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ईसाई समुदाय का बड़ा प्रदर्शन: भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर के खिलाफ गिरफ्तारी और एफआईआर की मांग

ईसाई समुदाय का बड़ा प्रदर्शन: भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर के खिलाफ गिरफ्तारी और एफआईआर की मांग

मुंबई के आजाद मैदान में ईसाई समुदाय ने भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर के भड़काऊ बयान के विरोध में धरना दिया और उनके खिलाफ एफआईआर व गिरफ्तारी की मांग की।

Maharashtra: मुंबई के आजाद मैदान में हजारों ईसाई नागरिकों ने भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर के खिलाफ प्रदर्शन किया। पडलकर पर जबरन धर्मांतरण के खिलाफ भड़काऊ बयान देने और हिंसा को उकसाने का आरोप है। प्रदर्शनकारियों ने विधायक के इस्तीफे, गिरफ्तारी और एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। विरोध में कई राजनीतिक नेता भी शामिल हुए, वहीं चर्च संस्थाओं ने संविधान के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला देते हुए सरकार से धर्मांतरण विरोधी कानून पर पुनर्विचार की अपील की है।

कहां से शुरू हुआ विवाद

महाराष्ट्र के सांगली जिले से भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर ने 17 जून को एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक मंच से ईसाई पादरियों और मिशनरियों पर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए हिंसा की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि जो लोग ऐसे धर्मांतरण को रोकने के लिए हिंसा करेंगे, उन्हें 3 लाख रुपये से लेकर 11 लाख रुपये तक का इनाम दिया जाएगा। इस बयान ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई।

मुंबई में आजाद मैदान पर जुटे हजारों लोग

विधायक की टिप्पणी के विरोध में रविवार को मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल धरना प्रदर्शन हुआ। ईसाई समुदाय के आह्वान पर करीब 15,000 लोग महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों से यहां पहुंचे। इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन में बड़ी संख्या में पादरी, मिशनरियों के प्रतिनिधि, आम नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा कि पडलकर के बयान ने सामाजिक सौहार्द को चोट पहुंचाई है और यह संविधान के खिलाफ है।

गिरफ्तारी और एफआईआर की उठी मांग

प्रदर्शन में शामिल लोगों की मुख्य मांग थी कि विधायक गोपीचंद पडलकर के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए और उन्हें उनके पद से बर्खास्त किया जाए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इस तरह की बयानबाज़ी से देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत का माहौल बन रहा है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरनाक है।

अहमदनगर के एक वरिष्ठ पादरी सैमुअल साल्वे ने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है। उन्होंने कहा कि केवल बयान की निंदा करने से बात नहीं बनेगी, बल्कि कानूनी कार्रवाई जरूरी है ताकि भविष्य में कोई जनप्रतिनिधि इस तरह के गैरजिम्मेदाराना बयान न दे।

विपक्ष के नेता भी हुए शामिल

इस धरना प्रदर्शन में विपक्षी दलों के कई नेता भी पहुंचे और ईसाई समुदाय के साथ एकजुटता दिखाई। नेता विपक्ष विजय वडेट्टीवार, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अबू आसिम आज़मी और कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने मंच से पडलकर के बयान की आलोचना की और सरकार पर कार्रवाई का दबाव बनाने की बात कही। नेताओं ने यह भी कहा कि संविधान में हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है और कोई भी इसे चुनौती नहीं दे सकता।

चर्च का कड़ा बयान, संविधान की याद दिलाई

कैथोलिक चर्च ने भी इस पूरे मामले में बयान जारी करते हुए पडलकर के बयान की निंदा की। बॉम्बे आर्चडायोसिस ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत एक मौलिक अधिकार है। चर्च ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कड़े धर्मांतरण विरोधी कानून पर भी चिंता जताई और सरकार से इस पर पुनर्विचार करने की मांग की। चर्च के बयान में कहा गया कि किसी भी नागरिक को अपनी आस्था के अनुसार धर्म चुनने या बदलने का अधिकार है, और इसे सीमित करना लोकतंत्र के खिलाफ होगा।

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