झारखंड के दुमका में एक साल पुराने हत्या मामले में जिला कोर्ट ने आरोपी गौतम भंडारी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। सजा न भरने पर 6 महीने अतिरिक्त कैद होगी।
दुमका: झारखंड के दुमका जिले की अदालत ने एक साल पुराने हत्या के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए आरोपी गौतम भंडारी को दोषी करार दिया है। अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। सजा न भुगतने की स्थिति में आरोपी को छह महीने की अतिरिक्त कैद झेलनी होगी। अदालत का यह फैसला न केवल पीड़ित परिवार के लिए न्याय का प्रतीक है बल्कि समाज के लिए भी यह एक मजबूत संदेश है कि जघन्य अपराध करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
एक साल पुराना है मामला
यह मामला दुमका के रानेश्वर थाना क्षेत्र का है। 4 अक्टूबर 2024 की सुबह लगभग 8 बजे आसनबनी बाजार में एक मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्ति को बेरहमी से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया था। घटना ने उस समय पूरे इलाके को झकझोर दिया था। चौकीदार मानिक मिर्धा की लिखित शिकायत पर पुलिस ने कांड संख्या 36/2024 दर्ज की थी और आरोपी गौतम भंडारी को गिरफ्तार किया गया था।
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि गौतम भंडारी ने मामूली विवाद के बाद मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति पर लाठी-डंडों से ताबड़तोड़ वार किए। गंभीर चोट लगने के कारण मौके पर ही उसकी मौत हो गई थी। इस नृशंस हत्या से लोगों में गुस्सा था और न्याय की मांग लगातार उठ रही थी।
गौतम भंडारी हत्या मामले में दोषी करार
जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश (तृतीय) राजेश सिन्हा की अदालत में सत्र वाद संख्या 29/2025 पर सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें ध्यानपूर्वक सुनने के बाद अदालत ने गौतम भंडारी को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103(1) के तहत दोषी करार दिया।
अदालत ने साफ किया कि हत्या जैसे गंभीर अपराध में किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जा सकती। फैसले में कहा गया कि आरोपी ने जानबूझकर वारदात को अंजाम दिया और पीड़ित की जान लेने में कोई हिचक नहीं दिखाई। यही कारण है कि उसे उम्रकैद की सजा दी जा रही है, साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
सरकारी पक्ष ने छह गवाहों से मामला साबित किया
इस मामले में सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक धनंजय दास ने पैरवी की। अभियोजन पक्ष ने अदालत के सामने 6 गवाह पेश किए। गवाहों के बयानों और प्रस्तुत सबूतों से यह साबित हो गया कि आरोपी ने ही वारदात को अंजाम दिया था।
सरकारी पक्ष ने तर्क दिया कि हत्या की इस वारदात ने न केवल पीड़ित परिवार को गहरा आघात पहुंचाया, बल्कि समाज में भय और असुरक्षा का माहौल भी पैदा किया। अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों से सहमति जताई और आरोपी को दोषी मानते हुए कठोर सजा सुनाई।
अदालत के फैसले से पीड़ित परिवार को न्याय
अदालत के इस फैसले से पीड़ित परिवार को न्याय मिला है। परिवार ने अदालत के फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि कानून उनके साथ न्याय करेगा। इस फैसले ने एक बार फिर साबित किया है कि कानून के सामने कोई अपराधी बड़ा या छोटा नहीं होता।
समाज के लिए यह फैसला एक चेतावनी है कि हत्या जैसी घटनाओं पर अदालतें त्वरित सुनवाई कर कठोर सजा सुनाने में पीछे नहीं हटेंगी। न्यायिक प्रक्रिया ने यह संदेश भी दिया है कि अपराधियों के लिए दया का कोई स्थान नहीं है और पीड़ित को न्याय दिलाना ही सर्वोपरि है।