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हरियाणा में देर रात भूकंप से दहशत, सोनीपत रहा केंद्र

हरियाणा में देर रात भूकंप से दहशत, सोनीपत रहा केंद्र

हरियाणा के सोनीपत में शुक्रवार देर रात 1:47 बजे 3.4 तीव्रता का भूकंप आया। झटके महसूस होते ही लोग नींद से जागकर घरों से बाहर निकल आए। भूकंप का केंद्र 10 किमी गहराई पर था। विशेषज्ञों के अनुसार यह इलाका सिस्मिक जोन-4 में आता है, जहां छोटे झटके आना आम है।

Sonipat Earthquake: हरियाणा के सोनीपत में शुक्रवार रात लगभग 1:47 बजे भूकंप के झटकों से लोग नींद से जागकर घरों से बाहर निकल आए। भूकंप की तीव्रता 3.4 रिक्टर स्केल मापी गई और इसका केंद्र 10 किलोमीटर गहराई पर था। यह क्षेत्र सिस्मिक जोन-4 में आता है, जो मध्यम से उच्च जोखिम वाला इलाका माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक दिल्ली-NCR हिमालयी टकराव क्षेत्र के नजदीक होने और सक्रिय भ्रंश रेखाओं की वजह से यहां समय-समय पर भूकंप आते रहते हैं।

10 किलोमीटर की गहराई में था केंद्र

भूकंप का केंद्र सोनीपत जिले में जमीन से करीब 10 किलोमीटर गहराई पर स्थित था। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक इसका लोकेशन 28.99 उत्तरी अक्षांश और 76.97 पूर्वी देशांतर दर्ज किया गया। हालांकि इसकी तीव्रता ज्यादा नहीं थी, लेकिन देर रात होने की वजह से लोगों में डर का माहौल बन गया।

रात में अचानक घरों से बाहर निकले लोग

भूकंप के झटके जब महसूस हुए, तब ज्यादातर लोग गहरी नींद में थे। कई घरों में दरवाजे और खिड़कियां हिलने लगीं। सोनीपत के कई इलाकों में लोग सुरक्षित जगह पर पहुंचने के लिए घरों से बाहर निकल आए। हालांकि झटके हल्के थे और कुछ ही सेकंड में थम गए, फिर भी देर रात का समय होने के कारण लोग सहम गए।

भूकंप संवेदनशील क्षेत्र है सोनीपत

विशेषज्ञों का कहना है कि सोनीपत और इसके आसपास का इलाका भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। यहां छोटे-छोटे भूकंप अक्सर आते रहते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना और आसपास की सक्रिय भ्रंश रेखाएं इसे अधिक जोखिम वाला बनाती हैं।

दिल्ली-एनसीआर बार-बार क्यों हिलता है

दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बार-बार भूकंप आने के पीछे भौगोलिक कारण हैं। यह इलाका सिस्मिक जोन-4 में आता है, जिसे मध्यम से उच्च जोखिम वाला भूकंप क्षेत्र माना जाता है। दिल्ली-एनसीआर हिमालयी टकराव क्षेत्र से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं।

जब प्लेट्स आपस में टकराती हैं, तो बड़ी मात्रा में ऊर्जा धरती के भीतर जमा होती रहती है। यह ऊर्जा समय-समय पर भूकंप के रूप में बाहर निकलती है। इसी कारण दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में बार-बार झटके महसूस होते हैं।

कौन-कौन सी सक्रिय भ्रंश रेखाएं मौजूद हैं

दिल्ली और आसपास के इलाकों में कई सक्रिय भ्रंश रेखाएं हैं। इनमें दिल्ली-हरिद्वार रिज, सोहना फॉल्ट, महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट और यमुना रिवर लाइनमेंट प्रमुख माने जाते हैं। इन भ्रंश रेखाओं पर हलचल होने से आसपास के इलाके बार-बार हिलते रहते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यही वजह है कि एनसीआर क्षेत्र बार-बार भूकंप का असर झेलता है।

रिक्टर स्केल पर भूकंप की माप

भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है। इस स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के पैमाने पर आंका जाता है। सोनीपत में आए भूकंप की तीव्रता 3.4 थी। विशेषज्ञों के अनुसार 3 से 5 तीव्रता वाले भूकंप को मध्यम श्रेणी में रखा जाता है। ये झटके आमतौर पर हल्के नुकसान पहुंचाते हैं। जबकि 6 से ऊपर के भूकंप खतरनाक होते हैं और बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकते हैं।

अधिकारियों की निगरानी जारी

भूकंप के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग की टीमों ने हालात पर नजर रखी। फिलहाल कहीं से भी किसी नुकसान की खबर नहीं मिली है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के छोटे झटके इस क्षेत्र में सामान्य बात हैं। फिर भी पूरी सतर्कता बरती जा रही है और हालात की लगातार निगरानी की जा रही है।

लोगों में डर लेकिन कोई नुकसान नहीं

सोनीपत और आसपास के लोगों ने देर रात आए झटकों को महसूस किया और वे घरों से बाहर निकल आए। कई इलाकों में लोग लंबे समय तक बाहर ही खड़े रहे। हालांकि राहत की बात यह रही कि किसी तरह के नुकसान की जानकारी सामने नहीं आई। भूकंप हल्का था और कुछ ही पलों में थम गया।

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