भारत में आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के मद्देनजर विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने सत्तारूढ़ NDA उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन पर तीखा हमला बोला है।
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने अपने प्रतिद्वंद्वी और सत्तारूढ़ NDA के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन पर तीखा हमला बोला है। सोमवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सुदर्शन रेड्डी ने आरोप लगाया कि राधाकृष्णन न तो जनता के सामने दिखाई दे रहे हैं और न ही कोई बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि राधाकृष्णन खुलकर अपने विचार रखते, तो चुनावी प्रक्रिया में एक स्वस्थ बहस संभव हो सकती थी।
'मेरे प्रतिद्वंद्वी दिखाई नहीं दे रहे' - सुदर्शन रेड्डी
सुदर्शन रेड्डी ने कहा, मेरे प्रतिद्वंद्वी दिखाई नहीं दे रहे हैं। वह बोलते नहीं हैं। पता नहीं वह कहां हैं, क्या कर रहे हैं। अगर दोनों उम्मीदवार बोलते, तो एक स्वस्थ बहस और संवाद की संभावना बनती। लोगों से परिचय कराने का अवसर मिलता, सिर्फ मतदाताओं के लिए ही नहीं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनका यह बयान इस दृष्टिकोण से है कि उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में खुली बातचीत और बहस लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है।
सुदर्शन रेड्डी ने इस दौरान भारत में संविधान और लोकतंत्र के सामने चुनौतियों पर भी अपनी राय साझा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश के सामने सबसे बड़ी संवैधानिक चुनौती भारत के निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली में खामियों की है। उन्होंने चेतावनी दी, अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस देश में लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। संविधान की रक्षा और लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है।
विपक्षी दलों का समर्थन
बी. सुदर्शन रेड्डी ने यह स्पष्ट किया कि अब वह केवल ‘इंडिया’ गठबंधन के उम्मीदवार नहीं हैं, बल्कि विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें आम आदमी पार्टी (AAP) सहित कई ऐसे दलों का समर्थन भी प्राप्त है, जो ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। रेड्डी ने अपने चुनावी प्रस्ताव को स्वीकार करने का कारण बताते हुए कहा कि यह उनकी 53 वर्ष की न्यायिक और संवैधानिक यात्रा का हिस्सा है। उन्होंने इसे लोकतंत्र की रक्षा और संविधान की गरिमा बनाए रखने के लिए एक कर्तव्य बताया।
सुदर्शन रेड्डी ने कहा, उपराष्ट्रपति पद केवल औपचारिक नहीं है। यह पद लोकतांत्रिक संस्थाओं और बहुसंख्यकता से परे न्याय और संतुलन की पहचान है। हमारा देश बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक है। संविधान किसी को भी असीमित शक्ति नहीं देता; इसका उद्देश्य सत्ता को सीमित करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव भारत के हालिया इतिहास में अब तक के सबसे निष्पक्ष और सभ्य चुनावों में से एक होगा।