उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिया। उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर त्यागपत्र की औपचारिक जानकारी दी।
Vice President Jagdeep Dhankar Resigns: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे पत्र में स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकीय सलाह का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देने की घोषणा की। यह फैसला भारत के संवैधानिक ढांचे में एक अहम मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। धनखड़ भारत के तीसरे ऐसे उपराष्ट्रपति बने हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद छोड़ दिया है।
स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा, राष्ट्रपति को भेजा पत्र
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक औपचारिक पत्र के माध्यम से अपना इस्तीफा सौंपा। अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि वह चिकित्सकों की सलाह और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र दे रहे हैं। उन्होंने अपने पत्र में यह स्पष्ट किया कि उनका यह निर्णय पूरी तरह से निजी स्वास्थ्य परिस्थितियों से जुड़ा हुआ है। धनखड़ ने राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिपरिषद को भी उनके निरंतर सहयोग और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया।
संसद और लोकतंत्र के प्रति जताया आभार
धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में संसद के सदस्यों से प्राप्त सम्मान और स्नेह के लिए गहरा आभार व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि उन्हें संसद के सदस्यों से जो विश्वास और सहयोग मिला, वह जीवनभर उनके लिए प्रेरणा रहेगा। उपराष्ट्रपति के रूप में अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने भारत के आर्थिक विकास, संस्थागत मजबूती और वैश्विक मंच पर बढ़ती प्रतिष्ठा को उल्लेखनीय बताया। उन्होंने लिखा कि भारत के इस परिवर्तनकारी दौर का साक्षी बनना उनके जीवन का सौभाग्य रहा।
संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत इस्तीफा
धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में भारत के संविधान के अनुच्छेद 67(a) का हवाला दिया। इस अनुच्छेद के तहत उपराष्ट्रपति स्वेच्छा से राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अपना इस्तीफा दे सकते हैं। उन्होंने लिखा कि वह इस संवैधानिक प्रक्रिया के अनुसार पद छोड़ रहे हैं।
कार्यकाल पूरा न कर पाने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति
जगदीप धनखड़ भारत के तीसरे ऐसे उपराष्ट्रपति बने हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। इससे पहले वर्ष 2002 में उपराष्ट्रपति कृष्णकांत का कार्यकाल के दौरान निधन हो गया था। वहीं, 1969 में वराहगिरि वेंकट गिरि (V.V. Giri) ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में भाग लेने के लिए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था।
2022 में बने थे भारत के 14वें उपराष्ट्रपति
जगदीप धनखड़ ने 6 अगस्त, 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर यह पद प्राप्त किया था। उस चुनाव में उन्हें कुल 528 वोट मिले थे जबकि मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले थे। उपराष्ट्रपति बनने से पहले वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे।
साधारण किसान परिवार से लेकर देश के उच्च पद तक का सफर
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई, 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव के स्कूल से पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने स्कॉलरशिप हासिल कर चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल में दाखिला लिया। वह नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में चयनित भी हुए थे, लेकिन किसी कारणवश वहां नहीं गए।
उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज से बीएससी (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की और एक सफल वकील के रूप में अपनी पहचान बनाई। वह राजस्थान हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बने और बाद में सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस की।
जगदीप धनखड़ का राजनीति में प्रवेश पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की प्रेरणा से हुआ। वर्ष 1989 में देवीलाल के 75वें जन्मदिन पर वह राजस्थान से 75 गाड़ियों का काफिला लेकर दिल्ली पहुंचे थे। उसी वर्ष के अंत में जनता दल ने उन्हें झुंझुनू से लोकसभा टिकट दिया और वह सांसद बने। वीपी सिंह की सरकार बनने पर उन्हें केंद्रीय मंत्री का दायित्व भी मिला।