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eSIM India 2025: नई टेक्नोलॉजी और भारतीय यूज़र्स के लिए मोबाइल सिम की दुनिया में बदलाव

eSIM India 2025: नई टेक्नोलॉजी और भारतीय यूज़र्स के लिए मोबाइल सिम की दुनिया में बदलाव

भारत में eSIM तकनीक तेजी से लोकप्रिय हो रही है, लेकिन अभी यह केवल चुनिंदा प्रीमियम स्मार्टफोन्स और बड़े ऑपरेटरों तक सीमित है। पारंपरिक SIM कार्ड के मुकाबले eSIM कई फायदे देती है, जैसे ऑपरेटर बदलने की आसानी और खोने का खतरा न होना, लेकिन जटिल सेटअप और सीमित सपोर्ट इसकी सबसे बड़ी चुनौतियां हैं।

eSIM in India: भारत में टेलीकॉम सेक्टर अब पारंपरिक SIM कार्ड से डिजिटल eSIM की ओर बढ़ रहा है। Jio, Airtel और Vi जैसी कंपनियां iPhone, Pixel और Samsung Galaxy जैसे प्रीमियम स्मार्टफोन्स में इसका सपोर्ट दे रही हैं। eSIM की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें SIM कार्ड लगाने या निकालने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे यूज़र्स को अधिक सुविधा मिलती है। हालांकि, सीमित डिवाइस सपोर्ट, जटिल सेटअप और फोन बदलने में मुश्किलें अभी भी इसकी राह में बाधा बनी हुई हैं।

नॉर्मल SIM कार्ड क्या है

पारंपरिक SIM यानी Subscriber Identity Module एक छोटी प्लास्टिक चिप होती है जिसे मोबाइल फोन में डालना पड़ता है। इसमें यूज़र का मोबाइल नंबर, नेटवर्क से जुड़ी जानकारी और कुछ बेसिक कॉन्टैक्ट्स स्टोर रहते हैं। भारत में फिलहाल nano-SIM सबसे ज्यादा प्रचलन में है और लगभग सभी आधुनिक स्मार्टफोन इसी को सपोर्ट करते हैं।

eSIM क्या है

eSIM यानी Embedded SIM असल में पारंपरिक SIM का डिजिटल वर्ज़न है। यह सीधे फोन के मदरबोर्ड में इनबिल्ट रहती है और इसे हटाया नहीं जा सकता। एक्टिवेशन के लिए अलग से कार्ड डालने की जरूरत नहीं होती, बल्कि टेलीकॉम ऑपरेटर QR कोड या फोन की सेटिंग्स के जरिए इसे सक्रिय कर देते हैं। भारत में iPhone, Google Pixel और कुछ Samsung Galaxy मॉडल्स पहले से ही eSIM सपोर्ट के साथ आते हैं।

eSIM और नॉर्मल SIM में अंतर

  • नॉर्मल SIM एक फिजिकल कार्ड है, जबकि eSIM फोन के अंदर पहले से लगी होती है और हटाई नहीं जा सकती।
  • eSIM में ऑपरेटर बदलने के लिए सिर्फ QR कोड स्कैन करना होता है, वहीं नॉर्मल SIM बदलने के लिए कार्ड स्वैप करना पड़ता है।
  • eSIM के साथ यूज़र्स एक साथ डिजिटल और फिजिकल दोनों SIM चला सकते हैं।
  • eSIM खोने या चोरी होने का खतरा नहीं होता, जबकि फिजिकल SIM आसानी से गुम हो सकती है।
  • eSIM से फोन के अंदर अतिरिक्त जगह बचती है, जिससे कंपनियां स्लिम डिजाइन या बड़ी बैटरी फिट कर सकती हैं।

भारत में eSIM के फायदे

eSIM यूज़र्स को कई तरह की सहूलियत देती है। सबसे बड़ी सुविधा यह है कि बिना स्टोर गए ऑपरेटर बदला जा सकता है। फिजिकल SIM की तरह टूटने या गुम होने का डर भी नहीं रहता। विदेश यात्रा करने वालों के लिए यह तकनीक बेहद उपयोगी है, क्योंकि नया SIM खरीदे बिना तुरंत इंटरनेशनल प्लान एक्टिव किया जा सकता है। इसके अलावा, डुअल SIM का फायदा भी मिलता है, जिससे एक नंबर काम के लिए और दूसरा पर्सनल इस्तेमाल किया जा सकता है।

भारत में eSIM की चुनौतियां

फिलहाल eSIM का सबसे बड़ा मुद्दा इसका सीमित डिवाइस सपोर्ट है। यह तकनीक अभी केवल प्रीमियम स्मार्टफोन्स जैसे iPhone, Google Pixel और कुछ Samsung Galaxy मॉडल्स तक सीमित है। दूसरी चुनौती इसका जटिल सेटअप है। फिजिकल SIM की तरह तुरंत लगाकर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, बल्कि QR कोड और सेटिंग्स से इसे एक्टिवेट करना पड़ता है।

फोन बदलना भी eSIM में आसान नहीं है। नॉर्मल SIM की तरह इसे दूसरे डिवाइस में तुरंत ट्रांसफर नहीं किया जा सकता और हर बार दोबारा सेटअप करना पड़ता है। इसके अलावा, अभी केवल Jio, Airtel और Vi जैसी बड़ी कंपनियां ही eSIM सपोर्ट करती हैं, जबकि छोटे नेटवर्क पीछे हैं। फोन खोने या खराब होने की स्थिति में भी दिक्कत होती है, क्योंकि eSIM तुरंत ट्रांसफर नहीं हो पाती और इसके लिए ऑपरेटर से दोबारा रिक्वेस्ट करनी पड़ती है।

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