भारतीय संस्कृति में तीज पर्व का विशेष स्थान है, खासकर महिलाओं के लिए। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि प्रेम, समर्पण और पारिवारिक सुख-समृद्धि की भावना का भी प्रतीक है। तीज का व्रत मुख्यतः पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख, और सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए किया जाता है। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना से इस व्रत को करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं पति की मंगलकामना के लिए उपवास रखती हैं।
हर साल तीन प्रमुख तीजें मनाई जाती हैं – हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज। वर्ष 2025 में इन व्रतों की तिथियां क्या हैं, इनका क्या महत्त्व है, और किस तरह इनका पूजन किया जाता है – आइए जानते हैं इस विस्तृत लेख में।
1. हरियाली तीज 2025
हरियाली तीज सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। यह तीज त्योहार सबसे पहले आता है और सावन की हरियाली के साथ इसका सीधा संबंध है।
- तिथि और दिन: 27 जुलाई 2025, रविवार
- धार्मिक मान्यता: हरियाली तीज के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। यह माना जाता है कि इसी दिन माता पार्वती को भगवान शिव ने पत्नी रूप में स्वीकार किया था। इसलिए इस व्रत को विशेष रूप से नवविवाहित महिलाएं मायके में जाकर मनाती हैं।
पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान करके साफ साड़ी पहनें और श्रृंगार करें।
- शिव-पार्वती की मूर्ति की स्थापना कर विधिपूर्वक पूजन करें।
- महिलाएं एक-दूसरे को श्रृंगार की वस्तुएं भेंट करती हैं, जिसे "सिंजारा" कहा जाता है।
- झूला झूलना, मेंहदी लगाना और सावन के गीत गाना परंपरा का हिस्सा है।
2. कजरी तीज 2025
कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। यह तीज विशेष रूप से गांवों, कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनाई जाती है और लोक परंपराओं से भरपूर होती है।
- तिथि और दिन:12 अगस्त 2025, मंगलवार
- धार्मिक मान्यता: कजरी तीज को सातुड़ी तीज या कजली तीज भी कहा जाता है। इसे बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत मुख्यतः पति की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि के लिए रखा जाता है। इसमें नीमड़ी माता, भगवान गणेश और गौरी-शंकर की पूजा की जाती है।
पूजा विधि
- महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक व्रत रखती हैं।
- नीम की टहनी की पूजा की जाती है।
- चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है।
- घरों में पारंपरिक गीत गाए जाते हैं, विशेष रूप से "कजली गीत", जो इस तीज की खास पहचान हैं।
3. हरतालिका तीज 2025
हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। यह तीज सबसे कठिन व्रतों में से एक मानी जाती है, क्योंकि इसमें निर्जला उपवास किया जाता है – यानी न तो भोजन और न ही पानी का सेवन।
- तिथि और दिन: 26 अगस्त 2025, मंगलवार
- धार्मिक मान्यता: हरतालिका तीज का व्रत भगवान शिव को पति रूप में पाने की इच्छा से माता पार्वती ने किया था। कई वर्षों की तपस्या के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसलिए यह व्रत अविवाहित कन्याओं के लिए विशेष फलदायी माना जाता है और विवाहित स्त्रियों को सौभाग्य प्रदान करता है।
पूजा विधि
- रात्रि जागरण की परंपरा होती है।
- स्त्रियां मिट्टी से शिव-पार्वती की मूर्ति बनाकर उनका पूजन करती हैं।
- निर्जल रहकर रात भर कथा-पूजन किया जाता है।
- अगले दिन प्रातः स्नान कर व्रत का पारण किया जाता है।
तीज पर्व स्त्रियों की आस्था, प्रेम, समर्पण और शक्ति का प्रतीक है। यह व्रत जहां दांपत्य जीवन को मजबूत करने का माध्यम है, वहीं यह परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने का उत्सव भी है। सावन की हरियाली, मेहंदी की खुशबू, झूलों की ठिठोली और तीज के लोक गीत इस पर्व को एक अनुपम उत्सव बना देते हैं।