अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने पर दो–तीन हफ्ते बाद विचार कर सकते हैं, लेकिन फिलहाल ऐसा करने की जरूरत नहीं है। ट्रंप ने भारत पर पहले 25% और बाद में 50% टैरिफ लगाया था। भारत ने व्यापार पर शांतिपूर्ण और बहुआयामी संबंध बनाए रखने का रुख अपनाया है।
Donald Trump on Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बैठक के बाद कहा कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाने पर दो-तीन हफ्ते में विचार कर सकते हैं, लेकिन अभी ऐसा जरूरी नहीं है। ट्रंप ने पहले भारत पर 25% और बाद में 50% टैरिफ लगाया था। भारत ने कहा कि उसके अमेरिका के साथ संबंध बहुआयामी हैं और व्यापार इसका केवल एक हिस्सा है।
ट्रंप-पुतिन बैठक के बाद आया बयान
ट्रंप ने अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के बाद फ़ॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि आज की परिस्थितियों को देखकर फिलहाल टैरिफ पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि संभव है दो या तीन हफ्तों बाद उन्हें इस मुद्दे पर विचार करना पड़े। इस बयान ने भारत और चीन समेत अन्य देशों में हलचल मचा दी है, जो रूस से तेल खरीद रहे हैं।
भारत पर पहले ही लगाया जा चुका है 50 प्रतिशत टैरिफ
ट्रंप ने भारत पर पहले 25 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था, जिसे बाद में 50 प्रतिशत कर दिया गया। ट्रंप ने रूस पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी थी और यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए रूस को 50 दिन का समय दिया था। भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का आधा हिस्सा पहले ही लागू हो चुका है और बाकी 27 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा।
इस टैरिफ का उद्देश्य भारत और अन्य देशों को रूस से तेल खरीदने से रोकना है। अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि रूस से व्यापार करने वाले देशों पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने से मास्को पर दबाव बढ़ेगा।
अमेरिकी वित्त मंत्री की चेतावनी
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि अगर अलास्का में हुई ट्रंप-पुतिन बैठक में परिणाम संतोषजनक नहीं रहे तो भारत पर द्वितीयक शुल्क बढ़ाने की संभावना है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताओं में थोड़ा अड़ियल रवैया अपना रहा है।
यह बयान अमेरिका की भारत के प्रति बढ़ती सख्ती को दर्शाता है। अमेरिका का मानना है कि तेल व्यापार पर नियंत्रण रखना वैश्विक रणनीति का हिस्सा है और इसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
भारत-अमेरिका रिश्ते
भारत ने कई बार स्पष्ट किया है कि उसके अमेरिका के साथ संबंध बहुआयामी और व्यापक हैं। व्यापार केवल इस रिश्ते का एक हिस्सा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि देशों के बीच संबंधों को किसी तीसरे पक्ष के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के हिसाब से ही निर्णय लेगा।
भारत ने यह भी कहा कि वह वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और आपूर्ति स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है। देश ने यह संकेत दिया कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए विविध स्रोतों को महत्व देगा।
वैश्विक तेल बाजार पर असर
ट्रंप की टैरिफ नीति और रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर संभावित शुल्कों की चर्चा से वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता की आशंका बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका द्वितीयक प्रतिबंध लागू करता है तो भारत और चीन जैसे बड़े तेल आयातक देशों को वैकल्पिक स्रोत तलाशने पड़ सकते हैं।
इसके अलावा, वैश्विक ऊर्जा कीमतों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। तेल निर्यातक देशों के लिए यह चुनौती है कि वे अमेरिका की नीति के बावजूद निर्यात को बनाए रखें।