनः बैठक होगी।

शाम को जब BAC की दूसरी बैठक शुरू हुई, तो नड्डा और रिजिजू दोनों ही अनुपस्थित रहे। जयराम रमेश ने दावा किया कि धनखड़ को इस बारे में पहले से कोई सूचना नहीं दी गई थी। इससे वे आहत हुए और बैठक को स्थगित कर दिया गया।

"1 बजे से 4:30 बजे के बीच कुछ गंभीर हुआ"

कांग्रेस नेता ने लिखा कि दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से शाम की बैठक में दोनों वरिष्ठ मंत्री नहीं पहुंचे। उसी दिन शाम को उपराष्ट्रपति ने इस्तीफा दे दिया। जयराम रमेश के अनुसार, यह केवल संयोग नहीं हो सकता। उन्होंने इस समय अवधि को लेकर संदेह जताया कि इसी बीच कोई बड़ा निर्णय या दबाव डाला गया।

किसानों और न्यायपालिका पर धनखड़ की राय

जयराम रमेश ने कहा कि उपराष्ट्रपति रहते हुए जगदीप धनखड़ ने कई बार किसानों के पक्ष में सार्वजनिक रूप से अपनी राय रखी। उन्होंने न्यायपालिका की जवाबदेही और कार्यप्रणाली को लेकर भी अपने विचार व्यक्त किए थे। वे सार्वजनिक जीवन में अहंकार के खिलाफ थे और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान करते थे।

सत्ता और संवैधानिक मर्यादाओं के बीच संतुलन

कांग्रेस नेता के अनुसार, धनखड़ ने सत्ता पक्ष की नीतियों की प्रशंसा की लेकिन विपक्ष की भूमिका को भी महत्व देने की कोशिश की। वह नियमों और मर्यादाओं का पालन करते हुए संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे। उन्होंने कई बार सत्ता पक्ष की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठाए थे।

धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब नया उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया शुरू होगी। यह नियुक्ति संसद के मानसून सत्र के दौरान होने की संभावना है। इस पद के लिए सरकार और विपक्ष के बीच सहमति बनना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

 

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