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लोकसभा में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ रिपोर्ट की समय सीमा विस्तार को मंजूरी, अब 2025 तक देनी होगी रिपोर्ट

लोकसभा में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ रिपोर्ट की समय सीमा विस्तार को मंजूरी, अब 2025 तक देनी होगी रिपोर्ट

लोकसभा ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक की रिपोर्ट पेश करने की समय सीमा बढ़ाई। समिति को अब 2025 के शीतकालीन सत्र तक रिपोर्ट सौंपनी होगी। लोकसभा अध्यक्ष ने न्यायाधीश जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति भी बनाई।

One Nation One Election Panel Report: लोकसभा ने मंगलवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' से जुड़ी संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट पेश करने की समय सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव मंजूर किया है। समिति को अब अपनी रिपोर्ट 2025 के शीतकालीन सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक प्रस्तुत करनी होगी। यह प्रस्ताव समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने सदन में रखा था। उन्होंने कहा कि संविधान (एक सौ उनतीसवाँ संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश विधियाँ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त समिति को अधिक समय देना आवश्यक है ताकि वे सही तरीके से अपना काम कर सकें।

संविधान संशोधन और विधेयक का इतिहास

यह विधेयक पहली बार दिसंबर 2024 में लोकसभा में पेश किया गया था। इसके बाद इसे गहराई से जांचने के लिए दोनों सदनों की संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया। इस विधेयक का उद्देश्य भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनावों को एक साथ कराने का है ताकि संसाधनों की बचत हो और चुनाव प्रक्रिया अधिक सुचारू तरीके से चले। इस संशोधन का मकसद लोकतंत्र को मजबूत करना और चुनाव प्रक्रिया में सुधार लाना बताया जा रहा है।

समिति को क्यों बढ़ाई गई समय सीमा?

संयुक्त संसदीय समिति को यह समय सीमा बढ़ाने की जरूरत इसलिए पड़ी है ताकि वे विधेयक से जुड़े सभी पहलुओं पर पूरी तरह विचार कर सकें। यह विधेयक संवैधानिक महत्व का है इसलिए इसे जल्दबाजी में नहीं बल्कि गहराई से समझ कर तैयार करना जरूरी है। समिति के सदस्यों को देश के विभिन्न हिस्सों से विचार और सुझाव मिलने के बाद रिपोर्ट तैयार करनी होती है, इसलिए अतिरिक्त समय देना आवश्यक माना गया।

लोकसभा अध्यक्ष ने की तीन सदस्यीय जांच समिति की घोषणा

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उसी दिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने की घोषणा की। इस समिति में न्यायमूर्ति अमित कुमार, न्यायमूर्ति मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और वरिष्ठ अधिवक्ता बी बी आचार्य शामिल हैं।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार

ओम बिरला ने बताया कि उन्होंने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए 146 सांसदों द्वारा दिया गया प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। यह महाभियोग उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच के बाद लाया गया है।

इससे पहले 7 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ जारी आंतरिक जांच प्रक्रिया की वैधता को बरकरार रखा था। यह जांच उनके आवास पर आग लगने के बाद जले हुए नोट मिलने के कारण शुरू हुई थी। कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें वे जांच के निष्कर्षों और महाभियोग सिफारिश को चुनौती दे रहे थे।

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