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JNU में बोले CM फडणवीस: मराठी गर्व की बात, लेकिन बाकी भाषाओं का भी सम्मान जरूरी

JNU में बोले CM फडणवीस: मराठी गर्व की बात, लेकिन बाकी भाषाओं का भी सम्मान जरूरी

JNU में मराठी भाषा और संस्कृति केंद्रों के उद्घाटन पर सीएम फडणवीस ने कहा कि मराठी व्यक्ति संकीर्ण नहीं हो सकता और सभी भाषाओं का समान सम्मान जरूरी है।

Language Controversy: दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में गुरुवार को आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठी भाषा, साहित्य और संस्कृति पर खुलकर विचार रखे। उन्होंने स्पष्ट किया कि मराठी व्यक्ति कभी संकीर्ण नहीं हो सकता और भाषा को मतभेद का नहीं, संवाद का माध्यम बनाना चाहिए।

मराठी पर गर्व, लेकिन अन्य भारतीय भाषाओं का भी सम्मान जरूरी

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए फडणवीस ने कहा कि मराठी पर गर्व करना स्वाभाविक है। लेकिन किसी भी एक भाषा को श्रेष्ठ मानकर दूसरी भाषाओं का तिरस्कार करना भारतीय संस्कृति के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की भाषा नीति संतुलन और समावेशिता पर आधारित है। मराठी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं को भी समान महत्व दिया जाना चाहिए।

चल रहे भाषा विवाद के बीच आया यह बयान

महाराष्ट्र में हाल ही में त्रिभाषा फार्मूले और हिंदी थोपे जाने के आरोपों को लेकर राजनीतिक विवाद छिड़ा हुआ है। शिवसेना (उद्धव गुट) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने राज्य सरकार पर हिंदी को जबरन लागू करने का आरोप लगाया था। इसके चलते सरकार को कदम पीछे खींचने पड़े थे। ऐसे माहौल में फडणवीस का यह बयान राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है।

संत ज्ञानेश्वर और छत्रपति शिवाजी महाराज का दृष्टिकोण

फडणवीस ने अपने भाषण में संत ज्ञानेश्वर और छत्रपति शिवाजी महाराज के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि मराठी संस्कृति कभी संकीर्ण नहीं रही। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का साम्राज्य और दृष्टिकोण केवल मराठी या क्षेत्रीय पहचान तक सीमित नहीं था, बल्कि उसमें सभी वर्गों और समुदायों के लिए जगह थी।

जेएनयू में दो मराठी केंद्रों का उद्घाटन

इस कार्यक्रम में देवेंद्र फडणवीस ने जेएनयू परिसर में दो नए शैक्षणिक केंद्रों का उद्घाटन किया। पहला है 'कुसुमाग्रज मराठी भाषा, साहित्य और संस्कृति केंद्र', और दूसरा 'श्री छत्रपति शिवाजी महाराज सुरक्षा एवं सामरिक अध्ययन केंद्र'। दोनों केंद्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की भावना के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण, अनुसंधान और राष्ट्र निर्माण की दिशा में कार्य करेंगे।

शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाने की घोषणा

मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस मौके पर घोषणा की कि जेएनयू परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी। इस प्रस्ताव को विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित का भी समर्थन प्राप्त हुआ। कुलपति ने जेएनयू को देश का सबसे राष्ट्रवादी परिसर बताते हुए मराठी भाषा और संस्कृति के विस्तार को राष्ट्रीय चेतना से जोड़ा।

'सिंधुदुर्ग संवाद' का आगाज

जेएनयू ने इस अवसर पर 'सिंधुदुर्ग संवाद' नामक एक वार्षिक राष्ट्रीय संवाद मंच की भी घोषणा की। इस मंच का उद्देश्य विद्वानों, नीति निर्माताओं और विचारकों को एक साझा मंच पर लाना है, ताकि भारतीय संस्कृति, सुरक्षा नीति और भाषायी समरसता पर सार्थक विमर्श हो सके।

छात्रों के विरोध का भी सामना

कार्यक्रम से पहले स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) से जुड़े कुछ छात्रों ने फडणवीस के आगमन का विरोध किया। हालांकि, विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा और फडणवीस ने मंच से स्पष्ट रूप से कहा कि विरोध का अधिकार लोकतंत्र का हिस्सा है। उन्होंने फिर भी भाषायी एकता और भारतीय संस्कृति की विविधता पर जोर देते हुए अपने विचार साझा किए।

शैक्षणिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक अहम पहल

कुसुमाग्रज केंद्र मराठी भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विस्तार पर केंद्रित रहेगा। यह शिक्षण और अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा। वहीं, शिवाजी महाराज केंद्र सुरक्षा अध्ययन और स्वदेशी सैन्य परंपराओं पर शोध को बढ़ावा देगा। फडणवीस ने कहा कि यह गर्व की बात है कि शिवाजी महाराज की रणनीतिक सोच और सैन्य इतिहास पर अध्ययन अब जेएनयू जैसे प्रमुख संस्थान में किया जाएगा।

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