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मालेगांव केस में न्याय की जीत: अदालत ने सभी आरोपी किए बरी, फडणवीस और शिंदे ने फैसले का किया स्वागत

मालेगांव केस में न्याय की जीत: अदालत ने सभी आरोपी किए बरी, फडणवीस और शिंदे ने फैसले का किया स्वागत

2008 के मालेगांव बम धमाके में NIA कोर्ट ने सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध करने में विफल रहा। सीएम फडणवीस और डिप्टी सीएम शिंदे ने फैसले का स्वागत किया।

Malegaon Case: 2008 के मालेगांव बम धमाका मामले में मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने 16 साल बाद बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे साबित करने में असफल रहा। इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रतिक्रिया दी और 'भगवा आतंकवाद' के नैरेटिव को खारिज किया। अदालत ने पीड़ितों के लिए मुआवज़ा देने का भी आदेश दिया है।

16 साल बाद सभी आरोपी बरी

मुंबई की विशेष एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) अदालत ने 2008 में मालेगांव में हुए बम धमाके के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए सातों आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष 323 गवाहों को पेश करने के बावजूद यह साबित नहीं कर पाया कि इन व्यक्तियों का धमाके से कोई प्रत्यक्ष संबंध था। इसलिए अदालत ने कहा कि आरोपियों को 'संदेह से परे' दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

कौन-कौन थे आरोपी?

मालेगांव धमाका मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया था, उनके नाम इस प्रकार हैं:

  • साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (वर्तमान में सांसद)
  • लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) श्रीकांत पुरोहित
  • मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय
  • सुधाकर चतुर्वेदी
  • अजय राहिरकर
  • समीर कुलकर्णी
  • सुधांकर धर द्विवेदी (शंकराचार्य)

इन सभी पर UAPA (Unlawful Activities Prevention Act), शस्त्र अधिनियम और हत्या जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। परंतु अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। सभी को इन धाराओं से बरी कर दिया गया।

'भगवा आतंकवाद' पर फिर से उठे सवाल

यह मामला इसलिए भी चर्चा में रहा क्योंकि 2010 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री ने मालेगांव सहित कुछ घटनाओं के लिए 'भगवा आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल किया था। इस शब्द को लेकर वर्षों तक राजनीति और सामाजिक विमर्श में विवाद बना रहा।

अब जबकि अदालत ने सभी आरोपियों को निर्दोष करार दिया है, 'भगवा आतंकवाद' शब्द को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। कई नेताओं और संगठनों का कहना है कि यह एक राजनीतिक नैरेटिव था, जिसका उद्देश्य एक खास विचारधारा को बदनाम करना था।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रतिक्रिया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले का स्वागत करते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, 'आतंकवाद भगवा न कभी था, न है और न कभी रहेगा।'

फडणवीस ने कहा कि यह फैसला उन हजारों लोगों की भावना की जीत है जिनके धर्म और आस्था को राजनीति के लिए निशाना बनाया गया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज अदालत के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि झूठे आरोप लगाकर निर्दोष लोगों को सालों तक प्रताड़ित किया गया।

उपमुख्यमंत्री शिंदे ने बताया 'सत्य की जीत'

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने भी फैसले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह सत्य की जीत है, जिसे वर्षों तक दबाने की कोशिश की गई।

शिंदे ने कहा कि शिवसेना ने शुरू से ही उन देशभक्तों का समर्थन किया जिन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया था। उनके अनुसार, इन आरोपियों ने सिर्फ कानूनी लड़ाई नहीं लड़ी, बल्कि मानसिक और शारीरिक यातनाएं भी सहीं। उन्होंने कहा, "हिंदू समाज इस अन्याय को कभी नहीं भूलेगा।"

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