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झारखंड हाई कोर्ट ने IAS अधिकारी को लगाई फटकार, मुआवजे पर आपत्ति को बताया गैर-जिम्मेदाराना

झारखंड हाई कोर्ट ने IAS अधिकारी को लगाई फटकार, मुआवजे पर आपत्ति को बताया गैर-जिम्मेदाराना

झारखंड हाई कोर्ट ने जमीन अधिग्रहण मामले में IAS अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई और राज्य सरकार के तय मुआवजे पर आपत्ति करने को गैर-जिम्मेदाराना बताया। कोर्ट ने अवमानना कार्यवाही और FIR दर्ज करने की चेतावनी दी।

रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने जमीन अधिग्रहण मामले की सुनवाई के दौरान एक वरिष्ठ IAS अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने अधिकारी से सवाल किए कि "स्टेट के तय किए गए मुआवजे पर आपत्ति करने वाले आप कौन होते हैं?"। सुनवाई के दौरान अनियमितताओं की आशंका जताई गई और अधिकारी को अवमानना कार्यवाई और FIR दर्ज करने की चेतावनी दी गई। इस दौरान कोर्ट रूम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

IAS अधिकारी ने मुआवजे पर जताई आपत्ति

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि संबंधित IAS अधिकारी ने राज्य सरकार द्वारा तय किए गए मुआवजे की राशि पर आपत्ति जताई। जज ने सवाल किया कि क्या अधिकारी का कोई निजी हित है और क्या उन्होंने मुआवजे में कमीशन या अनुचित लाभ लिया है।

कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, "जब राज्य सरकार ने मुआवजे की राशि तय कर दी है, तो आप उस पर सवाल क्यों उठा रहे हैं? यह जनता का पैसा है और इसे इस तरह से दुरुपयोग नहीं किया जा सकता।" अधिकारी इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।

हाई कोर्ट ने IAS अधिकारी को दी चेतावनी

हाई कोर्ट ने अधिकारी के रवैये को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि अगर उन्होंने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया या मामले में और अनियमितताएं सामने आईं तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाई शुरू की जा सकती है।

साथ ही कोर्ट ने संकेत दिया कि जरूरत पड़ने पर इस मामले में FIR भी दर्ज की जा सकती है, जिससे कानून के तहत अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई संभव हो। कोर्ट का यह कदम राज्य में सरकारी अधिकारियों के कर्तव्यों और जवाबदेही को लेकर स्पष्ट संदेश देता है।

हाई कोर्ट में जमीन और मुआवजा विवाद

यह मामला झारखंड हाई कोर्ट की एक बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान सामने आया, जहां जमीन अधिग्रहण और मुआवजे से संबंधित याचिका पर विचार किया जा रहा था। कोर्ट ने अधिकारी के रवैये को गंभीरता से लिया और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए।

जांच और सुनवाई के दौरान यह पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या अधिकारी ने किसी निजी लाभ या कमीशन के लिए मुआवजे को चुनौती दी। हाई कोर्ट ने इस पूरे घटनाक्रम पर नजर रखते हुए स्पष्ट किया कि जनता के हित और सरकारी धन का दुरुपयोग किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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