अहमदाबाद में 12 जून 2025 को एअर इंडिया प्लेन क्रैश में 270 लोगों की मौत हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा और मामले की स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की है।
Air India Plane Crash: गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून 2025 को हुए एअर इंडिया प्लेन क्रैश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर मामले की गंभीरता को उजागर किया है। इस हादसे में 270 लोगों की जान चली गई थी। अब तक दुर्घटना का कारण अज्ञात है और जांच अधूरी है। सुप्रीम कोर्ट में इस प्लेन क्रैश की स्वतंत्र और निष्पक्ष (impartial) जांच की मांग की गई है।
प्रारंभिक रिपोर्ट
12 जून 2025 को अहमदाबाद में यात्रियों से भरा एअर इंडिया का विमान अचानक क्रैश हो गया। इस दुर्घटना में 270 लोगों की जान चली गई, लेकिन प्लेन क्रैश की असली वजह अभी तक सामने नहीं आई। विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट में विमान क्रैश की वजह स्पष्ट नहीं की गई थी। रिपोर्ट में केवल पायलट की गलती का अंदेशा जताया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट को 'गैरजिम्मेदाराना' करार दिया और हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण (unfortunate) बताते हुए नाराजगी व्यक्त की।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका
लाइव लॉ के अनुसार, सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में विमान दुर्घटना जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं और AAIB की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई गई है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इस मामले में मौलिक अधिकारों का उल्लंघन (violation of fundamental rights) हो रहा है।
एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि एअर इंडिया के बोइंग ड्रीमलाइनर 171 की कमान अनुभवी पायलट्स के हाथ में थी। 100 दिन बीतने के बावजूद केवल प्राथमिक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें दुर्घटना की असली वजह साफ नहीं की गई। उनका कहना है कि इससे स्पष्ट है कि भविष्य में बोइंग में यात्रा करने वाले यात्रियों की सुरक्षा (safety) पर सवाल उठ सकते हैं।
प्रशांत भूषण के अनुसार, पांच सदस्यों की टीम मामले की जांच कर रही है, जिनमें तीन सदस्य DGCA के हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि DGCA की भी संभावित जिम्मेदारी (accountability) को देखते हुए निष्पक्ष (impartial) जांच कैसे संभव होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच पूरी होने तक सभी जानकारी को गोपनीय (confidentiality) रखा जाए। जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि हिस्सों में जानकारी साझा करने की बजाय पूरी जांच के निष्कर्ष का इंतजार किया जाना चाहिए, ताकि सार्वजनिक भ्रम और अफवाहों (rumors) से बचा जा सके।
AAIB रिपोर्ट की आलोचना
AAIB ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में फ्यूल कटऑफ (fuel cutoff) को संभावित कारण बताया था। हालांकि, याचिकाकर्ता का कहना है कि यह केवल अंदेशा है और हादसे की असली वजह का खुलासा नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट को पर्याप्त नहीं माना और केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हादसे की जांच पूरी तरह स्वतंत्र (independent) और पारदर्शी (transparent) होनी चाहिए। किसी भी दबाव या बाहरी हस्तक्षेप से जांच प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
केंद्र सरकार को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए। सभी जांच एजेंसियों को आदेश दिया गया कि प्राथमिक रिपोर्ट में आंशिक जानकारी साझा न करें। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सभी पहलुओं पर गौर किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके और यात्री सुरक्षा (passenger safety) सुनिश्चित हो।