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राजस्थान में जर्जर चिकित्सा भवनों पर लगेगा ‘प्रवेश निषेध’ बोर्ड, स्वास्थ्य विभाग ने दिए सख्त निर्देश

राजस्थान में जर्जर चिकित्सा भवनों पर लगेगा ‘प्रवेश निषेध’ बोर्ड, स्वास्थ्य विभाग ने दिए सख्त निर्देश

राजस्थान सरकार ने प्रदेश के जर्जर और मरम्मत योग्य चिकित्सा भवनों को लेकर अब सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के स्पष्ट निर्देशों के बाद स्वास्थ्य केंद्रों का सघन निरीक्षण शुरू कर दिया है।

जयपुर: राजस्थान सरकार ने राज्य के जर्जर और खतरनाक स्थिति में मौजूद चिकित्सा भवनों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अब इन जर्जर भवनों पर ‘प्रवेश निषेध’ के बोर्ड लगाए जाएंगे और इनका तत्काल उपयोग बंद कर दिया जाएगा। यह निर्णय मानसून के मौसम को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जब कमजोर ढांचों में दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है।

यह निर्देश मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के आदेश पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए हैं। विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने 5 अगस्त 2025 को साप्ताहिक समीक्षा बैठक में इस संबंध में अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए।

राजकीय चिकित्सा संस्थानों का होगा सघन निरीक्षण

प्रमुख शासन सचिव ने प्रदेश के सभी जिलों के चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने क्षेत्र के राजकीय अस्पतालों, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का सघन निरीक्षण करें। जिन भवनों की स्थिति अत्यंत खराब पाई जाती है, उन्हें तत्काल उपयोग से बाहर किया जाए और उन पर ‘जर्जर भवन – प्रवेश निषेध’ बोर्ड लगाया जाए।

साथ ही, अधिकारियों को भवनों की मरम्मत और रखरखाव कार्यों को प्राथमिकता देने के आदेश दिए गए हैं। किसी भी प्रकार की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

मानसून में हादसों की आशंका, मरम्मत कार्य को दी जाए प्राथमिकता

गायत्री राठौड़ ने कहा कि मानसून के दौरान कमजोर और जर्जर भवनों में छत गिरने या दीवार ढहने जैसी घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में किसी भी संभावित दुर्घटना से बचने के लिए भवनों की मरम्मत और मेंटेनेंस को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। बैठक में मौसमी रोगों की स्थिति की भी समीक्षा की गई। 

प्रमुख शासन सचिव ने निर्देश दिए कि मलेरिया और डेंगू जैसे वैक्टर बोर्न डिजीज से प्रभावित क्षेत्रों में सघन स्क्रीनिंग और एंटी-लार्वा गतिविधियां चलाई जाएं। सभी जिलों को आदेश दिया गया कि वे आवश्यक कीटनाशक, टेस्टिंग किट्स और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें और प्रोटोकॉल के अनुसार कार्रवाई करें।

टीबी मुक्त भारत अभियान की प्रगति पर विशेष जोर

बैठक में टीबी मुक्त भारत अभियान की समीक्षा करते हुए पाया गया कि कुछ जिलों में स्क्रीनिंग और रिपोर्टिंग में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई है। ऐसे जिलों को विशेष निर्देश दिए गए कि वे अभियान को गति दें और टीबी पोर्टल पर नियमित रूप से आंकड़े अपडेट करें। टीबी लक्षणों वाले मरीजों को समय पर इलाज उपलब्ध कराया जाए, यह सुनिश्चित किया जाए।

जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने जिलावार प्रगति का प्रस्तुतीकरण देते हुए अधिकारियों को आवश्यक सुधारात्मक उपायों पर मार्गदर्शन दिया। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि कोई भी अधिकारी बिना अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़े और यदि किसी भवन की मरम्मत, दवाओं की खरीद या उपकरणों की आवश्यकता है, तो उसका प्रस्ताव शीघ्र निदेशालय को भेजा जाए।

राजस्थान सरकार का यह निर्णय न केवल चिकित्सा भवनों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए एक सुरक्षित और बेहतर कार्य वातावरण भी उपलब्ध कराएगा।

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