केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने हाल ही में एक अहम सर्कुलर जारी किया है, जो उन करदाताओं के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जिन्हें कम TDS या TCS काटने के चलते आयकर विभाग की ओर से टैक्स डिमांड या पेनल्टी नोटिस भेजे गए थे। इस राहत का फायदा उन लोगों को मिलेगा जिन्होंने पेमेंट ऐसे लोगों को किया जिनका PAN आधार से लिंक नहीं होने की वजह से ‘इनऑपरेटिव’ था।
आयकर कानून के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति का PAN निष्क्रिय (Inactive) हो जाता है, तो उस पर 20% की दर से TDS या TCS काटने का नियम है। लेकिन कई मामलों में टैक्सपेयर्स ने सामान्य दर यानी 1% या 5% से ही टैक्स काटा, और बाद में पता चला कि प्राप्तकर्ता का PAN निष्क्रिय था। ऐसे में विभाग ने डिफरेंस टैक्स, ब्याज और पेनल्टी के साथ नोटिस भेज दिया।
कब और किन शर्तों पर मिलेगी राहत
CBDT ने अपने सर्कुलर में साफ किया है कि अगर कुछ शर्तें पूरी हो जाती हैं, तो करदाताओं को न तो differential टैक्स देना होगा, न ही पेनल्टी या ब्याज चुकाना पड़ेगा। ये शर्तें हैं:
लेन-देन 1 अप्रैल 2024 से 31 जुलाई 2025 के बीच हुआ हो।
भुगतान पाने वाले यानी पेयी ने 30 सितंबर 2025 तक अपना PAN फिर से सक्रिय करवा लिया हो।
अगर ये दोनों बातें पूरी हो जाती हैं, तो ऐसे मामलों में जो टैक्स नोटिस या डिमांड भेजे गए हैं, उन्हें वापस लिया जाएगा या रिटर्न की संशोधन प्रक्रिया के दौरान रद्द कर दिया जाएगा।
ऐसे मामलों में आई थी शिकायतें
पिछले कुछ महीनों में बड़ी संख्या में करदाताओं ने शिकायत की थी कि उन्हें आयकर विभाग की तरफ से भारी टैक्स डिमांड भेजी जा रही है। ये मांग इसलिए की जा रही थी क्योंकि उन्होंने सामान्य दर पर TDS काटा था, लेकिन बाद में यह सामने आया कि पेमेंट जिस व्यक्ति को हुआ उसका PAN इनऑपरेटिव था।
खासकर प्रॉपर्टी लेन-देन, किराये की पेमेंट, वेतन भुगतान या ठेके पर दिए गए कामों में यह दिक्कत सामने आई थी। ऐसे ही मामलों में अब CBDT ने राहत का रास्ता साफ किया है।
व्यवसायियों, कर्मचारियों और प्रॉपर्टी डीलरों को मिलेगी सबसे बड़ी राहत
इस नियम का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को मिलेगा जो नियमित रूप से किसी को भुगतान करते हैं। जैसे:
- कंपनियां जो कर्मचारियों को वेतन देती हैं।
- प्रॉपर्टी खरीदार जो सेलर को पेमेंट करते हैं।
- किरायेदार जो मकान मालिक को किराया देते हैं।
- छोटे व्यापारी जो सप्लायर या ठेकेदारों को भुगतान करते हैं।
अक्सर इन भुगतानों पर टैक्स कटौती होती है, और अगर सामने वाले का PAN निष्क्रिय हो, तो टैक्स डिपार्टमेंट इसे डिफॉल्ट मानता है। अब अगर पेयी तय समयसीमा में PAN को फिर से सक्रिय कर लेता है, तो भुगतकर्ता पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।
PAN निष्क्रिय होने से होती है परेशानी
आयकर विभाग ने पहले ही कहा था कि जो लोग PAN को आधार से लिंक नहीं कराते, उनका PAN ‘इनऑपरेटिव’ यानी निष्क्रिय हो जाएगा। ऐसे PAN का इस्तेमाल TDS/TCS डिडक्शन के लिए नहीं किया जा सकता। इसकी वजह से हजारों टैक्सपेयर्स पर विभाग ने टैक्स डिमांड बनाई थी।
अब इस नियम में नरमी दी गई है ताकि अनजाने में हुई गलती पर भारी टैक्स बोझ न पड़े।
ब्याज और पेनल्टी से भी राहत का ऐलान
CBDT ने यह भी कहा है कि जिन मामलों में PAN बाद में एक्टिवेट हो गया है, उनमें डिफरेंस टैक्स के साथ-साथ ब्याज और पेनल्टी से भी राहत दी जाएगी।
यानि अगर TDS 1% की दर से काटा गया और बाद में सामने आया कि 20% काटना चाहिए था, तो वह अंतर भी नहीं देना होगा—बशर्ते पेयी ने समय पर अपना PAN दोबारा चालू करवा लिया हो।
क्या करें टैक्सपेयर्स?
अब टैक्सपेयर्स को लेन-देन से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि जिसे भी भुगतान किया जा रहा है, उसका PAN एक्टिव और आधार से लिंक हो। पेमेंट करने से पहले थोड़ी सी जांच करने से भविष्य में टैक्स नोटिस से बचा जा सकता है।
CBDT का यह कदम उन लोगों के लिए बड़ी राहत है जो अनजाने में नियमों का उल्लंघन कर बैठे थे। इससे साफ है कि अगर पेयी तय समयसीमा में PAN अपडेट कर लेता है, तो भुगतकर्ता की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है।
रजिस्ट्रेशन सिस्टम में भी होगी आसानी
बताया जा रहा है कि अब नए पोर्टल पर यह जांचने की सुविधा भी मिलेगी कि कोई PAN सक्रिय है या नहीं। इससे टैक्सपेयर्स को पहले से यह पता चल सकेगा कि किस पर 1% या 5% काटना है और किस पर 20%।
CBDT का ये फैसला ऐसे समय आया है जब आधार-पैन लिंकिंग को लेकर जागरूकता की कमी देखी जा रही थी। अब जो लोग लेन-देन करते हैं, उन्हें यह छूट राहत की तरह मिलेगी।