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क्या एक किडनी वाले बच्चे भी जी सकते हैं सामान्य जीवन, विशेषज्ञों ने बताया कैसे रखें ध्यान

क्या एक किडनी वाले बच्चे भी जी सकते हैं सामान्य जीवन, विशेषज्ञों ने बताया कैसे रखें ध्यान

विशेषज्ञों का कहना है कि एक किडनी वाले बच्चे भी सामान्य और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। मेडांटा अस्पताल के डॉ. शांदीप कुमार सिन्हा के अनुसार, सही खानपान, नियमित जांच और सावधानी से किसी तरह का खतरा नहीं रहता। हर साल यूरिन में प्रोटीन और बीपी की जांच करवाना जरूरी है ताकि शुरुआती समस्याओं का पता चल सके।

Kidney: गुरुग्राम स्थित मेडांटा-द मेडिसिटी अस्पताल के पीडियाट्रिक यूरोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. शांदीप कुमार सिन्हा ने बताया कि एक किडनी के साथ जन्म लेने वाले बच्चे भी पूरी तरह स्वस्थ रह सकते हैं। सही देखभाल, नियमित जांच और स्वस्थ दिनचर्या से वे दूसरे बच्चों की तरह सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे बच्चों के लिए हर साल बीपी और यूरिन में प्रोटीन टेस्ट जरूरी है, जिससे किडनी पर तनाव या किसी शुरुआती नुकसान का समय रहते पता लगाया जा सके।

एक किडनी के साथ भी संभव है सामान्य जीवन

गुरुग्राम स्थित मेडांटा-द मेडिसिटी अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी और यूरोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. शांदीप कुमार सिन्हा बताते हैं कि एक किडनी वाले बच्चे भी पूरी तरह स्वस्थ और सामान्य जीवन जी सकते हैं। आज के समय में चिकित्सा विज्ञान इतना आगे बढ़ चुका है कि गर्भावस्था के दौरान ही अल्ट्रासाउंड के जरिए पता लगाया जा सकता है कि बच्चे के शरीर में एक ही किडनी है या नहीं। अगर यह जानकारी पहले से मिल जाती है, तो परिवार डॉक्टर से सलाह लेकर बच्चे के लिए सही निगरानी और देखभाल शुरू कर सकता है।

डॉ. सिन्हा के अनुसार, ऐसा बच्चा दूसरे बच्चों की तरह ही स्कूल जा सकता है, खेलकूद में भाग ले सकता है और सामान्य गतिविधियां कर सकता है। उसे किसी विशेष उपचार की जरूरत नहीं होती, लेकिन नियमित जांच और कुछ सावधानियां जरूरी हैं ताकि भविष्य में कोई दिक्कत न हो।

हर साल जरूरी होती है जांच

एक किडनी वाले बच्चों के लिए सबसे जरूरी है कि हर साल उनका यूरिन प्रोटीन टेस्ट और ब्लड प्रेशर चेकअप कराया जाए। इन जांचों से यह पता लगाया जा सकता है कि किडनी पर कोई अतिरिक्त दबाव तो नहीं पड़ रहा या उसमें कोई शुरुआती नुकसान के संकेत तो नहीं हैं। अगर समय रहते यह समस्या पकड़ में आ जाए तो इलाज आसान होता है और किडनी को नुकसान से बचाया जा सकता है।

डॉ. सिन्हा बताते हैं कि इन बच्चों को किसी भी प्रकार की दवा या भोजन लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करना चाहिए, खासकर अगर दवा का असर किडनी पर पड़ता हो। कई बार साधारण दर्द निवारक दवाएं भी किडनी के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं। इसलिए किसी भी दवा का सेवन बिना सलाह के नहीं करना चाहिए।

खानपान में रखनी होती है थोड़ी सावधानी

हालांकि एक किडनी वाले बच्चों को किसी खास डाइट की जरूरत नहीं होती, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना फायदेमंद होता है। नमक का अधिक सेवन, जंक फूड या बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड खाने से बचना चाहिए क्योंकि ये चीजें किडनी पर बोझ डालती हैं। इसके अलावा पर्याप्त पानी पीना, ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना और संतुलित आहार रखना जरूरी है।

डॉक्टर बताते हैं कि एक किडनी वाले बच्चों के शरीर में जो किडनी मौजूद होती है, वह समय के साथ खुद को एडजस्ट कर लेती है और अपने आकार में थोड़ी बढ़ोतरी कर लेती है ताकि शरीर की जरूरतें पूरी हो सकें। इसे ‘कम्पेन्सेटरी ग्रोथ’ कहा जाता है। इस वजह से ऐसे बच्चों में किडनी फंक्शन सामान्य बना रहता है।

जन्म से पहले ही मिल सकता है संकेत

आज के समय में अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीकों के कारण कई मामलों में गर्भावस्था के दौरान ही पता चल जाता है कि बच्चे की एक किडनी नहीं बनी है। यह जानकारी मिलते ही माता-पिता डॉक्टर की सलाह लेकर पहले से तैयारी कर सकते हैं। जन्म के बाद अगर तुरंत निगरानी और जांच शुरू कर दी जाए तो किसी भी जटिलता से बचा जा सकता है।

डॉक्टरों का कहना है कि कई बार एक किडनी का अभाव किसी बड़े सिंड्रोम का हिस्सा भी हो सकता है, जिसमें शरीर के अन्य अंगों में भी हल्की समस्याएं पाई जाती हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं होता और बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ रहता है।

खेलकूद से परहेज नहीं जरूरी

अक्सर माता-पिता यह सोचकर बच्चों को खेलकूद से रोक देते हैं कि कहीं उनकी किडनी को कोई नुकसान न पहुंच जाए। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा करने की जरूरत नहीं है। एक किडनी वाले बच्चे भी बाकी बच्चों की तरह स्पोर्ट्स और फिजिकल एक्टिविटी में भाग ले सकते हैं। हां, बस इतना ध्यान रखना चाहिए कि कोई बहुत ज्यादा जोखिम भरे खेल न खेलें जिनमें चोट लगने का खतरा हो।

डॉ. सिन्हा बताते हैं कि बच्चों को स्वस्थ और आत्मनिर्भर बनाने के लिए जरूरी है कि उन्हें सामान्य जीवन जीने दिया जाए। बार-बार रोकना या उन्हें बीमार समझना मानसिक रूप से भी नुकसान पहुंचा सकता है।

बच्चे के विकास पर नहीं पड़ता असर

विशेषज्ञों के अनुसार, एक किडनी वाले बच्चों के शारीरिक या मानसिक विकास पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता है। ऐसे बच्चे सामान्य रूप से बढ़ते हैं और बाकी बच्चों की तरह सभी गतिविधियां कर सकते हैं। उनका वजन और लंबाई भी सामान्य रहती है।

अक्सर माता-पिता यह सोचकर परेशान हो जाते हैं कि क्या भविष्य में उनके बच्चे को डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ेगी। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि अगर सही देखभाल और समय-समय पर जांच की जाए तो ऐसा शायद ही कभी होता है।

एक किडनी के साथ जन्म लेना अब किसी डर या चिंता की बात नहीं है। चिकित्सा जगत में हुए विकास ने इस स्थिति को पूरी तरह से प्रबंधनीय बना दिया है। ऐसे बच्चे स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य जीवन जी सकते हैं, बशर्ते उनके स्वास्थ्य पर नियमित निगरानी रखी जाए।

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