वाराणसी के ज्ञानवापी सर्वेक्षण अधिकारी आलोक त्रिपाठी को तीसरी बार सेवा विस्तार दिया गया। कई एएसआई अधिकारी नियम उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं। पीएमओ में शिकायत दर्ज की गई। ACC मंजूरी लंबित है।
New Delhi: वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी ढांचे के सर्वेक्षण में शामिल वरिष्ठ एएसआई अधिकारी आलोक त्रिपाठी के सेवा विस्तार को लेकर अब विवाद गहरा गया है। एएसआई के कई अधिकारियों का कहना है कि इस विस्तार में नियमों का उल्लंघन हुआ है। उनका आरोप है कि अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारी को सेवा विस्तार केवल प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट नियुक्ति समिति (ACC) की मंजूरी से ही दिया जा सकता है, लेकिन विभाग ने अपने स्तर पर आदेश जारी कर त्रिपाठी को विस्तार दे दिया।
आलोक त्रिपाठी की पृष्ठभूमि
आलोक त्रिपाठी जल पुरातत्व विशेषज्ञ हैं और एएसआई में उनकी पहचान वरिष्ठ अधिकारी के रूप में है। उन्होंने पहले एएसआई में कार्य किया था, इसके बाद किसी अन्य संस्थान में गए और पांच साल पहले प्रतिनियुक्ति पर वापस लौटे। उनकी नियुक्ति प्रारंभ में तीन साल के लिए की गई थी, जिसमें दो साल का और विस्तार संभव था।
पहली बार जब त्रिपाठी का कार्यकाल पूरा हुआ, तब संस्कृति मंत्रालय ने उन्हें तीन महीने का विस्तार दिया। इसके बाद 13 जुलाई से 31 अगस्त तक एक और विस्तार हुआ, और अब हाल ही में उन्हें तीसरी बार तीन महीने के लिए सेवा विस्तार दिया गया। इस दौरान उनका विभाग बदलकर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण-क्षमता निर्माण कर दिया गया है।
नियमों का कथित उल्लंघन
सूत्रों के अनुसार, इस पद पर सामान्यत: 56 वर्ष तक के अधिकारियों की नियुक्ति होती है, जबकि त्रिपाठी पहले ही 60 वर्ष के हो चुके हैं। इस स्तर के अधिकारियों को सीधे सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता। सामान्य प्रक्रिया के अनुसार, एएसआई यूपीएससी को पत्र भेजकर रिक्त पद के लिए आवेदन आमंत्रित करता है, इसके बाद उपयुक्त उम्मीदवार की नियुक्ति की जाती है। लेकिन त्रिपाठी के मामले में यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।
एएसआई निदेशक राजेंद्र कुमार खिंची ने कहा कि उन्होंने फाइल आने पर आदेश जारी किया, लेकिन पूर्व अधिकारियों का कहना है कि यह आदेश वैध नहीं है। किसी भी अधिकारी को सेवानिवृत्ति के बाद बिना ACC की मंजूरी सीधे सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता।
पीएमओ में शिकायत
इस विवाद के चलते कुछ पूर्व एएसआई अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय से शिकायत की है। उनका आरोप है कि नियमों का उल्लंघन हुआ और बिना ACC की मंजूरी के वरिष्ठ पदों पर सेवा विस्तार दिया गया। ACC भारत सरकार में उच्च स्तरीय समिति है जो केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्तियों का निर्णय करती है।
एएसआई की प्रतिक्रिया
एएसआई प्रवक्ता नंदिनी भट्टाचार्य ने बताया कि आलोक त्रिपाठी को 2 अप्रैल से अगस्त तक सेवा विस्तार दिया गया। उन्होंने कहा कि तीनों विस्तारों के लिए ACC की मंजूरी लंबित है। त्रिपाठी का पद चयनात्मक श्रेणी का है और मंत्रालय ने अनुसंधान एवं प्रशिक्षण क्षमता निर्माण के लिए सेवा विस्तार दिया है।