भारत सरकार ने संसद की 24 स्थायी समितियों के गठन को अंतिम रूप दे दिया है। इन समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, और कई मौजूदा अध्यक्ष अपनी जिम्मेदारी जारी रखेंगे।
नई दिल्ली: सरकार ने संसद में 24 स्थायी समितियों के गठन को अंतिम मंजूरी दे दी है। इन समितियों में सदस्यों का वितरण इस प्रकार किया गया है: भारतीय जनता पार्टी को 11, कांग्रेस को 4, टीएमसी और डीएमके को दो-दो, जबकि समाजवादी पार्टी, जेडीयू, एनसीपी (अजित पवार गुट), टीडीपी और शिवसेना (शिंदे गुट) को एक-एक समिति की जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही, सभी संसदीय समितियों के अध्यक्षों को बरकरार रखा गया है और इनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
प्रमुख नियुक्तियां और राजनीतिक संतुलन
नई नियुक्तियों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 11 समितियों की अध्यक्षता सौंपी गई है, जबकि कांग्रेस को 4 समितियों का नेतृत्व मिलेगा। टीएमसी और डीएमके को दो-दो समितियों की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, एनसीपी (अजित पवार गुट), टीडीपी और शिवसेना (शिंदे गुट) को एक-एक समिति का नेतृत्व मिलेगा।
इस नियुक्ति से राजनीतिक संतुलन सुनिश्चित करने के साथ-साथ अनुभवी सांसदों की भूमिका को बरकरार रखा गया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष बने रहेंगे, जबकि दिग्विजय सिंह को महिला, बाल विकास, शिक्षा और युवा मामलों से संबंधित समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
अन्य महत्वपूर्ण नियुक्तियां
- राजीव प्रताप रूडी को जल संसाधन मंत्रालय से जुड़ी समिति की जिम्मेदारी सौंपी गई।
- राधा मोहन अग्रवाल (बीजेपी) को गृह मामलों की समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
- डोला सेन (टीएमसी) को वाणिज्य से संबंधित समितियों का नेतृत्व मिला।
- टी. शिव (डीएमके) उद्योग समिति के अध्यक्ष बने।
- संजय कुमार झा (जेडीयू) परिवहन समिति के अध्यक्ष नियुक्त।
- रामगोपाल यादव (सपा) को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण समिति की कमान सौंपी गई।
भर्तृहरि महताब, कीर्ति आजाद, सी एम रमेश और अनुराग सिंह ठाकुर को वित्त, रसायन एवं उर्वरक, रेलवे और कोयला, खनन तथा स्टील से संबंधित समितियों का नेतृत्व मिला। बैजयंत पांडा को इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड सिलेक्ट कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। तेजस्वी सूर्या जनविश्वास बिल सिलेक्ट कमेटी के अध्यक्ष नियुक्त।
संसदीय स्थायी समितियां लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों से बनी स्थायी निकायें हैं, जो प्रस्तावित कानूनों की गहन जांच, बजट आवंटन की समीक्षा और सरकारी नीतियों का विश्लेषण करती हैं। इन समितियों के माध्यम से मंत्रालयों और विभागों को जवाबदेह बनाया जाता है।