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Karwa Chauth Sargi 2025: जानें सरगी का समय और व्रत शुरू करने का शुभ मुहूर्त

Karwa Chauth Sargi 2025: जानें सरगी का समय और व्रत शुरू करने का शुभ मुहूर्त

करवा चौथ 2025 देशभर में 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। व्रती महिलाओं की शुरुआत सरगी खाकर होती है, जो सूर्योदय से पहले सुबह 4:35 से 5:23 बजे के बीच शुभ मुहूर्त में ग्रहण की जाती है। सरगी पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के लिए ऊर्जा और शक्ति देती है। इसे सास-बहू के प्रेम और पारंपरिक परंपरा का प्रतीक भी माना जाता है।

Karwa Chauth Vrat 2025 Sargi: करवा चौथ 2025 का पर्व 10 अक्टूबर शुक्रवार को मनाया जाएगा, जिसमें सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखेंगी। व्रत की शुरुआत सरगी खाने से होती है, जो सुबह ब्रह्म मुहूर्त 4:35 से 5:23 बजे के बीच ग्रहण की जाती है। सरगी सास द्वारा बहू को दी जाती है और इसमें भोजन और सुहाग सामग्री शामिल होती है। इसे शक्ति, स्वास्थ्य और सहनशक्ति प्राप्त करने का प्रमुख साधन माना जाता है, और व्रती इसे ग्रहण करके पूरे दिन व्रत पालन करती हैं।

सरगी क्या है

सरगी करवा चौथ व्रत का सबसे पहला और महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक विशेष भोजन होता है जिसे सुबह सूर्योदय से पहले खाया जाता है। परंपरा के अनुसार यह थाली सास अपनी बहू को देती हैं। इसमें खाने-पीने की चीजों के साथ सुहाग से जुड़े सामान जैसे सिंदूर, चूड़ियां और अन्य श्रृंगार सामग्री भी शामिल होती है। सरगी का महत्व केवल भोजन तक ही सीमित नहीं है, यह मातृस्नेह और सास-बहू के प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

सरगी खाने से व्रती महिला को पूरे दिन निर्जला व्रत रखने की शक्ति और सहनशक्ति प्राप्त होती है। यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और इसे शुभ एवं सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

करवा चौथ 2025 में सरगी का शुभ समय

धार्मिक मान्यता के अनुसार सरगी का समय ब्रह्म मुहूर्त में होना चाहिए। इस साल 10 अक्टूबर 2025 को ब्रह्म मुहूर्त सुबह लगभग 4 बजकर 35 मिनट से 5 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस समय व्रती महिला सरगी ग्रहण कर सकती हैं। ब्रह्म मुहूर्त में सरगी करने से व्रत की सफलता और पुण्य बढ़ने की मान्यता है।

सरगी में क्या खाया जा सकता है

सरगी में व्रती महिला को ऐसे व्यंजन दिए जाते हैं जो पूरे दिन ऊर्जा प्रदान करें। आम तौर पर इसमें खीर, हलवा, परांठा, सूखे मेवे, फल, दूध, नारियल पानी और मिठाई शामिल होती हैं। इसके अलावा चाय, मठरी और सूत फेनी जैसी चीजें भी थाली में रखी जा सकती हैं। ये सभी चीजें व्रती को दिनभर निर्जला रहने की शक्ति देती हैं।

सरगी करने की विधि

सरगी लेने से पहले व्रती महिला सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। इसके बाद थाली को सजाकर शिव, पार्वती और चंद्रदेव का स्मरण करें। सरगी ग्रहण करने से पहले व्रत का संकल्प लें और कहें- “मैं अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हूं।”

सरगी करते समय मन शांत रखें और किसी भी तरह का वाद-विवाद न करें। यह समय पूरी तरह आध्यात्मिक और सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है। सरगी ग्रहण करने के बाद सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखा जाता है।

सरगी का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

सरगी न केवल व्रत का हिस्सा है बल्कि यह सास-बहू के रिश्ते में प्रेम और स्नेह का प्रतीक भी है। इसमें सास अपनी बहू को वह सारी चीजें देती हैं जो सुहाग और वैवाहिक जीवन से जुड़ी होती हैं। इस प्रकार सरगी में परिवारिक परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का भी महत्व है।

सरगी का पालन करना यह दर्शाता है कि व्रती महिला अपने पति के प्रति समर्पित है और उनके लंबे जीवन की कामना करती है। यह परंपरा महिलाओं को अपने पारिवारिक कर्तव्यों और सामाजिक मूल्यों से जोड़ती है।

करवा चौथ व्रत का महत्व

करवा चौथ व्रत संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। इसे पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए विशेष माना जाता है। व्रती महिलाएं दिनभर निर्जला रहकर चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।

सरगी इस पूरे व्रत की शुरुआत होती है और इसका महत्व बहुत अधिक है। यह न केवल व्रती को दिनभर ऊर्जा देता है बल्कि पारिवारिक प्रेम और स्नेह की भावना भी मजबूत करता है।

करवा चौथ 2025 का पर्व 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा और इस दिन सरगी ग्रहण करने का शुभ मुहूर्त सुबह 4 बजकर 35 मिनट से 5 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। यह समय धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है।

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